तालिबान ने कश्मीर पर अपना रुख किया साफ

नई दिल्ली। तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। इसके बाद से ही अफगानिस्तान में तालिबान लड़ाकों का आतंक जारी है। तालिबान महिलाओं से लेकर बच्चों तक पर अत्याचार करने से बाज नहीं आ रहा है। तालिबान के खौफ से हर अफगान डरा हुआ है। अफगानिस्तान में तालिबान लड़ाकों की हरकतों से पूरी दुनिया चिंतित है। लेकिन तालिबान को पाकिस्तान जैसे देश का खुला समर्थन मिल रहा है. इस बीच, तालिबान ने कश्मीर पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि वह इसे द्विपक्षीय, आंतरिक मुद्दा मानता है। वहीं तालिबान ने कहा कि उनका फोकस कश्मीर पर नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक कश्मीर में सुरक्षा चौकसी और बढ़ाई जाएगी। आपको बता दें कि तालिबान की गतिविधियों पर भी भारत की पैनी नजर है। तालिबान सरकार कैसे बनाता है और तालिबान वहां के लोगों के साथ कैसा व्यवहार करेगा। हालांकि इस सब पर भारत की नजर है। हालाँकि, दुनिया भर में चिंता व्यक्त की जा रही है कि अफगानिस्तान दुनिया में इस्लामी आतंकवाद का पहला केंद्र नहीं बन सकता है।
मंगलवार को सूत्र के हवाले से खबर आई कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई तालिबान को प्रभावित करने की कोशिश करेगी। हालांकि, इसका बहुत सीमित प्रभाव होगा क्योंकि तालिबान ने ताकत की स्थिति में सत्ता हासिल कर ली है। आईएसआई एक कमजोर तालिबान को ही प्रभावित कर सकता है, लेकिन मौजूदा हालात में इसकी संभावना कम ही लगती है।
सूत्रों ने बताया कि पूर्व में अफगानिस्तान में पाकिस्तानी संगठनों के कैंप थे। इसलिए हमें जम्मू-कश्मीर में सावधान रहना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तालिबान को कश्मीर के खिलाफ भडक़ाने की पूरी कोशिश कर सकता है. ऐसे में भारत को सतर्क रहने की जरूरत है। सूत्रों के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा और लश्कर-ए-झांगवी जैसे पाकिस्तान स्थित समूहों की अफगानिस्तान में कुछ उपस्थिति है, कुछ गांवों और काबुल के कुछ हिस्सों में तालिबान के साथ चेक पोस्ट स्थापित किए हैं।
बता दें कि भारत के केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत सीमा पार आतंकवाद के खतरे का सामना करने के लिए आत्मनिर्भर है। उन्होंने कहा कि भारत इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मजबूत और आत्मनिर्भर है। साथ ही सीमा पार आतंकवाद के खतरे का सामना करने के लिए।

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