महिला समाख्या कर्मी भुखमरी की कगार पर

सरकार ने लगाई मदद की गुहार, मांगे न मानने पर महाधरना जारी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। महिला समाख्या कार्यक्रम से जुड़े कर्मियों ने अपनी मांगे न माने जाने के बाद धरना प्रदर्शन किया है। कर्मचारियों ने बताया कि प्रदेश के सैकड़ों निराश्रित महिलाएं सामाख्या से जुड़ी हैं। इन कर्मचारियों ने अपनी समस्याओं का निराकरण करने के लिए मुख्यमंत्री,व उपमुख्यमंत्रियों से गुहार लगाई है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वित्त पोषित विगत 33 वर्षो से चलाया जाने वाला महिला सशक्तीकरण एवं जेण्डर समानता हेतु चलाया जाने वाला सरकार अपना एक अनोखा अकेला कार्यक्रम है।
इस कार्यक्रम को 9 जनवरी-2017 में उत्तर प्रदेश द्वारा महिला कल्याण विभाग द्वारा पूर्ण रूप से मूल रूप में अंगकृत कर किया गया। कार्यक्रम के अन्तर्गत: लगभग 800 कर्मचारी लगातार जुड़े हुए है जिसमें ज्यादातर एकल विधवा एवं अविवाहित जीवन जीकर विभिन्न वाह्य जनपदों में अपने परिवार की जीवकोपार्जन हेतु संघर्षपूर्ण जीवन जी रही है। इन परिवारों में शिक्षा हेतु बच्चों का नामांकन, परिवार में स्वास्थ्य एवं इलाज एवं सामाजिक दायित्वों की मूर्ति न करके भूखमरी की कगार पर है। 19 जनपदों की ढाई लाख से ज्यादा महिलाएँ एवं किशोरियों घरेलू हिंसा से पीडि़त होकर अपनी आवाज को घर के अन्दर दबाने को मजबूर हैं।
सरकार द्वारा 25 जून 2020 को शासनादेश जारी कर तत्काल प्रभाव से महिला समाख्या कार्यक्रम को वन स्टाप सेंटर एवं महिला सशक्तीकरण में समेकित रूप से समाहित कर संचालित करने का निर्णय लिया गया है परन्तु वर्तमान समय तक इसका अनुपालन नही किया गया है जिससे सभी कार्यकर्ताएं भूखमरी के कगार पर पहुँच कर मरने की स्थिति पर पहुँच गये हैं। अत: कोई आशा की किरण न दिखाई देने पर कार्यकर्ता कुछ भी कदम उठाने को मजबूर है, जिसके लिए शासन तंत्र जिम्मेदार है। दिनांक 13 अगस्त-2023 से हमारी टीम द्वारा इको गार्डन में शान्तिपूर्वक भूख हड़ताल पर बैठी। जिलाधिकारी व समाचार मीडिया के माध्यम से पूर्व में भी इस सम्बनध में सूचना सरकार स्तर पर दिया गया है। परन्तु आज तक शासन स्तर से कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं हुआ है।

 

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