हरियाली तीज- प्राचीन शिव मंदिरों के करें दर्शन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
श्रावण मास जारी है। यह माह भगवान शिव का बहुत प्रिय माना जाता है। सावन में शिव जी की उपासना की जाती है और शिव मंदिरों के दर्शन कर पूजा अर्चना करते हैं। सावन के महीने में हरियाली तीज, नागपंचमी जैसे त्योहार मनाए जाते हैं। यह पर्व भी भगवान भोलेनाथ से जुड़े हुए हैं। इस मौके पर देशभर के शिव मंदिरों में भव्य आयोजन होते हैं। मंदिर में भक्तों की भीड़ लगती है, जो भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक और पूजा अर्चना करने यहां पहुंचते हैं। इस वर्ष हरियाली तीज 19 अगस्त को है। हरियाली तीज के मौके पर शिव मंदिरों के दर्शन के लिए जा सकते हैं। भारत के कुछ प्राचीन और अद्भुत शिव मंदिरों में दर्शन करने का प्लान बनायें।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, बनारस

दो दिन का वक्त है तो उत्तर की पवित्र नगरी बनारस जा सकते हैं। बनारस को काशी या वाराणसी के नाम से भी जाना जाता है। यह बाबा विश्वनाथ का धाम है। बनारस में गंगा नदी के पश्चिम घाट पर सातवें ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ का मंदिर है। मान्यता है कि यह शहर शिव जी के त्रिशूल पर टिका है। हरियाली तीज या नागपंचमी के मौके पर काशी विश्वनाथ मंदिर में काफी भीड़ हो सकती है।

तुंगनाथ मंदिर, गढ़वाल

दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर तुंगनाथ मंदिर है, जो कि उत्तराखंड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। महादेव के पंच केदारों में से एक यह मंदिर चारों ओर से बर्फ से ढका रहता है।

जटोली मंदिर सोलन

हरियाली तीज वीकेंड पर मनाया जा रहा है और इसके बाद सोमवार को नागपंचमी है। अगर आपके पास तीन दिन का वक्त है और परिवार या दोस्तों संग किसी ट्रिप पर जाने की इच्छा है तो एशिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर से करीब सात किलोमीटर दूर है। एशिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर का नाम जटोली मंदिर है। मंदिर को दक्षिण द्रविड़ शैली से बनाया गया है।

शंगचुल महादेव मंदिर, कुल्लू

महाभारत काल से हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के शांघड़ गांव में एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो शंगचुल महादेव के नाम से मशहूर है। शंगचुल महादेव मंदिर का सीमा क्षेत्र करीब 100 बीघा का मैदान है। जैसे ही इस सीमा में कोई प्रेमी युगल पहुंचता है वैसे ही उसे देवता की शरण में आया हुआ मान लिया जाता है। यहां भागकर आए प्रेमी युगल के मामले जब तक सुलझ नहीं जाते तब तक मंदिर के पंडित प्रेमी युगलों की खातिरदारी करते हैं।

 

 

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