चुनाव के बाद फिर कृषि कानून लाएगी सरकार : सतीश चंद्र मिश्र

कानपुर में बसपा कार्यकर्ता सम्मेलन में बोले सतीश चंद्र मिश्र

कानपुर। भाजपा सरकार ब्राह्मïणों का उत्पीड़न कर रही है। प्रदेश में 500 से ज्यादा ब्राह्मïणों की हत्या हो चुकी है। शादी के बाद भी अमर दुबे की पत्नी के हाथों की मेहंदी भी नहीं छूटी उसे अपराधी बताकर जेल भेज दिया गया। उसके साथ सरकार के इशारे पर अन्याय किया गया है। अब कुछ ही महीनों में यह अत्याचारी सरकार विदा होने वाली है। कार्यकर्ता गांव जाकर चुनाव की तैयारी में जुटे। ये बात चौबेपुर में आयोजित बसपा के एक दिवसीय कार्यकर्ता सम्मेलन में राष्टï्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कही। उन्होंने कहा प्रदेश में अपराध व महिला उत्पीड़न चरम पर है सरकार हर मुद्ïदे पर फेल हो चुकी है। जगह जगह लूट हत्या जैसी जघन्य घटनाएं हो रही हैं और सरकार अपराधियों को बचाने में जुटी है।

उन्होंने ब्राह्मण कार्ड को आगे रखते हुए कहा कि प्रदेश में सबसे ज्यादा उत्पीड़न ब्राह्मणों का ही हुआ है उनकी हत्या कराई गई हैं। 16 वर्षीय अमर दुबे की पत्नी को अपराधी बना दिया गया। ब्राह्मïण समाज यह अन्याय देख रहा है। वह समय आने पर निर्णय लेगा। प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह विफल हो चुकी है। कृषि के काले कानून को वापस लेने में भी सरकार चालबाजी कर रही हैं। चुनाव के बाद फिर से ऐसे कानून लगा देगी। प्रदेश की जनता बदलाव चाहती है उन्होंने कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए कहा कि वह संकल्प ले लेकर बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनाने के लिए गांव में अभी से तैयारी शुरू कर दें। इसके लिए बूथ कमेटी व पार्टी के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी जाए। कार्यक्रम में पूर्व मंत्री नकुल दुबे व जिलाध्यक्ष राम शंकर कुरील ने भी विचार रखे।

गरीबों की हितैषी नहीं यह सरकार

बसपा के राष्टï्रीय महासचिव ने कहा सपा जहां गुंडों की सरकार है। वहीं भाजपा सरकार में हत्या व फर्जी मुठभेड़ की घटनाएं किसी से छिपी नहीं हैं। महासचिव ने कहा कि हर जाति धर्म की एक बसपा ही एक पार्टी है। जबकि, भाजपा और सपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने कहा चुनाव नजदीक आते ही वोट बैंक को देखते हुए काले कानून को वापस लेने का निर्णय ले लिया। कोरोना काल को याद दिलाते हुए कहा कि सैकड़ों किलोमीटर गरीब महिलाओं ने पैदल चलकर अपने प्राण त्याग दिए और यह भाजपा सरकार गरीबों की हितैषी तक नहीं। इस सरकार की जल्द विदाई होगी।

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