विपक्षी एकता की बैठक से पहले कांग्रेस व बसपा में पकने लगी सियासी खिचड़ी
नई दिल्ली। भाजपा के खिलाफ विपक्षी गोलबंदी की पहल के लिए पटना में 23 जून को होने वाली बैठक से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कांग्रेस से गठबंधन की संभावनाएं टटोलनी शुरू कर दी हैं। समझा जाता है कि बसपा के प्रतिनिधि ने कांग्रेस मुख्यालय पहुंचकर कांग्रेस संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी से भेंट कर इसकी संभावनाएं टटोलने की यह कसरत की।
बसपा या कांग्रेस किसी ओर से इस बारे में अधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन चर्चा गर्म है कि बसपा सुप्रीमो की तरफ से कांग्रेस को पहले तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में साझेदारी के विकल्प पर विचार करने को कहा गया है।
इसके बाद 2024 में उत्तर प्रदेश की 40-40 लोकसभा सीटों पर मिलकर चुनाव लडऩे का संभावित फार्मूला भी बसपा की ओर से दिए जाने की चर्चा है।
अभी कुछ दिन पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव एसए संपत कुमार और बसपा के तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष आरएस प्रवीन कुमार की मुलाकात हुई थी। इसके बाद कांग्रेस और बसपा की निकटता की अटकलें शुरू हुईं, लेकिन इसे स्थानीय समीकरणों के दृष्टिकोण से देखकर गंभीरता से नहीं लिया गया।
लेकिन, इसी कड़ी में नया घटनाक्रम सोमवार को हुआ, जब उत्तर प्रदेश से बसपा के एक वरिष्ठ नेता दिल्ली पहुंचे और कांग्रेस मुख्यालय में जाकर पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी से भेंट की।
सूत्रों ने बताया कि बसपा ने कांग्रेस को पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में गठबंधन करने का प्रस्ताव दिया है। इसके बाद उत्तर प्रदेश में लोकसभा का चुनाव साथ लडऩे की संभावनाओं पर गौर करने को कहा है।
बसपा के प्रस्ताव के मुताबिक, सहमति बनती है तो दोनों पार्टियां के सामने सूबे की 40-40 लोकसभा सीटों पर चुनाव लडऩे का विकल्प है।
हालांकि अभी कांग्रेस की ओर से पेशकश को लेकर खास दिलचस्पी नहीं दिखाई गई है। तर्क दिया जा रहा है कि दोनों दलों का गठबंधन होता है तो जातीय समीकरण भी मुफीद बैठते हैं।
मुस्लिम समुदाय यूपी में सपा और बसपा दोनों पर विश्वास करता रहा है और उसे कांग्रेस के साथ जाने में भी परहेज नहीं होगा। सवर्ण और दलित कांग्रेस के साथ पहले जुड़े रहे हैं और प्रदेश में बसपा की सरकार बनवा चुके हैं।
कांग्रेस की ओर से बसपा के इस प्रस्ताव पर विचार शुरू नहीं हुआ है और 23 जून की विपक्षी दलों की बैठक के बाद ही उसकी ओर से कोई प्रतिक्रिया दी जाएगी।
बसपा खेमे से मिले संकेतों के अनुसार, कांग्रेस प्रस्ताव पर इसलिए भी विचार कर सकती है क्योंकि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कई दिग्गज नेता कहते रहे हैं कि कांग्रेस को आगे बढऩे का रास्ता उत्तर प्रदेश में पार्टी की मजबूती से ही मिलेगा।
विपक्षी एकता की पहल के बीच 2017 के गठबंधन के विफल प्रयोग को देखते हुए कांग्रेस को बराबर सीटें देने को सपा तैयार नहीं दिख रही। ऐसे में बसपा के साथ 40-40 सीटों के गठबंधन में कांग्रेस के लिए अधिक संभावनाएं बनेंगी।