चुनाव पर तनाव: सियासी दल लगाने लगे दांव
कांग्रेस ने बनाई मोदी सरकार को घेरने की रणनीति
- भाजपा ने भी जिला स्तर पर शुरू की तैयारी
- पटना में जुटेंगे 16 बड़े क्षेत्रीय दल
- अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी कसी कमर
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। 2024 लोकसभा चुनाव की की उल्टी गिनती जल्द शुरू होने वाली है। जहां सत्ता पक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी राज्यवार अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है वहीं विपक्षी दलों कु छ भी स्पष्टï नही हो पा रहाहै कभी लगता है पूरा विपक्ष कांग्रेस के साथ है तो कही कहीं से विरोध भी नजर आने लगता है। खैर बात कुल मिलाकर लोक सभा चुनाव में मोदी सरक ार को किसी भी तरह से सत्ता से बाहर करना है और उसके लिए विपक्ष को नई रणनीति बनानी जरू री है।
इसी के मद़दे नजर पटना में 12 जून को प्रस्तावित बैठक की मेजबानी जदयू-राजद के पास है। अभी तक 16 बड़े क्षेत्रीय दलों ने पटना आने पर सहमति जताई है। ममता बनर्जी शरद पवार एवं अरविंद केजरीवाल जैसे नेता बैठक में आने के लिए तैयार हैं। भाजपा के विरुद्ध विपक्षी एकता के प्रयासों के तहत पटना में प्रस्तावित बैठक से पहले राजनीतिक घटनाक्रमों ने एकता के पैरोकार दलों की बेचैनी बढ़ा दी है। बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी का बयान और राहुल गांधी की उपस्थिति में अध्यादेश के मुद्दे पर दिल्ली की बैठक में आम आदमी पार्टी के प्रति कांग्रेस के रुख को एकता प्रयासों में चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। इसी बीच यूपी में दो सीटों के लिए विधान परिषद चुनाव में बसपा के साथ कांग्रेस ने भी सपा से किनारा कर लिया। प्रश्न उठना स्वभाविक है कि आरंभ ऐसा है तो परिणाम कैसा होगा? यही कारण है कि क्षेत्रीय दलों की ओर से कांग्रेस पर लचीला रुख अपनाने का दबाव बनाया जा रहा है।
टीएमसी विपक्षी एकता नही चाहती : कांग्रेस
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के विधायक टीएमसी में शामिल हो गए है। इसी को देखते हुए कांग्रेस ने आज ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ऐसी हरकत विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि बीजेपी के उद्देश्यों को पूरा करती है। बता दें कि सोमवार को राज्य विधानसभा में कांग्रेस के एकमात्र विधायक बायरन बिस्वास टीएमसी में शामिल हो गए। वह महासचिव अभिषेक बनर्जी की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए। 2024 के आम चुनाव में भाजपा को हराने के लिए विपक्षी एकता बनाने की कोशिश में जुटी हुई है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ऐतिहासिक जीत में कांग्रेस विधायक चुने जाने के तीन महीने बाद बायरन बिस्वास को पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने लुभा लिया है। यह सागरदिघी विधानसभा क्षेत्र के लोगों के जनादेश के साथ पूर्ण विश्वासघात है। गोवा, मेघालय, त्रिपुरा और अन्य राज्यों में पहले हो चुकी इस तरह की खरीद-फरोख्त विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए नहीं की गई है और यह केवल बीजेपी के उद्देश्यों को पूरा करती है। मेदिनीपुर के घटाल में सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल होने के समारोह में बायरन ने दावा किया कि कांग्रेस ने उनकी जीत में कोई भूमिका नहीं निभाई, और वह मेरी सद्भावनाके कारण जीते। स्थानीय बीड़ी कारोबारी बायरन ने इस साल के शुरू में हुए उपचुनाव में सागरदिघी सीट पर अपने टीएमसी प्रतिद्वंद्वी को हराकर जीत हासिल की थी। ली मच गई थी। वह विधानसभा में कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि थे और उनके टीएमसी में शामिल होने का मतलब कांग्रेस विधायक दल का बड़े टीएमसी विधायक दल के साथ विलय है।
नीतीश कुमार के प्रयासों का परिणाम दिखने लगा : त्यागी
पटना में 12 जून को प्रस्तावित बैठक की मेजबानी जदयू-राजद के पास है। अभी तक 16 बड़े क्षेत्रीय दलों ने पटना आने पर सहमति जताई है। विपक्षी एकता के इस प्रयास में प्रारंभिक व्यवधानों से सहमति जताते हुए जदयू के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है कि पटना की बैठक इन्हीं सारे अंतर्द्वंदों को समाप्त करने के लिए बुलाई जा रही है। नीतीश कुमार के प्रयासों का परिणाम दिखने लगा है। 2014 और 2019 से अलग पहली बार कांग्रेस के साथ क्षेत्रीय दल भी एक बड़े मंच की जरूरत महसूस करने लगे हैं। ममता बनर्जी, शरद पवार एवं अरविंद केजरीवाल जैसे नेता बैठक में आने के लिए तैयार हैं। त्यागी ने कहा कि ममता के प्रस्ताव पर ही पटना में बैठक बुलाई जा रही है तो अधीर रंजन को ज्यादा अधीर होने की क्या जरूरत है? कांग्रेस को अधीर और अजय माकन जैसे अपने नेताओं पर लगाम लगाने की जरूरत है। क्षेत्रीय दलों का कांग्रेस से कई मोर्चे पर टकराव कर्नाटक में कांग्रेस की जीत से ज्यादा भाजपा की पराजय से विपक्ष में उत्साह है।
अजमेर रैली के जरिए 24 के चुनावो पर नजर
राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा का पूरा फोकस राजस्थान की सत्ता में वापसी पर है। इसी के चलते मोदी आज राजस्थान से जनसंपर्क अभियान की शुरुआत करेंगे।भाजपा ने पीएम मोदी के कार्यक्रम के लिए अजमेर को चुना है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर बीजेपी ने पीएम मोदी के कार्यक्रम के लिए अजमेर को ही क्यों चुना और प्रधानमंत्री के यहां रैली करने से कितनी सीटों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा।बीजेपी ने केंद्र की सत्ता में 9 साल पूरे होने पर देश भर में एक महीने तक जनसंपर्क अभियान को शुरू करने का फैसला किया है। इसी के तहत ही पीएम मोदी आज इस अभियान की शुरुआत राजस्थान के अजमेर से करेंगे। भाजपा का दावा है कि पीएम मोदी की इस रैली में करीब दो लाख लोगों की भीड़ जुट सकती है।
तृणमूल ने कांग्रेस विधायक को कब्जे में किया: अधीर रंजन
बंगाल कांग्रेस के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने भी बिस्वास को उनके दलबदल के लिए जमकर लताड़ा। उन्होंने कहा कि अगर हम बायरन बिस्वास के साथ नहीं होते, तो आज वह विधायक नहीं होते।चौधरी ने कहा था कि टीएमसी सागरदिघी उपचुनाव हारने के बाद डर गई थी और उसने कांग्रेस विधायक को अपने कब्जे में करने के लिए हर दांव खेला। उन्होंने टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी और उनके भतीजे और पार्टी के सांसद अभिषेक बनर्जी पर अन्य दलों के विधायकों को लुभाने का भी आरोप लगाया।
आगामी चुनाव में सीटों पर चर्चा
भाजपा के विरुद्ध प्रत्येक सीट पर विपक्ष का संयुक्त प्रत्याशी देने के लिए सबको सहमत करना। मगर हाल के राजनीतिक पैंतरों से स्पष्ट है कि दलों की दूरियों को कम करना आसान नहीं होगा। बंगाल में कांग्रेस की तृणमूल से दूरी कांग्रेस के एकमात्र विधायक को तृणमूल में शामिल करने से और बढ़ी है।इससे नाराज बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन ने तृणमूल पर भाजपा से मिलकर विपक्षी एकता के प्रयासों को कमजोर करने का आरोप मढ़ दिया। कई मसलों पर सहमति के बावजूद उत्तर प्रदेश में सपा एवं कांग्रेस के दिल अलग-अलग धडक़ रहे हैं।इसी बीच आप सांसद संदीप पाठक का मध्य प्रदेश में दिया गया बयान भी अर्थपूर्ण है, जिसमें वह केजरीवाल को प्रधानमंत्री बनाने की बात करने के साथ पंजाब में कांग्रेस एवं दिल्ली में भाजपा को हराने का इतिहास छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश में दोहराने की ताल ठोकते हैं। विधायक बायरन बिस्वास के टीएमसी में शामिल होने के एक दिन बाद कांग्रेस ने टीएमसी पर तीखा हमला किया।कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह सागरदिघी विधानसभा क्षेत्र के लोगों के जनादेश के साथ पूर्ण विश्वासघात है।
राजस्थान पर पूरा फोकस
दरअसल, राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल देश में लोकसभा का चुनाव होना है। हाल ही में बीजेपी को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में भाजपा का पूरा फोकस उन राज्यों पर है, जहां इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें एक राज्य राजस्थान भी है। यहां इस साल के अंत (दिसंबर) में चुनाव होना है।ालांकि, बीजेपी का पूरा फोकस करीब 45 विधानसभा सीटों पर हैं, जो अजमेर से बिल्कुल नजदीक हैं। पीएम मोदी की रैली के लिए आठ लोकसभा और 45 विधानसभा क्षेत्र के लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। इन 45 विधानसभा सीटों में से भाजपा के पास 20 सीटें हैं। इसके अलावा 20 सीटें कांग्रेस के पास है और बाकी सीटें अन्य दलों के पास है।
पायलट के गढ़ में सेंध लगाने में जुटी बीजेपी
ये भी माना जा रहा है कि पीएम मोदी के अजमेर से अभियान की शुरुआत करने से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। बता दें कि कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अजमेर से ही आते हैं। साल 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। इसलिए पीएम मोदी की रैली के लिए अजमेर को चुनना एक बड़ी वजह माना जा रहा है।पिछले 8 महीने में पीएम मोदी का राजस्थान का यह छठा दौरा है। राजस्थान चुनाव में कोई कसर न छूटे इसके लिए बीजेपी हर कमी को दूर करना चाहती है। साथ ही भाजपा का फोकस यहां के जातिगत वोटरों पर भी है। अजमेर के आसपास के क्षेत्र में जाट और मुस्लिमों की बड़ी संख्या है। राजस्थान की सियासत में मुस्लिम वोटर कांग्रेस के पक्ष में ही मतदान करते रहे हैं, जबकि कांग्रेस को जाट वोटरों का भी साथ मिलता है।बता दें कि पीएम मोदी अपने अजमेर दौरे के दौरान पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर का दर्शन करेंगे। इसके बाद पीएम मोदी अजमेर की कायड़ विश्राम स्थली में एक सभा को संबोधित करेंगे। सभा के लिए एक विशाल पंडाल बनाया गया है। यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके अलावा व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी भाजपा नेताओं को दी गई है, ताकि पीएम मोदी की सभा को भव्य और आलीशान बनाया जा सके।