जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की हत्या कर रही एनडीए सरकार: विपक्ष

जल्द पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने की संभावना नहीं : जयराम

  • विधानसभा चुनाव से पहले एलजी की शक्तियां बढ़ाने पर रार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

जम्मू। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा (विस) चुनाव से पहले उप राज्यपाल को दिल्ली के एलजी जैसी शक्तियां देने का विरोध शुरू हो गया है। विपक्ष का कहना है कि यह लोकतंत्र की हत्या है और संविधान के खिलाफ है। जनता के चुने नुमाइंदों को विधानसभा में बिठाकर भी अधिकारों से वंचित रखा जाएगा। राज्य की निर्वाचित सरकार के लिए पुलिस और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) एवं भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की तैनाती और तबादले के लिए उप राज्यपाल की मंजूरी जरूरी होगी।
केंद्र के इस फैसले के बाद राज्य में किसी की भी राजनीतिक दल की सरकार बने, लेकिन महत्वपूर्ण फैसले लेने की शक्तियां उप राज्यपाल के पास ही रहेंगी। हालांकि इस फैसले के चलते राज्य में दिल्ली जैसे हालात भी उत्पन्न हो सकते हैं जहां निर्वाचित सरकार और उप राज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति बनी रहती है। वरिष्ठ भाजपा नेता मनोज सिन्हा अगस्त 2020 से राज्य के उप राज्यपाल हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, मोदी सरकार की अधिसूचना का एकमात्र अर्थ यह निकाला जा सकता है कि निकट भविष्य में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने की संभावना नहीं दिखती है। सभी राजनीतिक दलों में इस बात को लेकर आम सहमति रही है कि जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य बनना चाहिए। इसे केंद्रशासित प्रदेश नहीं बना रहना चाहिए।

राज्य को नगर निगम में तब्दील कर रही भाजपा: महबूबा

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा, जम्मू-कश्मीर में देश की सबसे ताकतवर विधानसभा को कमजोर किया जा रहा है। इस राज्य को निगम की तरह तबदील किया जा रहा है। अनुच्छेद 370 से पहले ही सभी अधिकार छीन लिए गए हैं। जम्मू-कश्मीर में भाजपा कभी सरकार नहीं बना सकती और जो सरकार आएगी, उसके पास भी अपने कर्मचारियों, अधिकारियों की नियुक्तियों और स्थानांतरण के अधिकार नहीं होंगे। जम्मू-कश्मीर को लेबोरेटरी की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी नेता इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, ऐसे समय में जब केंद्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के बारे में काफी अटकलें लगाई जा रही हैं, गृह मंत्रालय का यह नया आदेश और फरमान एक अनिर्वाचित उप राज्यपाल की पहले से ही बेलगाम शक्तियों में और अधिक इजाफा करता है। आदेश से स्पष्ट है कि विधानसभा चुनाव इसी वर्ष कराए जाएंगे और केंद्र अच्छी तरह जानता है कि जब जम्मू-कश्मीर में राज्य चुनाव होंगे तो वहां गैर-भाजपा सरकार चुनी जाएगी। यह आदेश निर्वाचित सरकार की शक्तियों को कम करने का प्रयास है। राज्य में निर्वाचित सरकार एक नगरपालिका में तब्दील हो जाएगी।

चपरासी की नियुक्ति के लिए भी मांगनी पड़ेगी भीख : उमर अब्दुल्ला

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, यह एक और संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव नजदीक हैं। यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण, अविभाजित राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समय सीमा निर्धारित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता इन चुनावों के लिए एक शर्त है। जम्मू-कश्मीर के लोग शक्तिहीन, रबर स्टांप मुख्यमंत्री से बेहतर के हकदार हैं, जिन्हें अपने चपरासी की नियुक्ति के लिए भी उप राज्यपाल से भीख मांगनी पड़ेगी।

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