लोगों की हत्या और अपहरण कर रहे हैं अविमुक्तेश्वरानंद : गोविंदानंद सरस्वती

  • बोले- संन्यासी होने का दिखावा करते हैं अविमुक्तेश्वरानंद

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। गोविंदानंद सरस्वती जी महाराज ने ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को काफी खरी-खरी सुनाई है, साथ ही उनको लेकर एक बड़ा भी दिया है। गोविंदानंद ने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था और उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया था।
गोविंदानंद ने कहा कि हम यह सब सुप्रीम कोर्ट में बताना चाहते हैं, लेकिन कोर्ट अगली तारीखें देते रहता है और हम न्याय चाहते हैं। अविमुक्तेश्वरानंद देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हम देश की खातिर इन सभी दस्तावेजों को आगे रख रहे हैं।

कांग्रेस के खेल का खिलौना हैं अविमुक्तेश्वरानंद

गोविंदानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने स्टे जारी कर दिया था तो प्रियंका गांधी वाड्रा ने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य संबोधित करते हुए पत्र कैसे लिखा? क्या कांग्रेस तय करेगी कि शंकराचार्य कौन हैं? जब राहुल गांधी हिंदू विरोधी टिप्पणी करेंगे तो उनके साथ खड़े होंगे। कांग्रेस एक खेल खेल रही है और अविमुक्तेश्वरानंद खिलौना हैं। मैं प्रियंका गांधी वाड्रा से पूछना चाहता हूं कि उन्हें एक मुद्दा उठाना चाहिए। इस पत्र को लिखने के लिए सार्वजनिक माफी मांगें अन्यथा हम उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मामला दायर करेंगे।

भाजपा-कांग्रेस सभी कर रहे अविमुक्तेश्वरानंद का समर्थन

गोविंदानंद सरस्वती जी महाराज ने आगे अधिक आक्रामक होते हुए कहा कि अविमुक्तेश्वरानंद लोगों की हत्या कर रहे हैं और उनका अपहरण कर रहे हैं। भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के खिलाफ सवाल उठाया था। वह संन्यासी होने का दिखावा करके शादियों में शामिल हो रहे हैं। वह कह रहे हैं कि केदारनाथ में 228 किलो सोना गायब है, क्या उन्हें सोने और पीतल के बीच का अंतर भी पता है। गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि कांग्रेस, भाजपा, सभी सीएम और पीएम, एचएम और हर कोई अविमुक्तेश्वरानंद का समर्थन कर रहा है। कांग्रेस पार्टी अविमुक्तेश्वरानंद को पूरा समर्थन दे रही है। जब हमारे गुरुजी ब्रह्मलीन हो गए, इन लोगों ने कांग्रेस से चि_ी मांगी और कांग्रेस ने पत्र जारी किया। प्रियंका गांधी ने 13 सितंबर 2022 को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्हें श्रद्धेय शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी कहकर संबोधित किया गया।

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