आगरा बवाल को लेकर सपा ने उठाए सवाल

योगी सरकार करा रही है जगह-जगह ङ्क्षहसा : अखिलेश

  • सांसद सुमन के घर पहुंचे सपा मुखिया
  • प्रदेश में दलितों पर बढ़ा अत्याचार
  • चप्पे-चप्पे पर पुलिस रही तैनात
  • सपा प्रमुख बोले- करणी सेना नहीं वो योगी सेना है

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
आगरा। महाराणा सांगा पर सपा सांसद रामजी लाल सुमन के बयान के बाद करणी सेना के प्रदर्शन से मचे सियासी बवाल पर सपा ने योगी सरकार को घेर लिया है। शनिवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव सपा सांसद रामजीलाल सुमन से मिलने उनके घर पहुंचे। वहां पर पहुंचने के बाद पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि आगरा हिंसा के पीछे सरकार की फंडिंग है और ये इसलिए किया गया ताकि दिखाया जा सके कि राजपूत समाज उनके साथ है। आगरा में दलित समाज के दूल्हे को मारा गया। मारने वालों पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई। प्रयागराज में दलित की निर्मम हत्या कर दी गई। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि करणी सेना नहीं ये योगी सेना है, जिसके लिए सरकार से फंडिंग हो रही है। सीएम के स्वजातीय लोगों ने जिस तरह तलवारें लहराईं, वो पिछड़ा, दलित अल्पसंख्यकों को डराना चाहते हैं। जिस तरह हिटलर सेना रखता था, लोगों की आवाज दबाने के लिए उसी तरह ये योगी सेना लोगों को डरा रही है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री के आगमन से पहले ही यहां भारी संख्या में समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान पुलिस अलर्ट दिखाई दी। कॉलोनी में लोगों का प्रवेश निषेद कर दिया गया।

पीडीए को डराने की कोशिश

अखिलेश यादव ने सपा के राज्यसभा सांसद राजीलाल सुमन के आवास पर करणी सेना द्वारा किए गए हमले को लेकर कहा कि ये पीडीए को डराने की कोशिश की गई है। सांसद के आवास पर अचानक हमला नहीं हुआ। ये हमला साजिश के तहत हुआ है। ये एक सोची समझी चाल है। हमलावरों का इरादा जान लेने का था। दलितों-अल्पसंख्यकों को डराने कोशिश पूरी कोशिश की गई।

आज के दौर में सच बोलना आसान नहीं : राहुल गांधी

  • बोले- मैं राजनेता नहीं, सच की तलाश में डटा इंसान

राहुल गांधी ने माना कि आज के दौर में सच बोलना आसान नहीं है। उन्होंने कहा, आज लोग सच नहीं सुनना चाहते, राजनीति में यह आसान है कि जो लोग सुनना चाहते हैं, वही बता दो लेकिन मेरी आत्मा ऐसा करने की इजाज़त नहीं देती। मैं झूठ नहीं बोल सकता, चाहे मुझे नुकसान ही क्यों न हो, उन्होंने महात्मा गांधी और नेहरू के विचारों की तुलना करते हुए कहा कि गांधी जी अपने अंदर झांकते थे और नेहरू जी दुनिया और भविष्य को समझना चाहते थे। दोनों में गहराई थी पर सोचने का तरीका अलग था। कांग्रेस नेता ने कहा, मेरी दादी इंदिरा गांधी कभी खुद को सिर्फ एक राजनेता नहीं मानती थीं। वो बस अपना जीवन पूरी सच्चाई के साथ जीती थीं। मैं भी खुद को राजनेता नहीं मानता, मैं एक ऐसा इंसान हूं जो सच की तलाश में है। उन्होंने यह भी कहा, नेहरू, इंदिरा और राजीव गांधी इस बात की परवाह नहीं करते थे कि लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे। वे सिर्फ वही करते थे जो उन्हें सही लगता था। वे इस बात से प्रेरित नहीं होते थे कि 20-30 साल बाद लोग क्या कहेंगे।

सुरक्षा के सख्त इंतजाम

अखिलेश के आने से पूर्व ही किसी तरह के उपद्र्रव की आशंका को देखते हुए हरीपर्वत चौराहे से स्पीड कलर लैब तक सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं। सपा कार्यकर्ताओं ने कोई हंगामा किया तो उनसे निपटने के लिए भी रणनीति तैयार की गई। आगरा में अलर्ट किया गया है, इसके साथ ही यहां फोर्स तैनात की गई है।

‘ताकत दिखाने नहीं आया हूं’

अखिलेश ने कहा कि जिस समय सांसद सुमन के यहां आने का फैसला लिया, तभी साफ किया कोई प्रदर्शन नहीं करना है। कोई ताकत नहीं दिखाई है। अपनी पार्टी के नेता के घर जाना है, जो जा रहा हूं।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान के बाद सियासी घमासान

  • विपक्ष ने रास के सभापति पर साधा निशाना
  • लोस अध्यक्ष एवं रास के सभापति किसी पार्टी के प्रवक्ता नहीं हो सकते : सिब्बल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा न्यायपालिका को लेकर की गई टिप्पणियों के बाद से सियासी संग्राम छिड़ गया है। विपक्ष के कई नेताओं ने राज्य सभा के सभापति को घेर लिया गया। रास सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा यह असंवैधानिक है और रास के किसी सभापति को कभी भी इस तरह का राजनीतिक बयान देते नहीं देखा गया था। लोस अध्यक्ष और रास सभापति विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच समान दूरी बनाए रखते हैं और वे ”पार्टी प्रवक्ता” नहीं हो सकते।

राष्टï्रपति नाम का मुखिया, उनके पास निजी अधिकार नहीं

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा उपराष्ट्रपति को पता होना चाहिए कि राज्यपाल और राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की ‘सहायता और सलाह’ पर कार्य करते हैं। आज के समय में अगर किसी संस्था पर पूरे देश में भरोसा किया जाता है तो वह न्यायपालिका है। राष्ट्रपति तो केवल नाममात्र का मुखिया है।

केंद्र सरकार ने की अजमेर शरीफ दरगाह मामले को खारिज करने की सिफारिश

  • दरगाह में शिव मंदिर के दावे पर डाली गई थी याचिका
  • जिला कोर्ट में 31 मई को होगी अगली सुनवाई

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। राजस्थान में अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह विवाद से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। इस मामले में हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है। अजमेर की दरगाह को भगवान शिव का मंदिर बताए जाने के दावे को लेकर दाखिल किए गए मुकदमे में आज (19 अप्रैल) को सुनवाई हुई। केंद्र सरकार की तरफ से आज की सुनवाई में हलफनामा दाखिल किया गया। केंद्र सरकार ने हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के मुकदमे को खारिज किए जाने की सिफारिश की।

सुनवाई स्थगित

केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय की तरफ से मुकदमे की पोषणीयता पर सवाल उठाए गए और कहा गया कि हिंदू सेना का मुकदमा सुने जाने योग्य नहीं है। इस मुकदमे को खारिज कर दिया जाना चाहिए। केंद्र सरकार की इस सिफारिश से हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है। अल्पसंख्यक मंत्रालय की सिफारिश की वजह से अदालत ने आज की सुनवाई स्थगित कर दी। अजमेर की जिला अदालत इस मामले में अब 31 मई को सुनवाई करेगी। मंत्रालय के जवाब में कहा गया कि हिंदू सेना के मुकदमे में कोई आवश्यक स्थिति होने का आधार नहीं दिया गया है। इसके साथ ही भारत संघ को भी पक्षकार नहीं बनाया गया है। अंग्रेजी में दाखिल किए गए मुकदमे का हिंदी अनुवाद भी ठीक से नहीं किया गया है। अंग्रेजी में दाखिल मुकदमे और उसके अनुवाद में फर्क है। 27 नवंबर 2024 को हुई सुनवाई में पारित आदेश में विपक्षी पार्टियों को सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया है।

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