मणिपुर में फिर भडक़ी हिंसा, भाजपा का दफ्तर जलाया, पीएम मोदी के न जाने पर उठे सवाल
- जुलाई से लापता दो छात्रों की लाशों की तस्वीर मिलने से मचा बवाल
- जहां भडक़ी हिंसा उन्हीं इलाकों को सरकार ने घोषित किया ‘शांतिपूर्ण’
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
इंफाल। जुलाई से लापता दो छात्रों की लाशों की तस्वीर सामने आने के बाद मणिपुर में एक बार फिर से हिंसा भडक़ गई और माहौल तनावपूर्ण हो गया है। इन तस्वीरों के सामने आने के बाद राजधानी इंफाल में फिर से लगातार हिंसक घटनाएं सामने आ रही हैं। इस दौरान कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़प भी देखी गई। इन प्रदर्शनकारियों में बड़़ी संख्या में छात्र शामिल थे। इस हिंसा में 50 घायल हुए हैं जिनमें से ज्यादातर स्कूली छात्र हैं। इस दौरान सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि जिन इलाकों में हिंसा भडक़ी है और लोगों की जानें गई हैं, मणिपुर सरकार ने उन इलाकों को शांतिपूर्ण घोषित कर रखा है और एएफएसपीए से भी दूर रखा गया है। ऐसे में एक बार फिर प्रदेश की भाजपा सरकार सवालों के घेरे में है। वहीं लगातार हिंसक घटनाएं होने के बाद भी पीएम मोदी के न तो इन पर बोलने पर और न मणिपुर जाने पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। 3 मई से शुरू हुई हिंसा में शुरू से अब तक सरकार और सुरक्षाबलों के खिलाफ लोगों में इतनी नाराजगी देखने को नहीं मिली थी।
पीएम मोदी के मणिपुर न जाने पर हो रही आलोचना
एक ओर मणिपुर लगातार जल रहा है, लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे पूरी तरह से बेखबर नजर आ रहे हैं। क्योंकि पीएम मोदी ने अभी तक मणिपुर का एक भी दौरा तक नहीं किया है और न वो वहां की स्थितियों का जायजा लेने पहुंचे हैं। यही वजह है कि पीएम मोदी के मणिपुर न जाने पर विपक्ष समेत आम जनता भी लगातार सवाल उठा रही है। इसको लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मणिपुर 147 दिनों से जल रहा है लेकिन पीएम मोदी को वहां जाने का समय नहीं है। वहीं राहुल गांधी भी इसको लेकर पीएम मोदी पर निशाना साध चुके हैं। गौरतलब है कि राहुल गांधी मणिपुर का दौरा कर चुके हैं और वहां के पीडि़तों से मुलाकात भी कर चुके हैं।
भाजपा अध्यक्ष के घर पर भी हमला
इस हिंसा की चपेट में भाजपा का कार्यालय और मणिपुर भाजपा अध्यक्ष का घर भी आ चुका है। बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने थोबुल जिले में बीजेपी ऑफिस में भी आग लगा दी। वहीं इंफाल में भाजपा अध्यक्ष शारदा देवी के घर पर हमला किया और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का पुतला जलाया गया। इंफाल वेस्ट जिले में प्रदर्शनकारियों ने डिप्टी कलेक्टर के घर में आगजनी की कोशिश की। घर के कैंपस में खड़ी दो कारों को आग लगी दी और खिड़कियों के कांच तोड़ दिए। इंफाल में प्रदर्शनकारियों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले, नकली बम फेंके और पैलेट गन चलाई। इंफाल के सिंग जामेई इलाके के 20 साल के एस उत्तम नाम के छात्र के सिर में कई छर्रे घुसने से उसकी हालत गंभीर है।
सीएम बीरेन सिंह और सरकार पर मैतेई समर्थक होने के आरोप
इस दौरान सीएम बीरेन सिंह और सरकार पर पहले ही मैतेई समर्थक होने के आरोप लगते रहे हैं। ये फैसला विवादों में इसलिए है क्योंकि शांतिपूर्ण घोषित किए गए इंफाल, थोबुल में ही मैतेई लोगों की भीड़ ने आगजनी की और भाजपा दफ्तर जला दिया। स्कूल खुलने के बाद इन्हीं इलाकों में स्टूडेंट इक_ा हुए और प्रदर्शन किया। इसी के बाद हिंसा फिर भडक़ी और 50 लोग घायल हुए हैं। ऐसे में हिंसाग्रस्त इलाकों को शांतिपूर्ण बताकर एएफएसपीए से दूर रखा जाना फिलहाल समझ से परे है।
पंजाब में किसानों का रेल रोको आंदोलन, जाम किए रेलवे ट्रैक
- फसलों की बर्बादी पर मुआवजे की मांग को लेकर तीन दिवसीय प्रदर्शन
- ट्रैक जाम होने से यातायात में पड़ा व्यवधान
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
अमृतसर। पंजाब में एक बार फिर किसान आंदोलन की यादें ताजा हो गई हैं। क्योंकि प्रदेश में एक बार फिर किसान उसी अंदाज में केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर बैठ गए हैं। पंजाब के 19 किसान-मजदूर संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर आज से 30 सितंबर तक रेल रोको आंदोलन शुरू कर दिया है। पंजाब भर में किसान रेलवे लाइनों पर बैठ गए हैं। रेलवे ट्रैक जाम होने के बाद दिल्ली से अमृतसर, पठानकोट से अमृतसर और पंजाब से चंडीगढ़ के रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों का चक्का जाम हो गया है। ट्रेनों का चक्का जाम होने के कारण सैकड़ों यात्री पंजाब के रेलवे स्टेशनों पर फंस गए। किसानों का ये प्रदर्शन फसल बर्बाद होने पर मुआवजे की मांग को लेकर हो रहा है।
आज सुबह ही किसान बड़ी गिनती में रेलवे लाइनों के पास इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने बताया कि किसान तीन दिन की पूरी तैयारी के साथ आए हैं। खाने-पीने व बैठने का पूरा इंतजाम हो चुका है और ट्रॉलियों में सोने के लिए गद््दे भी किसान साथ लेकर आए हैं। वहीं, हरियाणा के किसान नेता भी पंजाब के समर्थन में आ गए हैं।
प्रति एकड़ 50 हजार रुपए मुआवजा देने की मांग
किसानों का कहना है कि बाढ़ और बरसात से फसलों का भारी नुकसान हुआ है। बहुत सारे किसानों की न तो अभी तक गिरदावरी हुई है और न ही उन्हें मुआवजा मिला है। जिन्हें मिला भी है, वह बहुत कम है। किसान संगठनों का कहना है कि कम से कम प्रति एकड़ 50 हजार रुपए मुआवजा किसानों को दिया जाए। साथ ही केंद्र सरकार भी बाढ़ से हुए नुकसान के लिए 50 हजार करोड़ रुपए पंजाब को दे।
17 जगहों पर जाम किया रेलवे ट्रैक
इस आंदोलन में 19 जत्थेबंदियों ने 17 जगहों पर रेलवे ट्रैक जाम कर दिया है। इसमें मोगा रेलवे स्टेशन, अजीतवाल व डगरू, होशियारपुर, गुरदासपुर व डेरा बाबा नानक, जालंधर कैंट, तरनतारन, संगरूर के सुनाम, पटियाला के नाभा, फिरोजपुर के बसती टैंकां वाली व मल्लांवाला, बठिंडा के रामपुरा फूल, अमृतसर के देवीदासपुरा व मजीठा, फाजिल्का, मलेरकोटला के अहमदगढ़ में यह प्रदर्शन अगले तीन दिन तक जारी रहेगा।