यह नेताजी के सिद्धांतों का चुनाव, डिंपल को दिलाएं ऐतिहासिक जीत: अखिलेश
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। मैनपुरी में डिंपल यादव के चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्टï्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) की कमी हमेशा रहेगी। उन्होंने न जाने कितने लोगों का जीवन बदला है। जो सिद्धांत समाजवादियों को नेताजी ने दिए हैं, मैनपुरी की जनता उस बात को समझती है कि ये उनके सिद्धांतों का ही चुनाव है। उन्होंने कहा कि नेताजी हमारे बीच नहीं हैं। कार्यकर्ता मतदान वाले दिन एक-एक वोट से नेताजी को श्रद्धांजलि दें।
सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को अभी तक की सबसे बड़ी जीत दिलाएं। अखिलेश ने कहा कि मैनपुरी को हमेशा अपनी कर्मभूमि मानकर ही नेताजी ने काम किया। हमेशा मैनपुरी आने के लिए लालायित रहते थे। उपचुनाव में महिलाओं, युवाओं में सबसे ज्यादा उत्साह है। लोकसभा के आम चुनाव में भीषण गर्मी के बाद भी कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह था, जिसे उपचुनाव में भी बरकरार रखना है। अखिलेश यादव ने कहा कि नेताजी हमेशा नेताओं से ज्यादा सम्मान कार्यकर्ताओं का करते थे। पतारा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की मांग पर पतारा क्षेत्र की बनवाई गई सड़क आज भी गुणवत्ता में कम नहीं है। नेताजी शिलान्यास से पहले उद्ïघाटन की तारीख तय करा लेते थे। सपा मुखिया ने कहा कि उपचुनाव में नेताओं को मालाएं नहीं पहनाएं। हर कार्यकर्ता अपना चुनाव मानकर चुनाव लड़े। विरोधी दलों के दुष्प्रचार से किसी तरह भ्रमित न हों। नेताजी के बताए रास्ते पर चलकर नेताजी के सपनों को पूरा करना है। अखिलेश ने कहा कि सपा शासन में कराए गए विकास कार्य आज भी अद्वितीय हैं। आगरा लखनऊ एक्सप्रेस बनाने के बाद सुखोई और मिराज विमान एक्सप्रेसवे पर उतारे गए हैं। उन्होंने कहा कि नेताजी को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि उपचुनाव में एतिहासिक जीत कार्यकर्ता दिलाएं। अखिलेश यादव ने कहा कि सोशल मीडिया गुमराह करती है। राजनीति तब अच्छी थी जब सोशल मीडिया नहीं थी।
मैनपुरी सीट पर चल रही सहानुभूति की लहर
मुलायम सिंह के निधन के बाद मैनपुरी में यादव परिवार का ये पहला चुनाव होगा। मुलायम के निधन के कारण इस सीट पर सहानुभूति की लहर भी है। यही वजह है कि मुलायम परिवार से मैनपुरी सीट पर चुनाव लडऩे के दावेदारों में धर्मेंद्र यादव से लेकर तेज प्रताप यादव तक के नामों की चर्चा थी। शिवपाल यादव के खुद के भी चुनाव लडऩे के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन अखिलेश ने राजनीतिक दांव खेला और अपने पिता मुलायम सिंह की सीट से परिवार के किसी दूसरे सदस्य को उपचुनाव लड़ाने के बजाय अपनी पत्नी डिंपल यादव पर को चुनावी मैदान में उतार दिया। ताकि अपने पिता मुलायम सिंह की विरासत उनके ही पास बनी रहे।