सत्ता की चाह में बदलती राह!

हिंदुत्व की ओर देख रही कांग्रेस, भाजपा मुस्लिमों को रिझाने में लगी

  • क्या-क्या रंग दिखाती है सियासत
  • लोस व विधान सभा चुनाव की बिसात बिछना शुरू
  • दिखेगी भाजपा के खिलाफ वैचारिक एकजुटता

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। साल के अंत तक पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल की शुरुआत में देश में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सियासी पारे का चढऩा जारी है। सियासत भी क्या-क्या रंग दिखाती है जहां कांग्रेस मंदिर-मंदिर पूजा अर्चना कर रही है तो बीजेपी मुस्लिमों को साधने के नए-नए तरीके तलाश रही है। 24 आते-आते अभी और भी रंग देखने को मिलेंगे। रंग चाहे जो हो सभी राजनैतिक दल सत्ता के रंग को चटख करने की जुगत में लगे हैं। जहां 23 जून को नीतिश विपक्षी एकता के बहाने पटना में शक्ति प्रदर्र्शन करके भाजपा को डराने की कोशिश करेंगे। वहीं मप्र कें जबलपुर में नर्मदा की पूजा के साथ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने चुनावी शंखनाद कर दिया। धर्म भी इसबार सबके एजेंडे में होगा। उधर रविवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने रामलीला मैदान में रैली करके अपने मंसूबे जता दिए हैं। 23 जून को पटना की बैठक में कांग्रेस, जेडीएस, राजद से लेकर टीएमसी, सपा, डीमके तक के नेता मौजूद रहेंगे। बैठक में गठबंधन की रूपरेखा तैयार हो सकती है। ये भी तय होगा कि सीटों का बंटवारा कैसे होगा? कैसे भाजपा को घेरना है इसको लेकर भी मंथन होगा।
नीतीश कुमार ने खरगे और राहुल से मुलाकात के दौरान कहा था कि भाजपा के खिलाफ विपक्ष को वैचारिक तौर पर एकजुट होना होगा। कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनपर विपक्ष की राय एक है। इन्हीं मुद्दों के सहारे सभी को एक होकर भाजपा से लडऩा होगा। राहुल और खरगे ने भी इसे स्वीकार किया। नीतीश ने ही इसका प्रस्ताव भी रखा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को ही विपक्ष के सभी दलों की अगुआई करनी चाहिए, लेकिन इसमें कहीं से भी ये न लगे कि किसी दल की उपेक्षा की जा रही है। सभी के सम्मान का ख्याल रखना चाहिए।

राज्यों में जनाधार के आधार पर नेतृत्व मिले

नीतीश ने कहा कि चुनाव के वक्त जिस पार्टी का जिस भी राज्य या क्षेत्र में दबदबा हो वहां उसे लीड करने दिया जाए। मसलन बिहार में राजद-जदयू का प्रभाव है। ऐसे में यहां की ज्यादातर सीटों पर इन्हीं दो पार्टियों के उम्मीदवार उतारे जाएं। इसके अलावा अन्य पार्टी जिसका कुछ जनाधार हो, उन्हें भी कुछ सीटों पर मौका दिया जाए। इसी तरह यूपी में सपा को ज्यादा सीटें दी जा सकती हैं। राजस्थान-छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में कांग्रेस लीड कर सकती है। जहां विवाद की स्थिति बने, वहां आपस में बैठकर मसला हल किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि इस फॉर्मूले के दम पर विपक्ष 543 लोकसभा सीटों में से करीब 450 सीटों पर सीधे मुकाबले की तैयारी कर रहा है।

सरकारी छापेमारी पर भी बनी सहमति

इस वक्त सोनिया गांधी-राहुल गांधी से लेकर केसीआर, तेजस्वी यादव, उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल तक कई मामलों में फंसे हुए हैं। ये एक ऐसा मुद्दा है, जिसको लेकर सभी दलों की राय एक है। सभी ने इसके खिलाफ सरकार पर हमला बोला है। विपक्ष ने लगातार आरोप लगाया है कि सरकार अल्पसंख्यकों के खिलाफ काम कर रही है। सरकार पर सांप्रदायिक होने का भी आरोप लगाया जा रहा है। ऐसे में इस मुद्दे पर भी विपक्ष सहमति बना सकता है। विपक्षी दल भाजपा के हिंदुत्व को जातिगत राजनीति से तोडऩे की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए हर राज्य में विपक्षी दल जातिगत आरक्षण को बढ़ाने, जातिगत जनगणना कराने जैसे मुद्दे उठाएंगे।

केजरीवाल के साथ आए सिब्बल कांग्रेस पर पड़ेगा दबाव

पिछले दिनों कपिल सिब्बल ने कहा था कि मेरी शुरू से ही कोशिश रही है कि विपक्ष एक मंच पर आए। जिस पॉलिटिकल पार्टी के खिलाफ अन्याय हो रहा है, कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है, उसकी मदद करनी है, जहां भी केंद्र सरकार की ओर से कानून के खिलाफ काम किया जाएगा, मैं वहां खड़ा मिलूंगा। गौरतलब हो कि जब से दिल्ली सरकार के तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को जेल भेजा गया। उसके बाद से सिब्बल के नजरिए में बदलाव हो गया। उन्होंने कहा था कि बेशक दिल्ली कांग्रेस के नेताओं की ओर से कहा कि जो हो रहा है ठीक हो रहा है, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष खरगे साहब ने कहा है कि जो हो रहा है, गलत हो रहा है, बेल न देने का क्या मतलब है? चार्जशीट फाइल हो गई, तो आप उसे अंदर ही रखोगे? अब आप उन्हें और कितने दिन अंदर रख सकोगे? कपिल सिब्बल सबसे पहले वकील हैं, उसके बाद राजनीतिज्ञ हैं, वह आज कांग्रेस में नहीं ह, सपा ने आप आदमी पार्टी को समर्थन देने का वादा किया हुआ है, इससे कांग्रेस पर भी दबाव बनेगा, यहीं सिबब्ल भी चाहते हैं, केंद्र की ओर से जो अध्यादेश लाया गया है, उसमें कपिल सिब्बल अरविंद केजरीवाल को मदद कर सकते हैं। कपिल सिब्बल शुरू से ही आम आदमी पार्टी के पक्षधर रहे हैं, उन्होंने कांग्रेस को फरवरी 2019 लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन का फॉर्मूला भी सुझाया था, जिसमें बाद अंतिम समय में टूट गई, अब केजरीवाल के साथ मंच साझा करने से उनके पुराने रिस्ते सामने आ रहे हैं, अब चर्चा है कि उनके बेटे आम आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ सकते हैं।

परिवादवादी पार्टियां हो रही है एक : बाबूलाल मरांड़ी

झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में बीजेपी एक बार फिर सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा कि जो लोग परिवारवाद के पोषक हैं और जिनको लगता है कि पीएम मोदी के चलते इस परिवारवाद को खतरा है, उनकी राजनीति संकट में है, वहीं लोग एकत्र हो रहे हैं, बीजेपी नेता ने कहा कि पीएम मोदी का कहना है कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा। पीएम मोदी वंशवाद को समाप्त कर देंगे इसलिए विपक्षी एकजुटता रो रही है। बाबूलाल मरांडी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर भी हमला बोला। 2024 में अरविंद केजरीवाल के चेहरे के सवाल पर मरांडी ने कहा कि केजरीवाल खुद को ईमानदार कहते हैं और आज इनके मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन जेल में हैं, उन्होंने लालू यादव, अरविंद केजरीवाल और शिबू सोरेन के परिवार के नाम गिनाये। बीजेपी नेता ने पटना में 23 जून को विपक्षी दलों के एकत्र होने के सवाल पर कहा कि ये वही लोग हैं जो परिवार और पैसे के लिए एकत्र हो रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगया कि झारखण्ड में हेमंत सोरने के सारे लोग जमीन पत्थर कोयला के लूट मे लगे हैं, बाबूलाल मरांडी ने कॉमन सिविल कोड की वकालत की, उन्होंने कहा कि देश में समान कानून लागू होना चाहिए. कानून सभी के लिए सामान रूप से लागू हो।

गठबंधन के बाद और आक्रामक होगा विपक्ष

एनसीपी चीफ शरद पवार खुद इसके बारे में बता चुके हैं। उन्होंने पिछले दिनों मीडिया से बातचीत में कहा कि विपक्ष के सभी दलों ने गठबंधन करने का फैसला ले लिया है। अब सभी भाजपा सरकार के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगे। महंगाई, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, हिंसा, भ्रष्टाचार, अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया जाएगा। बड़े पैमाने पर रैलियां, जनसभाएं होंगी। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नेता यात्रा और मार्च निकालेंगे। इसके जरिए भाजपा सरकार को चारों तरफ से घेरने की कोशिश होगी।

हिंदुत्व से मोदी को घेरेगी कांग्रेस

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने सोमवार को मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर से विधानसभा चुनावों का शंखनाद किया। प्रियंका गांधी ने नर्मदा के ग्वारीघाट तट पर मां नर्मदा का पूजन और महाआरती कर चुनावी अभियान को शुरू किया। मां नर्मदा का आशीर्वाद लेने के बाद वह शहीद स्मारक पहुंची जहां उन्होंने एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया। अपने भाषण में प्रियंका गांधी ने केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने मध्यप्रदेश में हो रहे भ्रष्टाचार बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरा तो साथ ही धर्म के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। प्रियंका गांधी ने प्रदेश सरकार को महालोक के मुद्दे पर भी घेरा। मूर्तियों के टूटने पर प्रियंका ने कहा इन्होंने महाकाल को नहीं छोड़ा, नर्मदा मैया को नहीं छोड़ा। महाकाल मंदिर की मूर्तियों में भी पैसे खाए हैं। कहां जाकर रुकेंगे ये लोग। मेरे पास एक पंडित जी ने वीडियो भेजा था, उनका कहना था कि तेज हवा चलती है को मूर्तियां हिलने लगती हैं। प्रियंका गांधी ने बीजेपी पर धर्म की राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र में 9 साल हो गए, मध्यप्रदेश में 18 साल हो गए, ये राजनीति बहुत आगे बढ़ चुकी है। आपकी जरूरतों को नकार रही है। आपके जज्बातों को उकसाया जाता है। हमारे लिए हमारा धर्म सर्वोपरि है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पब्लिक को बहकाया जाए। पब्लिक के जज्बात उभारकर वोट मांगा जाए। कोई नेता, राजनीतिक दल ऐसा कर रहा है, तो आप उनकी आदत बिगाड़ रहे हो। आदिवासियों की दुर्दशा हो रही है।

 

 

 

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