विपक्षी एकता ने उड़ाई भाजपा की नींद

बौखलाहट में विपक्षी नेताओं के करीबियों के यहां छापे

  • जदयू ने कहा एकता से 450 सीटों पर पड़ सकता है प्रभाव
  • भाजपा ने बोला कोई कुछ भी करले फिर आएगी मोदी सरकार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार को केंद्र की सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्ष एकजुट होने के प्रयास में लगा हुआ है। दक्षिण से लेकर उत्तर भारत तक के सियासी दल वर्तमान मोदी सरकार को घेरने का कोई भी मौका छोडऩा नहीं चाहते हैं। इसी सिलसिले में आप के नेता अरविंद केजरीवाल, जदयू व बिहार के सीएम नीतीश कुमार, बीआरएस नेता चंद्रशेखर राव पूरेे देश में घूमकर विपक्ष को एकजुट करने में लगेे हैं। इस एकजुटता के शोर से भाजपा की मोदी सरकार की नींद उड़ी हृुई है।
इसी बौखलाहट में उसने 21 को महाराष्ट्र व 22 को बिहार में ताबड़तोंड ईडी व आईटी के छापे विपक्षी नेताओं से जुड़े लोगों के यहां डलवा कर एकता को डराने की कोशिश की पर विपक्ष ने कहा हम पीछे नहीं हटेंगे। वहीं बीजेपी ने कहा कि कुछ भी कर ले विपक्ष सत्ता में नहीं आ पएंगी मोदी फिर से सरकार बना लेंगे। हालांकि 23 जून को पटना में होने वाली बैठक से पहले आप ने अध्यादेश मामले पर कांग्रेस को अल्टीमेटम देकर कहा कि अगर वह समर्र्थन करेगी तभी आप भाग लेगी। इससे विपक्षी एकता को तगड़ा झटका लगा है। हालांकि इसके बाद मानमनौव्वल का दौर भी शुरू हो गया है। शुक्रवार को पता चलेगा कौन-कौन इस बैठक में मौजूद रहता है। विपक्षी दलों की महाबैठक से पहले ही घमासान शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को अल्टीमेटम दे दिया है कि अगर अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस समर्थन नहीं देती, तो वो विपक्षी बैठक का बॉयकॉट करेगी। आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को केंद्र की सत्ता से बाहर करने के उद्देश्य से देश के प्रमुख विपक्षी दलों के शीर्ष नेता शुक्रवार को पटना में मंथन करेंगे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी मोर्चा के गठन की रणनीति बनाएंगे।

नीतीश ने थर्ड फ्रंट को फस्ट फ्रंट में बदला : त्यागी

जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने का काम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है। केसी त्यागी ने थर्ड फ्रंट को फस्ट फ्रंट बताते हुए कहा, नीतीश कुमार ने सबसे पहला काम यह किया है कि उन्होंने यह बताया, बिना कांग्रेस के कोई सार्थक विपक्ष नहीं हो सकता है। कई पार्टियों को लगता है कि कांग्रेस के बिना लोकसभा चुनाव में एनडीए को कड़ी टक्कर दी जा सकती है। नीतीश कुमार ने थर्ड फ्रंट को फस्ट फ्रंट में परिवर्तित कर दिया।नीतीश कुमार जिन राजनीतिक दलों के नेताओं और अध्यक्षों को एकजुट कर एक मंच पर लाए हैं, वो करीब 450 सीटों पर अपना प्रभाव डालते हैं।

कहीं ना कहीं तो शरण लेनी पड़ती है : मांझी

बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन से अलग होने के बाद हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने एनडीए (एनडीए) में शामिल होने की घोषणा की है। इसको लेकर पिछले दो दिनों से पार्टी के संरक्षक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपने बेटे पूर्व मंत्री संतोष सुमन के साथ बीजेपी के बड़े नेताओं से मिल रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद वो बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिले। इसके बाद जीतन राम मांझी ने कहा कि राजनीति में कहीं ना कहीं तो शरण लेनी पड़ती है। मांझी ने कहा कि जब हमारी पार्टी का जेडीयू में विलय करने की बात की, आविश्वास किया, जासूसी का आरोप लगाया तो हम क्या करते। हम तो निष्ठा के साथ काम करते हैं। राजनीति में कहीं ना कहीं तो शरण लेनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि जब नीतीश कुमार ने बाहर जाने की ही बात कर दी, तो कसम कहां रह जाता है। उन्होंने कहा कि या तो पार्टी में शामिल हो जाओ, नहीं तो बाहर जाओ तो फिर मैं क्या करता। वहीं विपक्षी दलों की 23 जून को होने वाली बैठक को लेकर मांझी ने कहा कि नरेंद्र मोदी के सामने कोई नेता नहीं है। वपक्षी एकता नहीं बन पाएगी। उनका नेता कौन होगा, इसको लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है, अभी एनडीए के सामने देश में कोई विकल्प नहीं है। नीतीश सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी के करीबी के घर पर छापेमारी पर मांझी ने कहा कि जिनके पास पैसे होंगे, उन्हीं के पास ही जांच एजेंसी पहुंचेंगी। हमारे यहां कहां आती है, जिनके पास अवैध धन होता है, अकूत संपत्ति होती है, उन्हीं के पास ये एजेंसी जाती है।

नीतीश कुमार का हम पर विश्वास नहीं रहा- संतोष सुमन

वहीं हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार सरकार में पूर्व मंत्री संतोष सुमन ने कहा कि जब उनका विश्वास नहीं रहा तो क्या करते। इसलिए हमने गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष से मुलाकात की। पहले ही मैंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि जब नीतीश जी एनडीए से बाहर महागठबंधन में आए तो वह पूरी तरह बदल गए। अधिकारी से लेकर नीतियों तक में हम लोगों ने समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने। कसम हम लोगों ने नहीं तोड़ी है, जब नीतीश जी हम पर अविश्वास करने लगे तो क्या करते। सुमन ने कहा कि यह गठबंधन आगे बढ़ेगा। हम गरीबों और बिहार के विकास के लिए काम करेंगे।

ये विपक्षी दल बैठक में हो रहे शामिल

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिाकार्जुन खरगे, पार्टी के नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार के विपक्षी दलों की होने वाली इस पहली उच्च स्तरीय बैठक में भाग लेने की उम्मीद है।

आप ने कांग्रेस पर बनाया दबाव

आम आदमी पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अगर कांग्रेस ने शुक्रवार की बैठक में अध्यादेश पर समर्थन करने का आश्वासन नहीं दिया, तो आप बैठक से तुरंत वाकआउट करेगी। केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं को पत्र लिखकर 23 जून को होने वाली गैर-भाजपा दलों की बैठक में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण को लेकर केंद्र के अध्यादेश पर चर्चा करने और मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। इससे पहले आप के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं से कहा कि वे इसे दिल्ली केंद्रित समस्या के तौर पर नहीं सोचें और दावा किया कि यदि विरोध नहीं किया गया तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला केंद्र अन्य राज्यों के लिए भी इसी तरह का अध्यादेश ला सकता है। केंद्र ने 19 मई को दिल्ली में ग्रुप-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना पर एक प्राधिकरण बनाने के लिए अध्यादेश जारी किया था, जिसे ‘आप नीत सरकार ने सेवाओं पर नियंत्रण से जुड़े उच्चतम न्यायालय के फैसले के साथ धोखा करार दिया था। शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार में सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना के मामले उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में थे। अध्यादेश के बाद, केजरीवाल गैर-भाजपा दलों के नेताओं से लगातार संपर्क करके इसके खिलाफ समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि संसद में इससे संबंधित विधेयक पारित न हो पाए।

वन अगेंस्ट वन का फॉर्मूला होगा प्रभावी

नीतीश कुमार का वन अगेंस्ट वन का फॉर्मूला बेहद प्रभावी होगी। अगर इस फॉर्मूले पर चलने के लिए सभी विपक्षी दल तैयार हो जाते हैं, तो चुनाव परिणामों में काफी अंतर देखने को मिल सकता है। केसी त्यागी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महागठबंधन की धुरी बताया। नीतीश कुमार समन्वय का काम कर रहे हैं। बैठक में शामिल होने वाली आधा दर्जन पार्टी ऐसी हैं, जो कांग्रेस पार्टी से दूरी बनाए हुए थीं। वहीं, कांग्रेस पार्टी मानती थी कि इन पार्टियों ने ही उसका पॉलिटिकल प्लेस छीना है। कांग्रेस और इन पार्टियों के बीच नीतीश कुमार ने ही एक धुरी का काम किया है। नीतीश कुमार की तुलना केसी त्यागी ने जॉर्ज फर्नांडिस से करते हुए कहा। हम लोगों ने ऐसी ना कोई मांग की है और ना ही हम ऐसी कोई अपेक्षा रखते हैं, लेकिन भारत की राजनीति में जो भूमिका कभी जॉर्ज फर्नांडिस की एनडीए बनाने में थी या हरकिशन सिंह सुरजीत की यूनाइटेड फ्रंट को बनाने मैं थी, लगभग आज वैसी ही भूमिका नीतीश कुमार की है और इस पर हम बहुत गर्व भी करते हैं।

 

 

 

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