मानसून के बाद अब अखिलेश ने दिया विंटर ऑफर
बोले- समय के हिसाब से चलेगा ऑफर, सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव लगातार बने हैं आमने-सामने
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के अंदर उठापटक मची हुई है। प्रदेश में सरकार और संगठन के बीच लगातार तनाव की खबरें बनी हुई हैं और मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य आमने-सामने डटे हुए हैं। ऐसे में प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी इस आंतरिक कलह को और भी हवा दे रही है। यही कारण है कि अखिलेश यादव लगातार केशव मौर्य को निशाने पर ले रहे हैं।
मानसून ऑफर के बाद अखिलेश यादव ने अब केशव मौर्य को विंटर ऑफर भी दे दिया है। उन्होंने कहा कि अभी बारिश हो रही है। फिर विंटर ऑफर आएगा। उन्होंने कहा कि ये जो ऑफर है समय के हिसाब से चलेगा। ये ऑफर पूरे मानसून चलेगा। फिर विंटर ऑफर आएगा।
केशव मौर्य ने किया था अखिलेश पर पलटवार
जाहिर है कि केशव प्रसाद मौर्य को अखिलेश यादव ने मानसून ऑफर दिया था जिसमें कहा गया था कि 100 विधायक लाओ और सरकार बनाओ। इस पर केशव प्रसाद मौर्य की ओर से पलटवार भी किया गया। मौर्य ने इसे मुंगेरीलाल के हसीन सपने बताया। केशव प्रसाद मौर्य ने एक्स पोस्ट में दावा किया कि मानसून ऑफर को 2027 में 47 पर जनता और कार्यकर्ता फिर समेटेंगे। बिना नाम लिए केशव मौर्य ने सपा को डूबता जहाज बताया। उन्होंने कहा कि एक डूबता जहाज और समाप्त होने वाला दल जिसका वर्तमान और भविष्य खतरे में है। वह मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख सकता है, परंतु पूर्ण नहीं हो सकता।
सीएम-डिप्टी सीएम के तनाव का फायदा उठाना चाह रहे अखिलेश
अखिलेश की ओर से यह प्रस्ताव उत्तर प्रदेश में भाजपा के भीतर बढ़ते तनाव के बीच आया है। अखिलेश यादव की टिप्पणी का उद्देश्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके डिप्टी सीएम केशव मौर्य के बीच कथित दरार को भुनाना था। इससे पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यूपी के उपमुख्यमंत्री मौर्य ने अखिलेश पर तंज कसते हुए उन्हें एसपी बहादुर कहा और कहा कि बीजेपी के पास देश और प्रदेश दोनों में एक मजबूत संगठन और सरकार है। इसके साथ ही उन्होंने सपा के पीडीए फॉर्मूले (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्याक) पर निशाना साधते हुए इसे धोखा बताया।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पर संशय बरकरार
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जगह खाली हो गई है। सपा इस पद पर किसी भरोसेमंद को बैठाना चाहेगी। इस वजह से शिवपाल यादव का नाम रेस में सबसे आगे चल रहा है। लेकिन अब कई और नाम भी रेस में आ गए हैं। राज्य में मानसून सत्र 29 जुलाई से शुरू हो रहा है, इससे पहले ये नाम तय हो जाएगा। हालांकि, शिवपाल का नाम रेस से बाहर नहीं है। लेकिन अगर पीडीए फॉर्मूला चला तो किसी दलित या ओबीसी वर्ग के नेता को तरजीह दी जा सकती है। दलित वर्ग से सपा विधायक इंद्रजीत सरोज का नाम सबसे आगे चल रहा है। कुछ मीडिया रिपोर्टस की मानें तो ओबीसी वर्ग से राम अचल राजभर का नाम रेस में आगे चल रहा है। इसके अलावा भी कुछ और नामों की चर्चा है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और सपा विधायक माता प्रसाद भी इस रेस में हैं। जानकारों की मानें तो विधानसभा में सपा पीडीए फॉर्मूले को ध्यान में रखते हुए किसी भी नाम का ऐलान करेगी।