कांग्रेस नेता मनीष तिवारी का दावा, चीन ने भारत की दो हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर किया है अवैध कब्जा

नई दिल्ली। चीन ने एक मानचित्र जारी किया है, जिसमें उसने पूरे अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बताया है। चीन के इस दावे पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मीडिया से बात करते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि चीन का दावा बेतुका और निरर्थक है। यह भारत और चीन के सीमा विवाद के इतिहास से पता चलता है। आज हकीकत यह है कि चीन ने कई बिंदुओं पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन किया है।
कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चीन के द्वारा एलएसी के उल्लंघन पर केंद्र सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए। उसे आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या इस माहौल में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान शी जिनपिंग की मेजबानी करना भारत के स्वाभिमान के अनुरूप होगा, जब चीन ने एलएसी के साथ 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है।
मनीष तिवारी ने कहा कि अवैध रूप से कब्जा किए स्थानों को खाली करने की जरूरत है… संक्षेप में कहें तो, चीनी मानचित्र बेतुके हैं। वे भारत-चीन सीमा विवाद के इतिहास से मेल नहीं खाते हैं। चीन का अरुणाचल प्रदेश पर कोई दावा नहीं बनता है।
गौरतलब है कि चीन ने सोमवार को 2023 का मानचित्र जारी किया, जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को उसने अपना हिस्सा बताया है। हालांकि, भारत ने कई बार उसके इस दावे का खंडन किया है। भारत का स्पष्ट रूप से मानना है कि अरुणाचल प्रदेश देश का अभिन्न अंग रहा है और हमेशा रहेगा। चीन ने ताइवान को भी अपना हिस्सा बताया है। इसके साथ ही उनसे दक्षिण चीन सागर भी अपना दावा ठोका है, जबकि वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और ताइवान पर भी इस पर दावा करते हैं।
बता दें, इस साल की शुरुआत में चीन ने भारत के 11 स्थानों का नाम बदल दिया था। इस पर प्रतिक्रिया देते भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि यह पहली बार नहीं है कि चीन ने नाम बदलने का प्रयास किया है। पहले भी वह ऐसा काम कर चुका है। हम ऐसे कि सी भी प्रयास की निंदा करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। नाम बदलने से यह सच्चाई नहीं बदलेगी।

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