पिछड़ी जाति को लेकर राहुल ने मोदी पर बोला तीखा हमला
सत्ता पक्ष पीट रही ढिंढोरा, विपक्ष बोला- सिर्फ चुनावी शिगूफा
सब बोले- तत्काल लागू किया जाए अधिनियम
कांग्रेस की मांग- जनगणना व परिसीमन को हटाया जाए, पिछड़ों को मिले कोटा
भाजपा बोली- ऐतिहासिक क्षण, बजेगा महिलाओं का डंका
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। महिला आरक्षण बिल संसद के लोकसभा व राज्य सभा भारी बहुमत से पास हो गया है। अब उसके बाद इस पर राजनीति भी शुरू हो गई। जहां भाजपा इस बिल के पास होने के बाद जश्न मना रही है वहीं कांग्रेस ने इसे असली मुद्दों से भटकाने वाला बताकर मोदी सरकार को घेरा है।
गौरतलब हो कि नई संसद भवन में चले विशेष सत्र में पहले लोकसभा में फिर राज्य सभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। अब यह राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बन जाएगा। पर अभी इसे लागू करने में कम से कम 6 से 7 साल लग जाएंगे, इसी को लेकर मोदी सरकार पर पूरा विपक्ष हमलावर भी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सच तो यह है कि आरक्षण आज लागू हो सकता है। यह कोई जटिल मामला नहीं है लेकिन सरकार ऐसा नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसे देश के सामने पेश कर दिया है लेकिन इसे अब से 10 साल बाद लागू किया जाएगा। कोई नहीं जानता कि यह लागू भी होगा या नहीं। संसद से महिला आरक्षण विधेयक पास होने के बाद राजनीति भी जारी है। भले ही लगभग सभी राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन किया है। लेकिन कहीं ना कहीं उनकी ओर से सवाल भी उठाए जा रहे हैं।
ध्यान भटकाने की हो रही कोशिश : राहुल
इन सबके बीच आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने साफ तौर पर कहा कि महिला आरक्षण को आज से ही लागू किया जा सकता है। लेकिन सरकार ऐसा नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना से ध्यान भटकने की लगातार सरकार की ओर से कोशिश हो रही है। उन्होंने मांग की की नारी शक्ति वंदन बिल से दो प्रावधान जनगणना और परिसीमन को हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक बढिय़ा है लेकिन हमें दो फ़ुटनोट मिले कि जनगणना और परिसीमन उससे पहले करने की ज़रूरत है। इन दोनों में वर्षों लगेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसे देश के सामने पेश कर दिया है लेकिन इसे अब से 10 साल बाद लागू किया जाएगा। कोई नहीं जानता कि यह लागू भी होगा या नहीं। यह ध्यान भटकाने की युक्ति है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि ऐसा क्या है जिससे आपका ध्यान हटाया जा रहा है? ओबीसी जनगणना से। मैंने संसद में एक संस्था के बारे में बात की, जो भारत सरकार चलाती है – कैबिनेट सचिव और सचिव…मैंने पूछा कि 90 में से केवल तीन लोग ओबीसी समुदाय से क्यों हैं?…मुझे समझ नहीं आता कि पीएम मोदी क्या बोलते हैं हर दिन ओबीसी की लेकिन उन्होंने उनके लिए क्या किया?
राज्यसभा में पक्ष में पड़े 214 वोट
इससे पहले लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के प्रावधान वाला 128वां संविधान संशोधन विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में पास हो गया। दिनभर की लंबी चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया गया। बिल के पक्ष में 214 वोट पड़े, जबकि किसी ने भी बिल के खिलाफ वोट नहीं डाला। इसी के साथ संसद और विधानसभाओं में महिला सशक्तिकरण की राह में बीते 27 साल से पड़ा सूखा खत्म हो गया और नए संसद भवन ने पहले ही सत्र में नारी शक्ति का वंदन करने का नया इतिहास रच दिया। इससे पहले विधेयक को बुधवार को लोकसभा से मंजूरी मिल गई थी। लोकसभा ने भी इस बिल को दो तिहाई बहुमत के साथ पास किया था। इसके पक्ष में 454 और विरोध में दो वोट पड़े थे।
पूर्ण बहुमत वाली सरकार बड़े फैसले लेती है : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए महिला आरक्षण विधेयक पारित होने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह भाजपा की प्रतिबद्धता थी और उसने आज इसे पूरा कर दिया। उन्होंने कहा कि दशकों की बाधाएं थीं, लेकिन जब इरादा स्पष्ट होता है, तो हम परिणाम देखते हैं। उन्होंने बिल के पक्ष में वोट करने के लिए सांसदों को धन्यवाद देते हुए कहा कि सांसदों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर बिल का समर्थन किया। मोदी ने कहा कि मैं आज देश की सभी महिलाओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। कल और परसों हमने एक नया इतिहास बनते देखा। हमारा सौभाग्य है कि करोड़ों लोगों ने हमें यह इतिहास बनाने का अवसर दिया है। वहीं ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक के संसद से पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को भाजपा मुख्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने पार्टी की महिला कार्यकताओं का अभिवादन किया। उन्होंने महिला कार्यकर्ताओं के पैर भी छुए। इसके बाद महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं ने पीएम मोदी का अभिनंदन किया।
लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में लालू को कोर्ट से झटका, भेजा समन
चार अक्टूबर तक हाजिर होने का आदेश, नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामला
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। लालू यादव की नौकरी के बदले जमीन घोटाले में मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने अब उन्हें समन भेजकर पेश होने के लिए कहा है। बिहार के पूर्व सीएम और राजद सुप्रीमो लालू यादव के साथ रेलवे के पूर्व अधिकारियों और अन्य आरोपियों को भी यह समन भेजा गया है।
इन सभी को चार अक्टूबर को पेश होने के लिए कोर्ट ने कहा है। 12 सितंबर को, सीबीआई ने अदालत को सूचित किया था कि मामले में एक ताजा आरोप पत्र में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी गृह मंत्रालय से प्राप्त की गई थी। यह घटनाक्रम जुलाई में अदालत द्वारा बिहार के नेता और अन्य आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी प्राप्त करने के लिए सीबीआई को समय दिए जाने के बाद हुआ। यह मामला कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है जब लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे। सीबीआई का आरोप है कि जमीन के बदले कथित तौर पर लोगों को रेलवे में नौकरी दी गई।
भाजपा को लगा सुप्रीम झटका, केजरीवाल सरकार के फैसले पर हस्तक्षेप से इंकार
दिल्ली में दिवाली पर नहीं फोड़ पाएंगे पटाखे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली में दिवाली पर पटाखे फोडऩे का इंतजार कर रहे लोगों को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर दिल्ली में सभी प्रकार के पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। शीर्ष न्यायालय ने इसी के साथ बेरियम का उपयोग कर पटाखों के निर्माण और उपयोग की मांग वाली याचिका भी खारिज कर दी है।
केंद्र सरकार और पटाखा निर्माताओं ने इन पटाखों के निर्माण और बिक्री की प्रक्रिया की जानकारी स्ष्ट को दी थी। दोनों ने इनके निर्माण को मंजूरी का अनुरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में सभी जगह बेरियम युक्त पटाखों पर बैन रहेगा। बेरियम से बने पटाखे कोई नहीं जला सकता। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर को छोडक़र हर जगह ग्रीन पटाखों को जलाया जा सकता है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने हाल ही में राज्य में पटाखों के निर्माण, बिक्री और जमाखोरी पर बैन लगाया था। कोर्ट ने इससे पहले भी कहा था कि लोगों का स्वास्थ्य जरूरी है, न कि पटाखे जलाने। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार ने जो फैसला लिया है उसका कड़े तरीके से पालन होना चाहिए।
भाजपा ने किया था विरोध
बता दें कि दिल्ली सरकार के फैसला का दिल्ली भाजपा ने कड़ा विरोध किया था। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल हिंदूओं को उनका त्योहार अच्छे से मनाने नहीं देना चाहते हैं। इससे पहले भाजपा नेता मनोज तिवारी ने भी सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार के खिलाफ याचिका डाली थी।