जातिगत जनगणना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका, 28 अप्रैल को सुनवाई

नई दिल्ली/पटना। बिहार में जाति आधारित जनगणना कराने के बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ नई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करने को तैयार हो गई है। याचिका पर 28 अप्रैल को सुनवाई होगी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ मामले की तत्काल सुनवाई करेगी। जज एक वकील की दलील सुनकर तत्काल सुनवाई को तैयार हो गए।
याचिकाकर्ता वकील ने कोर्ट को बताया कि बिहार में जाति आधारित गणना 15 अप्रैल को शुरू हुआ और 15 मई को समाप्त होने वाला है। इस मामले में वकील ने तत्काल सुनवाई की मांग की। जिसके बाद, सुप्रीम कोर्ट की बेंच 28 अप्रैल को इसपर सुनवाई करने को तैयार हुई।
बता दें कि शीर्ष अदालत ने 20 जनवरी को बिहार में जातिगत गणना कराने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
तब सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा था कि विशेष जाति को कितना आरक्षण दिया जाना चाहिए, इस बारे में हम निर्देश कैसे जारी कर सकते हैं। हम इस तरह के निर्देश जारी नहीं कर सकते हैं।
कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि याचिका में कोई मेरिट नहीं है। याचिकाकर्ता मामले को लेकर उच्च न्यायालय में जाने के लिए स्वतंत्र है। बता दें कि बिहार में जातिगत जनगणना का काम दूसरे चरण में पहुंच गया है। 5 अप्रैल से दूसरे चरण की गणना का काम शुरू है। 15 मई तक पूरी गणना हो जाएगी। राज्य में हर जाति के लिए अलग-अलग कोड बनाए गए हैं।
इसको लेकर भाजपा लगातार नीतीश सरकार पर जुबानी हमला बोल रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि बिहार सरकार जनता को बांटने की कोशिश कर रही है। इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बयान दिया था कि जाति गणना का जो भी डाटा आएगा, उसे विधानसभा में रखा जाएगा। इस गणना के आधार पर गरीब लोगों की मदद की जाएगी।

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