थाने और तहसील बन गए भ्रष्टाचार के अड्डे, कार्यकर्ताओं ने जमकर बजायी ताली
- बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में सीएम के सामने पूर्व विधायक राम इकबाल ने खोल दी कलई
- इस खुलासे से काफी लोग थे खुश कि सीएम के सामने किसी नेता ने तो दिखाया आईना
- डीजल के दामों को लेकर किसानों की परेशानी और थाने की लूट की बात पर जमकर बजी तालियां तो मंच पर बैठे नेताओं के छूटे पसीने
- देर रात तक मैनेजमेंट चला कि यह खबर नहीं छपनी चाहिए पेपर में पर आपका 4पीएम बता रहा है हकीकत कि क्या हुआ भाजपा कार्यसमिति में
- बाद में एक कैबिनेट मंत्री ने कहा राम इकबाल से इतना नहीं बोलना चाहिए, उन्होंने दिया जवाब थाने में बिना रिश्वत के नहीं हो रही एफआईआर तो कैसे रहूं चुप
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। भाजपा कार्यसमिति की बैठक में उस समय सनसनी फैल गयी जब पूर्व विधायक और कार्यसमिति के सदस्य राम इकबाल सिंह बोलने के लिये मंच पर आये। मंच पर आते ही उन्होंने विस्तार से बताना शुरू किया कि किस तरह किसानों के साथ धोखा हुआ है। जैसे ही उन्होंने कहा कि यूपी के थाने और तहसील भ्रष्टाचार का अड्डा बन गये तो हाल तालियों से गूंज उठा। इस तरह किसी बड़े नेता के हकीकत बताने पर कार्यकर्ताओं में तो ख़ुशी की लहर थी पर मंच पर बैठे नेताओं को पसीना आ गया। जब कार्यकर्ताओं को लगा कि यह तो उनके मन की बात कही जा रही है तो उन्होंने जमकर ताली बजाई। हालात नाज़ुक देखकर खुद स्वतंत्र देव उठे और कार्यकर्ताओं से कहा ऐसी बातों पर भी आप ताली बजा रहे हैं। यह पहला मौका था जब एक बड़े नेता ने पूरी पार्टी के सामने भ्रष्टाचार का ऐसा मामला उठाया है। राम इकबाल सिंह ने कहा कि यह पार्टी का भीतरी मंच है। अगर यहां सच की बात नहीं कह पायेंगे तो कहां कह पायेंगे। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ सही नहीं हुआ। यूरिया की बोरी का रेट घटाया गया पर बोरी का वजन पचास किलो से पैंतालीस किलो कर दिया। इस पर यह तो कहा गया कि बोरी सस्ती हो गयी पर खाद पचास किलो की जगह पैंतालीस किलो हो गयी ऐसे प्रति किलो खाद और महंगी हो गयी। उन्होंने डीजल के बढ़े दामों का जिक्रकरते हुए कहा कि धान की पहली जुताई जो पांच सौ रुपये प्रति वीघा होती थी। अब आठ सौ रूपये प्रति बीघा हो रही है। डीजल के बढ़े दामों के कारण प्रति बीघा किसान को नब्बे रुपये प्रति कुंतल का नुकसान हो रहा है जबकि सरकार ने गेहूं की एमएसपी में केवल पचास रुपये बढ़ाये। पूर्व विधायक ने कहा कि सभी लोगों से मालूम कर लीजिये थाने और तहसील भ्रष्टाचार का अड्डा बन गये हैं। यह केवल नौकरशाही के हवाले कर दिये गये हैं जहां रिश्वत का बोलबाला है। कुछ माननीय का भले ही काम हो जाये पर कार्यकर्ता तो थाने जाने से भी डरता है। मंडल स्तर तक के कार्यकर्ता थाने जाने से डरते हैं। पुलिस पिटने वाले से पैसे ले रही है और पीटने वाले से भी। राम इकबाल के यह कहते ही हाल तालियों से गूंज उठा। यह देखकर सीएम के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी भौचक्के थे। उनको अंदाजा नहीं था कि इतने बड़े कद का नेता सभी के सामने ऐसे बोल देगा। स्वतंत्र देव ने कार्यकर्ताओं को धमकाने के स्वर में कहा भी कि ऐसी बातों पर आप ताली बजा रहे हैं। इस पर कार्यकर्ता भले शांत हो गये पर बाद में वे एक दूसरे से कहते नजर आये कि आज राम इकबाल सिंह ने हम लोगों के मन की बात कह दी।
बेबाकी से अजीज मित्र भी हो गए असहज
पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा कि मेरे एक कैबिनेट मंत्री मित्र ने कहा कि इतना नहीं बोलना चाहिये था। इस पर मैंने कहा कि पार्टी की बन्द ऑडिटोरियम में करोड़ो किसानों की समस्या नहीं उठाई जायेगी फिर कहां उठायी जाएगी। कार्य समिति किसी भी जनहित की समस्या पर विचार करने का प्लेटफार्म है। सरकार को जमीनी जानकारी, कृषि कार्य कराने की लागत और लाभ से रूबरू कराया। पार्टी फोरम पर सही बात उठाना पार्टी और लोकतंत्र के हित में है।
ऐसे समझाया घाटे की कृषि का गणित
पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह ने किसान की दुर्दशा को उजागर कर दिया। उन्होंने बताया कि डीजल मूल्य और गेंहू के लागत की तुलना में एमएसपी पिछले साल 1925 प्रति कुन्तल रही जबकि पिछले साल डीजल 58 रुपया प्रति लीटर गेंहू बोने के समय था और इस बार गेंहू बुवाई के सीजन नवम्बर 2020 से दिसम्बर तक 72 से 75 रुपया डीजल का मूल्य प्रतिलीटर था। अभी डीजल प्रतिलीटर 82 रुपया से ज्यादा है। जुताई प्रति बीघा धान कटने के बाद कम से कम तीन बार होती है जो 500 रुपया से बढ़कर हल से जुताई 600 रुपया बीघा हो गई है। ताई और रोटावेटर से 800 रुपया प्रति बीघा से 1000 प्रति बीघा बढ़ गया। इस प्रकार 500 रुपया बीघा जुताई बढ़ गयी। डाई खाद 100 रुपया बीघा बढ़ गयी। बहुत बड़ा असिंचित क्षेत्र जहां विद्युत की उपलब्धता नहीं है वहां डीजल इंजन से सिंचाई होती है जो पिछले साल के मुकाबले 80 रुपया प्रति घंटा की जगह 140 से 160 रुपया प्रति घंटा हो गया है। हार्वेस्टर से कटाई में प्रति बीघा 300 रुपया बढ़ गया है। इस तरह लेवर कास्ट 50 रुपया प्रति दिन से बढ़कर 350 प्रति दिन हो गयी। इस तरह लगभग 900 रुपया प्रति बीघा लागत बढ़ गई जबकि एक बीघा में लगभग 10 कुन्तल गेंहू पैदा होता है। 50 रुपया प्रति कुन्तल के हिसाब से 500 रुपया बीघा सरकार ने एमएसपी बढ़ाई है जबकि लागत लगभग 900 रुपया प्रति बीघा बढ़ी है। किसान यदि अपनी भी मजदूरी लागत में लेबर के बराबर जोड़ दे तो कृषि घाटे में है । लिहाजा यदि एमएसपी 2500 रुपया प्रति कुन्तल कर दी जाए तो किसानों को थोड़ी राहत मिलेगी।