सिद्धरमैया सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में है भाजपा: कांग्रेस

नई दिल्ली। कांग्रेस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि वह लोगों को सच्चाई बताएगी और राज्य सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेगी. बता दें कि सिद्धरमैया मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) और राज्य संचालित वाल्मीकि निगम घोटालों में विपक्ष के निशाने पर हैं.
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मंत्रियों के साथ एक बैठक की. कर्नाटक के लिए पार्टी प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी बैठक में शामिल हुए. शिवकुमार कांग्रेस की कर्नाटक के प्रदेश प्रमुख भी हैं.
यह बैठक राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को एक कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद आयोजित की गई. इस दौरान वेणुगोपाल ने कहा कि सिद्धरमैया की ईमानदारी को हर कोई जानता है. वह यहां कोई नये मुख्यमंत्री नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि राज्य में पिछली कांग्रेस के नेतृत्व वाली जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की साजिश का शिकार हो गई थी. वे अब भी इसी तरह की साजिश रच रहे हैं. वो हमारी चुनी हुई सरकार को निशाना बना रहे हैं. हर कोई जानता है कि सिद्धारमैया का कद कैसे बढ़ गया है, हमने राज्य में गरीबों की चिंताओं को दूर करने के लिए कर्नाटक में गारंटी योजनाएं शुरू कीं.
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि हमें समझ में नहीं आता कि क्यों राज्य की सरकार को कारण बताओ नोटिस दिया गया. उन्होंने यह धारणा बनाने की कोशिश की कि सरकार अस्थिर होने वाली है. आज हमने बीजेपी-जेडीएस की साजिश के खिलाफ लडऩे का फैसला किया है.
बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी और जेडीएस को पता है कि गरीब लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए कांग्रेस सरकार की गारंटी योजनाएं उन्हें राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचाएंगी और इसलिए वे सरकार और मुख्यमंत्री को निशाना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए उन्होंने साजिश रची और सिद्धरमैया और कांग्रेस सरकार के खिलाफ कुछ आरोप लगाये और सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं. दुर्भाग्य से राज्यपाल बीजेपी का हथियार बन गए हैं.
दरअसल बीजेपी-जेडीएस परियोजनाओं के लिए जमीन खोने वालों को एमयूडीए द्वारा कथित धोखाधड़ी से भूखंड आवंटित करने के खिलाफ शनिवार से एक हफ्ते तक की जाने वाली ‘मैसूर चलो’ पदयात्रा पर हैं और उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. जिन व्यक्तियों को भूखंड आवंटित किये गए हैं, उनमें सीएम सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती भी शामिल हैं.
अधिवक्ता-कार्यकर्ता टीजे अब्राहम की एक याचिका के आधार पर, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 26 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें मुख्यमंत्री को सात दिनों के भीतर आरोपों पर अपना जवाब देने का निर्देश दिया गया था. वहीं कर्नाटक सरकार ने राज्यपाल को अपना कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह दी और उन पर संवैधानिक पद का घोर दुरुपयोग करने का आरोप लगाया.

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