जम्मू से डोगरा संस्कृति और पहचान को खत्म करने की कोशिश: फारूक
बोले:- 370 को निरस्त करने के बाद भी आतंकवाद बरकरार
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जम्मू । नेकां अध्यक्ष व सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने भाजपाइयों पर बरसते हुए कहा कि अगर लेह और श्रीनगर में जी20 की बैठकें करवाई जा सकती हैं, तो जम्मू में क्यों नहीं। जम्मू-जम्मू और डोगरा-डोगरा के नारे लगाने वाले आज कहां हैं। इस पर कोई भाजपा नेता क्यों नहीं बोल रहा है। क्या उनके लिए जम्मू महत्वपूर्ण नहीं है। वह इसे अपनी जेब में समझ रहे हैं।उन्होंने कहा कि जम्मू में गैर प्रवासी लोगों को बसाकर यहां की डोगरा संस्कृति और पहचान को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
भविष्य में डोगरा जुबान खत्म हो जाएगी। बाहर के लोग यहां आकर बस रहे हैं। नौकरियां भी उनके लिए हैं, लेकिन किसी भी भाजपा नेता को इससे लेना देना नहीं है। पत्रकारों से रूबरू होते हुए फारूक ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) मिशन के तहत 336 फ्लैटों के आवंटन के लिए अस्थायी या स्थायी रूप से जम्मू में प्रवास करने वाले लोगों से ऑनलाइन आवेदन मांगने वाले जम्मू-कश्मीर हाउसिंग बोर्ड द्वारा जारी सार्वजनिक नोटिस यह दिखाता है कि हम हर समय यह कहते रहे हैं कि जनसांख्यिकीय परिवर्तन लाया जा रहा है।
सत्यपाल मलिक के खुलासे से खुली भाजपा की पोल
विपक्ष 2024 के संसदीय चुनाव में भाजपा के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश कर रहा है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भाजपा की पोल खोली है। उन्होंने कहा था कि पुलवामा हमारी गलती थी, वह कहते हैं कि जवानों को भेजने के लिए हमें पांच जहाज नहीं दिए। आतंकी हमले वाले उस रूट पर भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं थे। तीन हफ्ते से वह विस्फोटक भरा वाहन 300 किलो आरडीएक्स लेकर घूमता रहा। किसी ने उसे पकड़ा नहीं। इसी तरह बालाकोट में हुआ। उन्होंने जंतर मंतर पर महिला पहलवानों के आंदोलन का समर्थन किया। कहा कि वह हिम्मत से खड़ी हैं, लेकिन उनकी कोई सुन नहीं रहा है। सर्वोच्च न्यायालय में जाने के बाद न्यायालय के आदेश पर एफआईआर दर्ज की गई। बेटियों में सरकारों को हिलाने की हिम्मत है। हम कभी पाकिस्तानी नहीं थे। लेकिन हर वक्त हम पर उंगली उठाई गई। अगर ऐसा होता तो हम भी 1947 में पाकिस्तान चले जाते। तब नेकां के स्व. शेख अब्दुल्ला खड़े रहे।
पंचायत चुनाव को तैयार नेकां
हमें विधानसभा चुनाव की परवाह नहीं है। लेकिन यह अच्छी बात है कि पंचायत चुनाव कराए जाने की बात कही जा रही है। नेकां पंचायत, डीडीसी सहित अन्य सभी चुनाव लडऩे के लिए तैयार है, लेकिन वह कभी भीख नहीं मांगेगी। अगर यहां बाहरी लोगों को बसाया जाएगा, तो स्थानीय कहां जाएंगे। जम्मू अपनी डोगरा पहचान खोने जा रहा है। अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह ने सन 1927 में नौकरी और भूमि संरक्षण के लिए कानून बनाए। उन्होंने जम्मू की संस्कृति और पहचान बरकरार रहने के लिए ऐसा किया, लेकिन आज इसके विपरीत हो रहा है।