माता-पिता न करें ये गलती, अन्यथा पढ़ाई में पिछड़ सकता है आपका बच्चा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
हर अभिभावक अपने बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए चिंतित होता है। वह बच्चे को अच्छे संस्कार, बेहतर शिक्षा देना चाहते हैं, ताकि बच्चा बड़ा होकर एक आदर्श नागरिक और एक सफल व्यक्ति बन सके। हालांकि कई बार माता पिता जाने-अनजाने में बच्चे के परवरिश के दौरान कुछ ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जिससे उनका बच्चा पढ़ाई से दूर भागने लगता है। माता पिता उसे पढ़ाने का प्रयास तो करते हैं लेकिन वह फिर भी पढ़ाई में पिछडऩे लगता है। अगर ऐसा आपके बच्चे के साथ भी हो रहा है कि वह पढ़ाई में पिछड़ रहा है तो पहले ये जानने की कोशिश करें कि कहीं आपकी परवरिश में कोई कमी तो नहीं। अपनी गलतियों को सुधार कर बच्चे को सही राह दिखा सकते हैं।

प्राथमिकताएं समझना

कई बार अभिभावक यह समझते हैं कि सिर्फ अच्छे नंबर ही महत्वपूर्ण हैं, जिससे बच्चा पढ़ाई में दबाव महसूस करता है। इसके बजाय, उन्हें बच्चे के अच्छे अध्ययन की प्रेरणा देनी चाहिए। उन्हें प्रोत्साहित करें। टॉप करने पर फोकस नहीं, सीखने और समझने के लिए प्रेरित करें। ये समझें कि बच्चा पढ़ाई के साथ अन्य किन कामों में बेहतर है, उसे उसकी पसंद के काम भी करने दें।

अधिक नियंत्रण

बच्चे की स्वतंत्रता को समझने के बजाय, अधिक नियंत्रण रखना माता पिता की सबसे बड़ी गलती बन सकती है। इससे बच्चे में स्वाधीनता की कमी हो सकती है और वह पढ़ाई से दूर भागने लगता है। पढ़ाई को बच्चे के लिए सजा न बनाएं। उसे स्वतंत्र करें और पढ़ाई के साथ ही अन्य कामों में भी उसकी इच्छा का सम्मान करें। क्योंकि बेशक, हम सभी अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। लेकिन ओवरप्रोटेक्शन हमारे बच्चे की क्षमता में बाधा डालता है। ओवरप्रोटेक्ट का मतलब है जरूरत से ज्यादा सुरक्षा। लेकिन कभी-कभी आपका प्यार या चिंता बच्चे के लिए परेशानी का सबब बन जाता है।

अत्यधिक दबाव

अभिभावक अक्सर अपनी रूचि के मुताबिक बच्चों पर दबाव बनाते हैं। बच्चे की स्थित और पसंद को समझने के बजाए माता-पिता द्वारा उन पर अधिक दबाव डालने से बच्चा अपनी सीमाओं से बाहर जाने से डरने लगता है। वह पढ़ाई और परीक्षा को चुनौती नहीं, बोझ की तरह समझने लगता है जिससे उस की पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यदि आप एक ओवरप्रोटेक्टिव पैरेंट्स हैं, तो आप इस बिहेवियर से एक कदम पीछे हटने का प्रयास करें। अपने बच्चों के बढऩे और विकास के क्रम में उन्हें गलतियां करने और सहज परिणामों से सीखने देना चाहिए।

प्रेरणा की कमी

बच्चे को पढ़ाई में प्रेरित करने की जगह माता-पिता का उन्हें जबरदस्ती पढ़ाना गलत है। अक्सर माता पिता बच्चे को डांटकर या डराकर पढ़ाई करने के लिए उकसाते हैं। इससे बच्चा पढ़ाई से डरने लग सकता है और पढ़ाई से दूर भागने लगता है। उसे पढ़ाई से दोस्ती करनी होगी न कि डरना चाहिए। क्योंकि आपके बच्चे की शिक्षा स्कूल या कोचिंग सेंटर पर शुरू और खत्म नहीं होती। घर बच्चों के लिए सीखने का पहला संस्थान है, इसलिए माता-पिता के लिए घर पर आवश्यक सहायता, प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करना महत्वपूर्ण है। आपके बच्चे की शिक्षा में शामिल होने का महत्वपूर्ण समय तब होता है जब वे प्राथमिक विद्यालय में होते हैं। उन शुरुआती स्कूली वर्षों में, आप अपने बच्चों में किताबें पढऩे, प्रकृति की खोज करने, खाना पकाने, बागवानी आदि जैसी मजेदार गतिविधियों के माध्यम से सीखने की आदतें डाल सकते हैं। जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, माता-पिता को उन्हें स्कूल के काम में मदद करनी चाहिए और उनके साथ नियमित रूप से उनकी प्रगति पर चर्चा करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सही रास्ते पर हैं।

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