बिहार में राजनैतिक जमीन तलाशेंगे उपेन्द्र कुशवाहा
- भाजपा नेताओं से मिले, नीतीश को बताया विरासत
- यात्रा से साधेंगे जन-जन को
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। जदयू छोडक़र अपनी नई पार्टी बनाने वाले उपेन्द्र कुशवाहा पूरे बिहार में घूमेंगे। कुशवाहा ने इस यात्रा को विरासत बचाओ नमन यात्रा का नाम दिया है। इस यात्रा के जरिये अपना जनाधार बढ़ाने की जुगत करेंगे। साथ ही उपेंद्र 2024 में अपनी राजनीतिक जमीन को बचाने की भी कोशिश करेंगे। ज्ञात हो कि जनता दल यूनाईटेड (जदयू) से निकाले जाने के पहले निकल लिए उपेंद्र कुशवाहा ने नई पार्टी की घोषणा के अगले दिन भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल से मुलाकात की और अपनी यात्रा का पूरा शिड्यूल जारी किया। यात्रा शिड्यूल के लिए प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी समाजवादी विरासत का हिस्सा बताया।
कुशवाहा 28 फरवरी से 6 मार्च और 15 मार्च से 20 मार्च के दरम्यान विरासत बचाओ नमन यात्रा पर निकल रहे हैं। यह यात्रा विरासत के नाम पर है, लेकिन तीन दशक से बिहार की राजनीति जिस धुरी पर टिकी है- कुशवाहा उसी पर घूमेंगे। पहला चरण में वह, 28 फरवरी- बापू आश्रम- भितिहरवा, पश्चिम चंपारण,1 मार्च – शहीद जुब्बा सहनी स्मारक, मीनापुर, मुजफ्फरपुर,2 मार्च – शहीद रामफल मंडल स्मारक, बाजपट्टी, सीतामढ़ी,2 मार्च- बापू सूरज नारायण सिंह स्मारक, नरपतनगर, मधुबनी,3 मार्च- फणीश्वरनाथ रेणु स्मारक, औराही, अररिया,4 मार्च- बी.पी. मंडल स्मारक, मधेपुरा,5 मार्च- जननायक कर्पूरी ठाकुर स्मारक, कर्पूरी ग्राम, समस्तीपुर,6 मार्च- जगलाल चौधरी स्मारक, गडख़ा, सारण,6 मार्च- शहीद चंद्रशेखर उर्फ चंदू जी स्मारक, सीवान,दूसरा चरण 15 मार्च- लाल सिंह त्यागी स्मारक, एकंगरसराय, नालंदा,15 मार्च- गुरु सहाय लाल स्मारक, बिहार शरीफ, नालंदा,15 मार्च- डॉ. श्री कृष्ण सिंह स्मारक, बरबीघा, शेखपुरा,16 मार्च- वीर शहीद तिलकामांझी स्मारक, भागलपुर,17 मार्च- जेपी आश्रम- शेखोदौरा, नवादा,17 मार्च- पर्वतपुरुष दशरथ मांझी स्मारक, गहलौड़ घाटी गया,18 मार्च- डॉ. अब्दुल कयूम अंसारी स्मृति कार्यक्रम, डेहरी ओन सोन, रोहतास,18 मार्च – शहीद निशांत सिंह स्मारक, सासाराम, रोहतास,19 मार्च- बाबू वीर कुंवर सिंह स्मारक, जगदीशपुर, भोजपुर,19 मार्च- बाबू जगजीवन राम स्मारक, चंदवारा, भोजपुर, 20 मार्च- शहीद जगदेव प्रसाद जी स्मारक, कुर्था, अरवल की खाक छानेंगे। बिहार में पिछले करीब 30 साल से राजनीति के अंदर जाति का बहुत बड़ा प्रभाव रहा है। क्षेत्रीय दल ज्यादातर जाति आधारित हैं। सभी तरह की पार्टी प्रत्याशी देते समय सीट पर जाति का प्रभाव देखती है और प्रभावशाली जाति के प्रत्याशी को अमूमन मौका देती है। वोटरों में भी बड़ी आबादी जाति आधारित पार्टी या प्रत्याशी को वोट देती है। अब तो जाति आधारित बातें और ज्यादा बढ़ गई हैं, क्योंकि ब्रिटिश काल के बाद पहली बार बिहार में राज्य सरकार जातिगत जनगणना करा रही है। उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू छोडऩे के पीछे सभी जातियों को साथ चलने की बात कही थी और विरासत बचाओ नमन यात्रा में भी कहीं न कहीं वह लक्ष्य है।
पश्चिम चंपारण से शुरू करेंगे यात्रा
राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष कुशवाहा अपनी विरासत बचाओ नमन यात्रा की शुरुआत पश्चिम चंपारण में उस जगह से कर रहे हैं, जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ी है। भितिहरवा कई राजनीतिक यात्राओं के प्रारंभ या समापन के लिए चर्चित रहा है। चूंकि महात्मा गांधी की जाति सभी को पता है और सभी उनपर अधिकार मानते हैं, इसलिए उसपर नहीं जाते हैं। कुशवाहा मार्च में सबसे पहले मुजफ्फरपुर में शहीद जुब्बा सहनी स्मारक जाएंगे। जुब्बा सहनी साहनी जाति से थे और राजनेताओं ने इस रूप में भी इन्हें खूब प्रचारित किया है। इसके बाद कुशवाहा शहीद रामफल मंडल स्मारक पर जाएंगे। मंडल धानुक जाति से थे। इसके बाद नंबर आएगा बाबू सूरज नारायण सिंह स्मारक का। वह राजपूत जाति से थे। साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु स्मारक की यात्रा बिहार की विरासत मानकर की जाएगी, लेकिन हकीकत यह है कि रेणु की धानुक जाति के बारे में भी पिछले दो दशकों में खूब चर्चा है। क्ररुछ्वष्ठ अध्यक्ष अगली यात्रा मधेपुरा लेकर निकलें, जहां वह बी.पी. मंडल स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। जातिगत व्यवस्था को लेकर बहुचर्चित मंडल कमीशन के प्रमुख बी. पी. मंडल खुद यादव जाति के थे। बिहार में यादव जाति का बहुत प्रभाव है और सत्तासीन तेजस्वी यादव को हटाने को लेकर कुशवाहा बड़ी रणनीति की जरूरत बता चुके हैं। यात्रा आगे समस्तीपुर जाएगी, जहां जननायक कर्पूरी ठाकुर स्मारक की यात्रा करेंगे। कर्पूरी नाई जाति से थे और कुछ दिन पहले भी इस जाति को साथ लाने के लिए पटना में बड़ा कार्यक्रम सत्ताधारी दल ने भी किया था। यात्रा आगे सारण-सीवान जाएगी। सारण में जगलाल चौधरी स्मारक पर जाना है। चौधरी दलित वर्ग के पासी समाज से थे। सीवान में वह शहीद चंद्रशेखर उर्फ चंदू जी स्मारक पर जाएंगे। छात्र नेता चंद्रशेखर की हत्या का आरोप राजद के बाहुबली पूर्व सांसद दिवंगत मो. शहाबुद्दीन पर था।
दूसरे चरण की इन विरासतों पर लक्ष्य
कुशवाहा अपनी यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला से करेंगे और लक्ष्य भी इनकी जातीय विरासत यहां लक्ष्य पर रहेगी। एकंगरसराय में वह लाल सिंह त्यागी स्मारक और बिहारशरीफ में गुरु सहाय लाल स्मारक पर जाएंगे। इसके बाद कुशवाहा भूमिहार राजनीति के वर्चस्व से चर्चित क्षेत्र शेखपुरा जाएंगे और डॉ. श्रीकृष्ण सिंह स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित कर आगे बढ़ेंगे। बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह भूमिहार थे। आगे वह भागलपुर में वीर शहीद तिलकामांझी स्मारक की यात्रा करेंगे। तिलका मांझी आदिवासी थे। अगली यात्रा नवादा के जेपी आश्रम की होगी। लालू प्रसाद, नीतीश कुमार जैसे नेताओं को खड़ा करने वाले जेपी कायस्थ जाति के थे, यह पिछले 20 वर्षों में जनता को बताया जाता रहा है। गया में कुशवाहा पर्वतपुरुष दशरथ मांझी स्मारक पर जाएंगे। माउंटेनमैन की जाति मुसहर थी और कुशवाहा पहले ही कह चुके हैं कि सरकार को हर वर्ग से जुडऩा चाहिए और हर वर्ग को सत्ता से जोडऩा चाहिए। आगे वह रोहतास में डॉ. अब्दुल कयूम अंसारी स्मृति कार्यक्रम में शामिल होंगे। अंसारी मुसलमानों में पिछड़ा वर्ग होता है। कुशवाहा इससे आगे रोहतास जाएंगे और शहीद निशांत सिंह स्मारक पर कार्यक्रम होगा। शहीद निशांत राजपूत थे। भोजपुर में भी इसी जाति का विरासत लक्ष्य पर होगा, जहां कुशवाहा बाबू वीर कुंवर सिंह स्मारक की यात्रा करेंगे। भोजपुर में ही कुशवाहा बाबू जगजीवन राम स्मारक पर भी जाएंगे। जगजीवन राम की जाति सभी जानते हैं, लेकिन उनकी जाति को पिछले करीब डेढ़ दशक में अहम भागीदारी नहीं मिली है। यात्रा का अंत अरवल में शहीद जगदेव प्रसाद स्मारक पर होगा। वह कोइरी जाति से थे, जिसे कुशवाहा भी कहा जाता है।