भुजबल के चुनाव न लड़ने से महायुति को होगा भारी नुकसान
मुंबई। लोकसभा चुनावों का आगाज 19 अप्रैल को पहले चरण के मतदान के साथ हो चुका है। अब पूरे देश में चुनावी मौसम चल रहा है। जिसमें देश का सियासी पारा काफी हाई है। तो वहीं पहले चरण के मतदान के बाद अब सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। एक ओर अबकी बार 400 पार के लक्ष्य को लेकर चल रही भाजपा पहले चरण के मतदान के बाद काफी उत्साहित है और अपनी जीत की अपेक्षा कर रही है।
तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल हैं जो पहले चरण के मतदान में भाजपा की करारी हार होने का दंभ भर रहे हैं। और खुद के लिए लाभकारी बता रहे हैं। विपक्ष के अधिकतर दलों व नेताओं का कहना है कि पहले चरण में भाजपा बड़े अंतर से हार रही है और 2024 में बीजेपी सत्ता से भी बाहर हो रही है। पहले चरण के अपने दावों के साथ-साथ अब राजनीतिक दलों ने 26 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनावों के दूसरे चरण के लिए भी अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसको लेकर राजनीतिक दल चुनाव प्रचार-प्रसार में जुट गए हैं। और तरह-तरह से जनता के बीच जाकर उसे अपनी बातों से बहलाने व अपनी ओर समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे हैं।
इस बीच 48 लोकसभा सीटों वाले राज्य महाराष्ट्र में भी सियासी तापमान चढ़ा हुआ है। आए दिन प्रदेश में नए-नए सियासी घटनाक्रम देखने को मिल रहे हैं। तो वहीं सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की ओर से अपने-अपने सियासी दांव-पेंच भी चले जा रहे हैं। जिससे एक-दूसरे को पराजित किया जा सके। इस बीच महाराष्ट्र में इस बार सत्ताधारी दल भाजपा की हालत काफी खराब नजर आ रही है। अबकी बार 400 पार की उम्मीदों को लेकर चल रही बीजेपी के लिए महाराष्ट्र काफी अहम व महत्वपूर्ण है। लेकिन जिस तरह की परिस्थितियां अभी नजर आ रही हैं। वो बीजेपी अनुकूल नहीं दिखाई पड़ती हैं।
क्योंकि प्रदेश में आए दिन भाजपा के लिए कोई न कोई मुसीबत खड़ी हो रही है। दो बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों में टूटकर उनके एक-एक धड़े को अपने साथ मिलाने के बावजूद महाराष्ट्र में भाजपा के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनती नजर नहीं आ रही हैं। उल्टा आए दिन एक नई चुनौती खड़ी हो रही है। इस बीच अब भाजपा के लिए एनसीपी अजित पवार के सीनियर लीडर छगन भुजबल ही मुसीबतें खड़ी कर सकते हैं। जिसने पार पाना भाजपा के लिए काफी मुश्किल हो रहा है. क्योंकि छगन भुजबल से राज्य में बीजेपी को भारी नुकसान होता दिख रहा है।
दरअसल, महाराष्ट्र में एनसीपी के सीनियर नेता छगन भुजबल को करारा झटका लगा। क्योंकि अजित पवार की एनसीपी के साथ प्रदेश की सरकार में शामिल होने के बाद से ही महायुति गठबंधन में हुए सीट बंटवारे के बाद अजित पवार गुट में आए छगन को नासिक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाए जाने की अटकलें जोरों पर थीं। या यूं कहें कि पूरा इंतजाम भी हो ही गया था। लेकिन अब चुनाव से ठीक पहले इन तमाम अटकलों पर विराम लगता दिखाई पड़ रहा है। ऐसे में छगन भुजबल के नासिक से लोकगसभा चुनाव न लड़ने का खामियाजा सत्ताधारी दल भाजपा को उठाना पड़ सकता है। न सिर्फ भाजपा बल्कि पूरे महायुति गठबंधन को छगन भुजबल के चुनाव न लड़ने से नुकसान होने की संभावना है।
दरअसल, छगन भुजबल के नासिक से लोकसभा चुनाव न लड़ने की खबरों के सामने आने के बाद अब अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद (AIMPSP) की ओर से ये दावा किया जा रहा है कि छगन भुजबल की दावेदारी कैंसिल होने से और उनके नासिक से चुनाव न लड़ने के फैसले से ओबीसी समुदाय के सदस्य खासा नाराज हैं। ओबीसी की नाराजगी है कि महायुति सहयोगियों ने नासिक लोकसभा सीट से छगन भुजबल को उम्मीदवार नहीं बनाया। बता दें कि छगन भुजबल अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद (AIMPSP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।
इस दौरान संगठन के राज्य उपाध्यक्ष बालासाहेब कर्डक ने कहा कि भुजबल के नासिक सीट से चुनाव लड़ने से पीछे हटने से 350 विभिन्न जातियों वाले ओबीसी समुदाय में नाराजगी है। क्योंकि महायुति उम्मीदवार के रूप में उनके नाम की घोषणा में देरी हुई है। संगठन के सदस्यों ने दावा किया कि इस बढ़ती नाराजगी से महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में महायुति गठबंधन को भारी नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि ओबीसी समुदाय के सदस्य 45% से अधिक मतदाता हैं और कोंकण, उत्तर महाराष्ट्र, विदर्भ और मराठवाड़ा के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में फैले हुए हैं।
बालासाहेब कर्डक ने आगे ये भी कहा कि राज्य में आम चुनाव होने के समय ओबीसी मतदाताओं में महायुति के खिलाफ गलत संकेत गया है। हमें आश्चर्य है कि जब केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने नासिक सीट के लिए भुजबल का नाम प्रस्तावित किया, तब राज्य के महायुति नेताओं ने उनकी उम्मीदवारी की औपचारिक घोषणा करने में देरी क्यों की। उन्होंने कहा कि संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल महायुति के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेगा और उन्हें भुजबल को टिकट देने की जरूरत पर जोर देगा।
उन्होंने कहा कि मराठा कोटा मुद्दे पर भुजबल की रैलियों का राज्य में ओबीसी समुदाय की 360 विभिन्न जातियों पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है। अगर भुजबल को नासिक सीट से चुनाव लड़ने की अनुमति मिल जाती तो महायुति गठबंधन को चुनावों में फायदा होता। लेकिन अब जब उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे, तो इस बात पर अनिश्चितता है कि ओबीसी मतदाता चुनावों में महायुति उम्मीदवारों के पीछे अपना समर्थन देंगे या नहीं। वहीं भुजबल ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या ओबीसी मतदाताओं में महायुति गठबंधन सहयोगियों के खिलाफ कोई नाराजगी है। उन्होंने कहा कि मैं दोहराता हूं कि मैं महायुति उम्मीदवारों के लिए प्रचार करूंगा जैसा कि मैंने हाल ही में विदर्भ के कुछ हिस्सों में किया था।
यानी साफ है कि नासिक लोकसभा सीट से छगन भुजबल को अपना प्रत्याशी न बनाकर भाजपा व महायुति गठबंधन ने अपना भारी नुकसान कर लिया है। क्योंकि इस फैसले ओबीसी समुदाय साफ नाराज नजर आ रहा है। फिलहाल देखना ये है कि आगे क्या फैसला होता है।.
एक ओर जहां भाजपा और सत्ताधारी गठबंधन महायुति के लिए परिस्थितियां महाराष्ट्र में बिगड़ती जा रही हैं। तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी के हौसले बुलंद हैं और चुनावों को लेकर जीतोड़ मेहनत की जा रही है। साथ ही महाविकास अघाड़ी के नेताओं द्वारा लगातार सत्ता पक्ष व महायुति गठबंधन पर हमले भी बोले जा रहे हैं। इसी क्रम में एमवीए व इंडिया गठबंधन के घटक दल शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने ये दावा किया कि विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन लोकसभा चुनाव में 300 से अधिक सीटें जीतेगा. पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कहना है कि बीजेपी को उनकी पार्टी को नकली शिवसेना कहने के लिए लोग सबक सिखाएंगे।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने जीएसटी व्यवस्था और कृषि नीतियों को लेकर भी बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसान उर्वरकों पर 18 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान कर रहे हैं। यह एक लाख रुपये के उर्वरकों के लिए 18,000 रुपये जीएसटी का भुगतान करता है, जबकि नमो सम्मना योजना के तहत, किसानों को 6,000 रुपये (वित्तीय सहायता) मिलती है। वहीं शिवसेना यूबीटी के मुखिया ने कहा कि बीजेपी दावा करती है कि उसने उसे राजनीतिक रूप से खत्म कर दिया है, लेकिन फिर भी वह हर दिन उसे निशाना बनाती है. .आप मेरी पार्टी को ‘नकली’ शिवसेना कहते हैं, लेकिन यही सेना आपको अपनी असली ताकत दिखाएगी। उद्धव ठाकरे ने आगे इशारों-इशारों में पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या मेरी शिव सेना आपकी डिग्री जैसी है जिसे आप नकली कहते हैं? उन्होंने कहा कि लोग आपको आपकी जगह दिखा देंगे।
यहां यह बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी को नकली शिवसेना करार दिया था। ठाकरे ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने उनसे नाम (शिवसेना) और प्रतीक (धनुष और तीर) छीन लिया और गद्दारों को सौंप दिया, जो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का स्पष्ट संदर्भ था। अब चुनाव आयोग ने हमें ऐसा नहीं कहने को कहा है। उद्धव ठाकरे के मुताबिक, उन्हें अपनी पार्टी के नए गान से जय भवानी और हिंदू शब्द हटाने के लिए भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) से नोटिस मिला है। लेकिन वह इसका पालन नहीं करेंगे। उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि लोकतंत्र अभी भी जीवित है और महा विकास अघाड़ी इसकी रक्षा करने में भी पूरी तरह से सक्षम है। हमें जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक इंडिया ब्लॉक 300 से ज्यादा सीटें जीतेगा। लेकिन लड़ाई आसान नहीं है।
इस दौरान महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें तानाशाही को हराना है और आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपका वोट बर्बाद न हो. एमवीए में शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरदचंद्र पवार) और कांग्रेस शामिल हैं। ठाकरे ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी दलबदलुओं के साथ व्यवहार करती है। जो घोटाले के पैमाने के आधार पर उस पार्टी में शामिल होते हैं।
शिवसेना (यूबीटी) के मुखिया ने आगे कहा कि जिन लोगों पर बीजेपी ने 70,000 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था। उन्हें राज्य के खजाने की चाबियां दी गई हैं। ठाकरे ने कहा कि पीएम मोदी ने एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल पर (ड्रग तस्कर) इकबाल मिर्ची के साथ संबंध होने का आरोप लगाया था। लेकिन अब उन्हें एयर इंडिया मामले में क्लीन चिट दे दी गई है। अब, मोदी उनके (पटेल) के करीब आकर खुश हैं. ठाकरे ने पूछा कि पीएम मोदी आपका असली चेहरा क्या है?
फिलहाल लोकसभा चुनावों के लिए मतदान के बीच देश के साथ-साथ महाराष्ट्र का भी सियासी पारा काफी हाई है। और नेताओं द्वारा आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी लगातार चल रहा है। अब आगे क्या होता है और जनता किसको सिरमौर पहनाती है, ये तो आने वाले वक्त में ही पता चल पाएगा।