आनलॉइन उन्नत खेती के गुर सीखेंगे किसान, सरकार ने तैयार किया खाका

कृषि विभाग डिजिटल माध्यमों से देगा जानकारी
गांव के स्मार्टफोन रखने वाले किसानों को किया गया चिन्हित

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण अब किसानों की पाठशाला भी ऑनलाइन चलेगी। गांवों में खरीफ फसलों के बारे में जानकारी देने व उनके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए कृषि विभाग डिजिटल माध्यमों से किसान पाठशाला आयोजित करने जा रहा है। इसी क्रम में स्मार्टफोन रखने वाले किसानों को चिन्हित कर व्हाट्सएप ग्रुप बनाए जा रहे हैं। सरकार ने एक करोड़ व्हाट्स एप ग्रुप बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। ग्राम स्तर पर तैयार किए जा रहे इन समूहों को ब्लॉक तथा ब्लॉक स्तर के समूहों को जिला स्तर पर जोड़ा जाएगा। जिला कृषि अधिकारी इनका संचालन व निगरानी करेंगे।
कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने बताया कि किसान पाठशालाएं गांवों और खेतों तक उन्नत तकनीकी जानकारी पहुंचाने का सशक्त माध्यम हैं। इसका डिजिटल स्वरूप कामयाब हुआ तो कृषि की दिशा में यह क्रांतिकारी कदम होगा। सरकार इसे लेकर बेहद गंभीर है। चूंकि कोरोना काल में सामान्य तरीके से पाठशाला आयोजित करना संभव नहीं है। वहीं, कनेक्टिविटी व विद्युत आपूर्ति में बाधा के कारण वीडियो कांफ्रेंसिंग में भी समस्याएं आ रही हैं। ऐसे में सबसे सही माध्यम व्हाट्सएप समूह है। इनमें पाठशाला की प्रशिक्षण सामग्री को आसानी से उपलब्ध करवाया जाएगा। किसानों के सवालों के जवाब देने की जिम्मेदारी स्थानीय कृषि अधिकारी व कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों की होगी। खरीफ सीजन में किसान पाठशालाओं का यह प्रयोग सफल रहा तो इसको विस्तार दिया जाएगा।

खरीफ फसल की दी जाएगी जानकारी
आमतौर से न्याय पंचायत स्तर पर आयोजित पाठशालाओं में किसानों को नवीनतम शोध व जानकारी देने के साथ परंपरागत खेती के बारे में भी बताया जाता है। पाठशाला के 21 मंत्र होते हैं और पांच दिन अलग-अलग बिंदुओं पर इन पर चर्चा होती है। वर्ष 2019 में रबी सीजन में पाठशाला आयोजन के बाद अब खरीफ की बारी है। इसके लिए जरूरी प्रचार सामग्री इस बार पीडीएफ फाइल बनाकर प्रसारित की जाएगी। कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
दो सत्रों में आयोजित होता है कार्यक्रम
पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम दो सत्रों (रबी व खरीफ) में आयोजित किए जाते हैं। कृषि वैज्ञानिक व प्रशिक्षित कर्मचारी चौपाल, पंचायत भवन या सार्वजनिक स्थानों पर पाठशालाएं आयोजित करते हैं। प्रत्येक पाठशाला में 60 से 100 किसानों की उपस्थिति होती है। उनको कृषि, उद्यान, गन्ना, रेशम, विपणन, पशुपालन, मत्स्य व मधुमक्खी पालन जैसी गतिविधियों के बरे में नवीनतम जानकारी देने के साथ उनकी जिज्ञासा को भी शांत किया जाता है।

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