उमर अब्दुल्ला ने फिर उठाई जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने की मांग, बोले- भाजपा की केंद्र सरकार में साहस नहीं

नई दिल्ली। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने दावा किया है कि अगर मजबूरी नहीं होती तो जम्मू-कश्मीर में संसदीय चुनाव नहीं होते और उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनावों को लेकर सरकार पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र में जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का साहस नहीं है। अपने बयान में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में, उन्होंने (भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार) कहा कि शहरी स्थानीय निकायों और पंचायतों के चुनाव होंगे। लेकिन कोई अधिसूचना नहीं है। कारगिल (रु्र॥ष्ठष्ट-कारगिल) चुनावों में सामने आने वाली चुनौतियाँ पूरे जम्मू और कश्मीर में बढ़ेंगी।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था। हम पांच साल तक राज्यपाल शासन के अधीन रहे हैं। 2019 के बाद महत्वपूर्ण सुधार के दावे किए गए हैं। यदि हां, तो चुनाव में देरी क्यों? उन्होंने दावा किया कि भाजपा लोगों का सामना करने को लेकर अपनी आशंकाओं के कारण चुनाव कराने में अनिच्छुक है। उन्होंने कहा कि भाजपा को जनता पर भरोसा है लेकिन उनके भीतर एक स्पष्ट डर है। वे जनता की भावना से भलीभांति परिचित हैं। संसदीय चुनाव कराना उनकी मजबूरी है। अगर उन्हें मजबूर नहीं किया जाता, तो वे संसदीय चुनाव भी नहीं कराते।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा, वे लोगों का सामना करने से कतराते हैं। संसदीय चुनावों से पहले कोई पंचायत, बीडीसी, डीडीसी, शहरी स्थानीय निकाय या विधानसभा चुनाव नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि कारगिल में हाल के चुनावों ने भाजपा की आशंकाओं को साबित कर दिया क्योंकि एनसी-कांग्रेस गठबंधन ने अधिकांश सीटें जीतीं। उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश के दिहाड़ी मजदूरों को आश्वासन दिया कि चुनाव अनिवार्य हैं और उनकी पार्टी के सत्ता में आने पर उन्हें नियमित किया जाएगा। उन्होंने कहा, निश्चिंत रहें, देर-सबेर चुनाव होंगे। एक बार जब एनसी सरकार सत्ता में आएगी, तो हम दैनिक वेतनभोगियों की स्थिति को नियमित करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

Related Articles

Back to top button