केजरीवाल-संजय सिंह के लिए संकटमोचक बने कांग्रेस नेता अभिषेक मनु ङ्क्षसधवी, एसी के जज भी हुए मुरीद

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की जमानत के लिए दलीलों का नेतृत्व करने से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम राहत दिलाने तक, कांग्रेस के नेता अभिषेक मनु सिंघवी का अहम रोल रहा। दिल्ली में लोकसभा चुनाव के मतदान से पहले सिंघवी ने एक भरोसेमंद कानूनी सलाहकार बन ्र्रक्क पार्टी के दोनों नेताओं को बड़ी राहत दी।
दरअसल, 21 मार्च को केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केजरीवाल के परिवार को कानूनी मदद की पेशकश की थी। इससे यह स्पष्ट हो गया था कि अदालतों में आरोप का नेतृत्व कौन करेगा। नाम था- अभिषेक मनु सिंघवी…
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को शराब नीति मामले में जांच एजेंसी श्वष्ठ ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत न देने को लेकर तमाम तरह की दलीलें पेश की, जिसका सिंघवी ने बखूबी जवाब दिया और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट को केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने के लिए तैयार होना पड़ा।
शराब नीति मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा, हर किसी को डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी से सीखना चाहिए कि सभी अदालतों में बिल्कुल सही समय पर कैसे उपस्थित रहना है। इस पर सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने जवाब दिया, डॉ. सिंघवी कभी छुट्टियां भी नहीं लेते।
केजरीवाल के लिए सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में पेश हुए सिंघवी ने शराब नीति मामले में हुई गिरफ्तारी का खंडन किया और साथ ही प्रवर्तन निदेशालय के आरोपों की आलोचना की।
दिल्ली हाई कोर्ट से झटका लगने के बाद सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की टाइमिंग का मुद्दा उठाया था।
वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता ने बताया कि आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होने के पांच दिन बाद ही केजरीवाल को ईडी ने हिरासत में ले लिया था।
सिंघवी द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते सुझाव दिया कि वे 25 मई को दिल्ली में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अंतरिम जमानत देने पर विचार करेंगे। इसके बाद केजरीवाल को 1 जून तक जमानत दे दी गई।
जब न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने पूछा कि आम आदमी पार्टी प्रमुख ने जमानत याचिका क्यों नहीं दायर की? सिंघवी ने कहा, ‘क्योंकि गिरफ्तारी अवैध है। जमानत के लिए आवेदन करना यह स्वीकार करना होगा कि गिरफ्तारी वैध थी।’
सिंघवी ने इस बात पर जोर दिया कि जांच एजेंसी के पास दिल्ली के मुख्यमंत्री की संलिप्तता का कोई सबूत नहीं है। ‘अगर ईडी ने सोचा था कि केजरीवाल शामिल थे, तो उन्होंने एक दोषी मुख्यमंत्री को 1.5 साल तक खुला क्यों रहने दिया?
वरिष्ठ वकील और पूर्व राज्यसभा सांसद ने गवाहों के बयानों में विसंगतियों को लेकर जवाब दिया।
सिंघवी ने ईडी के इस आरोप का भी खंडन किया कि मुख्यमंत्री नौ बार पूछताछ के लिए समन में शामिल नहीं हुए। सिंघवी ने अदालत से कहा कि किसी को केवल अपराध के सबूत पर गिरफ्तार किया जा सकता है, महज संदेह में नहीं।’
नेता संजय सिंह को भी दिलाई जमानत
अभिषेक मनु सिंघवी ने संजय सिंह की जमानत याचिका का भी नेतृत्व किया, जिन्हें अक्टूबर 2023 में शराब नीति मामले में ही गिरफ्तार किया गया था।
सिंघवी ने तर्क दिया था कि जांच एजेंसी श्वष्ठ आप नेता की गिरफ्तारी के बाद से पांच महीनों में कोई भी सबूत स्थापित करने में विफल रही है।
चार अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह को जमानत दे दी थी।
अभिषेक मनु सिंघवी कौन हैं?
24 फरवरी, 1959 को राजस्थान के जोधपुर में जन्मे अभिषेक सिंघवी ने दिल्ली के सेंट कोलंबा से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। सिंघवी ने सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने फिर पीएच.डी. ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से, और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पब्लिक इंटरनेशनल लॉ (पीआईएल) में कोर्स किया।
यह हाई-प्रोफाइल वकील एक सुनवाई और पेशी के लिए लगभग 20.5 लाख रुपये चार्ज करते है। कांग्रेस प्रवक्ता के रूप में कार्य करने के अलावा, वह यूपीए शासन के दौरान कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष थे।
सिंघवी ने भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के रूप में भी कार्य किया। हालांकि, उनका करियर विवादों से अछूता नहीं रहा है। 2012 में, सिंघवी ने सीडी विवाद के बाद कांग्रेस प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दे दिया और संसदीय पैनल छोड़ दिया।
सबरीमाला मामले से लेकर, ‘मोदी उपनाम’ मामले तक सिंघवी कई महत्वपूर्ण कानूनी मामलों में सबसे आगे रहे हैं। उन्होंने नेशनल हेराल्ड-यंग इंडियन मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भी जमानत दिलवाई थी।

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