बसपा में मची भगदड़, चार सांसदों ने छोड़ी पार्टी

  • रितेश पांडेय बीजेपी में और अफजाल अंसारी सपा में गए

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। लोकसभा चुनाव की आहट के साथ बहुजन समाज पार्टी के सांसद दूसरा ठौर तलाशने लगे हैं। गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी सपा के पाले में जा चुके हैं तो अंबेडकरनगर से सांसद रितेश पांडेय भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। अमरोहा के सांसद कुंवर दानिश अली और जौनपुर के सांसद श्याम सिंह यादव ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होकर खुद को पार्टी से अलग करने का संकेत दे दिया है। सूत्रों की मानें तो लालगंज की सांसद संगीता आजाद भी भाजपा में शामिल हो सकती हैं।
जानकारों के मुताबिक पार्टी के आधे सांसदों का दूसरे दलों में जाना बसपा के लिए बड़ा झटका है। इसकी वजह बसपा का गठबंधन में शामिल नहीं होना बताया जा रहा है। पश्चिमी उप्र की राजनीति में अपनी गहरी पैठ रखने वाली बसपा के सामने दो बड़ी चुनौतियां है। एक ओर भाजपा और रालोद मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो दूसरी तरफ सपा और कांग्रेस। इन हालात में बसपा प्रत्याशियों के लिए जीत के लायक वोट जुटाना आसान नहीं होगा। वहीं बसपा के कुछ सांसद सपा में अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं। घोसी से बसपा सांसद अतुल राय भी किसी ऐसे दल से चुनाव लड़ सकते हैं, जो बड़े दलों का सहयोगी है। सहारनपुर के सांसद हाजी फजलुर्रहमान को भी ऐसे ही हालातों का सामना करना पड़ रहा है। सहारनपुर की सीट कांग्रेस के पाले में जा चुकी है। कांग्रेस इमरान मसूद को प्रत्याशी बनाएगी, इसे लेकर अभी संशय बना हुआ है। इमरान की सियासी डोर कमजोर हुई तो कांग्रेस हाजी फजलुर्रहमान पर दांव आजमा सकती है।

मायावती ने छोटे दलों से गठबंधन करने का विकल्प रखा

बसपा सुप्रीमो मायावती ने छोटे दलों से गठबंधन करने का विकल्प छोड़ रखा है, लेकिन उनके लिए भी बसपा के बजाय इंडिया गठबंधन ज्यादा मुफीद बना हुआ है। वहीं बचे हुए कई सांसदों को भरोसा नहीं है कि पार्टी उनको दोबारा प्रत्याशी बनाएगी।रविवार को पार्टी सुप्रीमो ने सांसदों को आईना दिखाने का बयान देकर उनकी बेचैनी को बढ़ा दिया है। बसपा के एक सांसद बताते हैं कि पिछला चुनाव सपा के साथ गठबंधन करके लडऩे से पार्टी को अप्रत्याशित सफलता मिली थी। इस बार किसी भी दल से गठबंधन न होने से चुनौती बढ़ती लग रही है। अकेले विधानसभा चुनाव लडऩे का फैसला लेने का नुकसान पार्टी उठा चुकी है और केवल एक ही विधायक से संतोष करना पड़ा। इन हालात में सभी अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित रखने के लिए फैसला लेने को स्वतंत्र हैं।

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