इस आईएएस अफसर के भ्रष्टाचार के कारनामों को देखकर हैरान हो जाएंगे आप!
मनोज राय के आम्रपाली बिल्डर्स से साठगांठ कर हजारों करोड़ के मनी लांङ्क्षड्रग मामले की ईडी कर रही है जांच, बुलाया था पूछताछ को
- महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक मनोज राय पर तबादले में धांधली का आरोप
- सीएम योगी से की गई शिकायत, जांच कर कार्रवाई की मांग
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। यूपी में स्वास्थ्य और पीडब्ल्यूडी विभाग के बाद अब महिला एवं बाल विकास विभाग में हुए तबादलों पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। इस विभाग में भी सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस व तबादला नीति को उनके ही अधिकारी धज्जियां उड़ा रहे हैं। आरोप है कि महिला एवं बाल विकास विभाग लखनऊ में तीन वर्षों से जमे निदेशक मनोज राय न केवल तबादला नीति का दुरुप्रयोग कर रहे हैं बल्कि मोटी रकम लेकर कई कार्मिकों का तबादला भी कर दिया है। यही नहीं, जिन अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट है और जिनकी विजिलेंस जांच चल रही हैं, उनको भी इस भ्रष्टाचार के खेल में निदेशक ने शामिल कर लिया है। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्य के अलावा सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग से शिकायत की गईं है। साथ ही मामले की जांच कराकर पीसीएस से आईएएस बने निदेशक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई।
अलीगढ़ के नौरंगाबाद निवासी कन्हैया लाल शर्मा ने मुख्यमंत्री को भेजे अपने शिकायत पत्र में आरोप लगाया है कि महिला एवं बाल विकास विभाग लखनऊ में तीन सालों से जमे निदेशक मनोज राय ने विभाग के चार्जशीटेड कर्मचारी आकांक्षा अग्रवाल और प्रवीण कुमार त्रिपाठी के साथ मिलीभगत कर ऐसे कार्मिकों का तबादला कर दिया, जो स्थानांतरण नीति से आच्छादित नहीं थे। अधिकांश तबादले मोटी रकम वसूल कर किए गए। पत्र में कहा गया है कि मनोज राय के तीन साल के कार्यकाल में बुलंदशहर, अयोध्या के संप्रेक्षण गृह में बच्चों की पीट-पीटकर हत्या, लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज जिलों में तमाम बच्चों की मृत्यु एवं संस्थाओं में पलायन की घटनाएं निरंतर हुई है मगर इनके खिलाफ कोई एक्ïशन नहीं लिया गया। इसके अलावा महिला कल्याण निगम द्वारा वाराणसी, आगरा, प्रयागराज आदि में वर्किंग वुमेन हॉस्टल संचालित न होने के बाद भी तमाम कार्मिकों को इनमें कार्यरत दिखाकर कूटरचित दस्तावेज के जरिए शासकीय धन का गबन किया जा रहा है जबकि निगम पहले से ही निरंतर घाटे में चल रहा है। कन्हैया लाल ने आरोप लगाया है कि भ्रष्टाचार का विरोध करने वालों को निदेशक द्वारा तुरंत हटाकर अपने मनमाफिक लोगों को उस पद पर आसीन कर दिया जाता है। जिसका उदाहरण सर्वेश पांडेय हैं, जो लखनऊ मंडल के उपनिदेशक पद पर थे, उनका तुलनात्मक रूप से कम कार्यकाल होने के बावजूद उनको हटाकर उनकी जगह पर प्रवीण त्रिपाठी को बिठा दिया गया। प्रभात रंजन को निगम से हटाते हुए बस्ती मंडल में तैनाती प्रस्तावित की गई। गौरतलब है कि मनोज राय नोएडा अथॉरिटी में लंबे समय तक कार्यरत रहे हैं। उनके ऊपर आम्रपाली बिल्डर्स से साठगांठ कर हजारों करोड़ के मनी लांड्रिंग मामले में ईडी द्वारा जांच की जा रही है। इस मामले में ईडी ने उनको पूछताछ के लिए भी बुलाया था।
कुछ के तबादले और कुछ एक ही जगह जमे
पत्र में आरोप लगाया गया है कि क संवर्ग के उपनिदेशक प्रवीण कुमार त्रिपाठी, प्रभात रंजन, बृजेंद्र कुमार सिंह, श्रुति शुक्ला, ख संवर्ग की प्रिया पटेल, सीमा मौर्या, सुधाकर सरन पाण्डेय, अभय कुमार, नंदलाल सिंह, प्रभात कुमार व अभिषेक कुमार पाण्डेय (चर्चित देवरिया शेल्टर होम कांड में चार्जशीटेड) का पैसा लेकर तबादला और तबादले का प्रस्ताव किया गया। बीते सात साल से निदेशालय महिला कल्याण में क संवर्ग में उपनिदेशक पुनीत कुमार मिश्रा, आशुतोष सिंह, नीता अहिरवार, बृजेंद्र सिंह निरंजन के अलीगढ़ मंडल से अवमुक्त किए जाने के आदेश के बाद भी ये सब अधिकारी पुरानी तैनाती स्थल पर कार्यरत है। ख संवर्ग के जिला प्रोबेशन अधिकारी पंकज कुमार मिश्रा प्रयागराज में पिछले सात वर्षों से जमे है।
तैनाती के समय थे पीसीएस अधिकारी
विभागीय सूत्रों की माने तो निदेशक महिला कल्याण सीनियर वेतनमान का आईएएस अधिकारी होना चाहिए लेकिन तीन साल पहले मनोज राय की जब इस विभाग में तैनाती हुई तो वह 1997 बैच के जूनियर पीसीएस अधिकारी थे और 2021 में डीपीसी से आईएएस में प्रोन्नति पाए हैं, जिनका वेतनमान ग्रेड पे 6600 जूनियर आईएएस का ही है। पीसीएस अफसर मनोज कुमार राय को 2015 में गाजियाबाद डिवेलपमेंट अथॉरिटी (जीडीए) का ओएसडी बनाया गया था। वे सहायक राज्य संपत्ति अधिकारी भी रहे हैं।
सांसद ने भी सीएम को लिखा था पत्र
इस मामले में सांसद नीरज शेखर ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है। एक जुलाई 2022 को भेजे पत्र में उन्होंने लिखा कि यूपी कैबिनेट द्वारा घोषित स्थानांतरण नीति 2022-23 का घोर उल्लंघन करते हुए शासन/निदेशालय महिला कल्याण विभाग द्वारा मनमाने, त्रुटिपूर्ण और व्यापक भ्रष्टाचार के क्रम में तथ्यों को छिपाते हुए स्थानांतरण किए गए हैं। प्राथमिकता के तौर पर 6-17 वर्ष से एक ही स्थान पर कार्यरत समूह क / ख के कर्मियों का स्थानांतरण न करके 6-11 माह पूर्व वाले कर्मियों का स्थानांतरण किया गया। उप निदेशक के स्थानांतरण में निर्धारित 20 फीसदी के नीेति से ज्यादा संख्या में स्थानांतरण किया गया। कर्मियों के स्थानांतरण में उनका सेवाकाल व तैनाती स्थल छिपाया गया। सांसद ने इस मामले में शिकायत के परिपेक्ष में पत्रावली को मंगाकर सरकार की छवि को धूमिल करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध तत्काल कार्यवाही के साथ शासन/ निदेशालय स्तर से जारी स्थानांतरण आदेशों को निरस्त करने का अनुरोध सीएम से किया है।
कई विभागों में तबादलों पर आईं थी आपत्तियां
इससे पहले स्वास्थ्य विभाग व पीडब्ल्यूडी में हुए तबादलों पर काफी आपत्तियां आईं थीं। स्वास्थ्य महकमे में डॉक्टरों ने आरोप लगाया था कि तबादला नीति को दरकिनार करके ट्रांसफर किए गए। एक जिले में तैनात पति-पत्नी का ट्रांसफर अलग-अलग जिलों में कर दिया गया। इसके अलावा रिटायरमेंट में कुछ ही महीने शेष रहने वाले डॉक्टरों का तबादला भी कहीं दूर कर दिया गया। दिव्यांग डॉक्टरों का भी ट्रांसफर घर से दूर कर दिया गया। पीएमएस एसोसिएशन ने भी तबादलों पर आपत्तियां जताते हुए संशोधन की मांग की थी।
ट्रांसफर में गड़बड़ी पर योगी ने बैठाई जांच, मांगी है रिपोर्ट
यूपी में हेल्थ और पीडब्लूडी विभाग में हुए ट्रांसफर में लापरवाही की शिकायत जब सीएम योगी के पास पहुंचीं तो उन्होंने जांच बैठा दी। सीएम ने मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र की अगुवाई में तीन बड़े अफसरों का एक्सपर्ट पैनल बनाया और पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी। जांच पैनल में चीफ सेक्रेटरी के अलावा एसीएस होम अवनीश अवस्थी और एसीएस आबकारी संजय भुसरेड्डी शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग में हुए ट्रांसफर पर खुद डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सवाल उठाए थे। उन्होंने विभाग के अपर मुख्य सचिव को तलब किया था। वहीं पीडब्ल्यूडी विभाग में भी ट्रांसफर को लेकर आपत्तियां आई थीं।