जनता की मांग पर बना प्रत्याशी: अखिलेश
- स्थानीय स्तर पर सपा के कार्यकर्ता नाखुश थे
- सपा का कन्नौज सीट बीजेपी से छीनने का इरादा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। बीजेपी से कन्नौज सीट छीनने के लिए सपा मुखिया ने वहां से खुद लड़ने का फैसला किया है। इंडिया खेमे को भरोसा है कि पहले चरण में उसके हिस्से तीन से चार सीटें आएंगी। अगले चरणों में इसे बनाए रखने और उत्साह कायम रखने के लिए भी अखिलेश यादव ने मैदान में उतरने का निर्णय लिया। वहीं, स्थानीय संगठन ने अखिलेश यादव से मिलकर स्पष्ट कर दिया था कि तेज प्रताप यादव के लडऩे पर उतना समर्थन नहीं मिल पाएगा, जितना अखिलेश यादव को बतौर प्रत्याशी को मिल सकता है। दरअसल, कन्नौज सीट पर मैनपुरी से पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को सोमवार को ही उम्मीदवार बनाया गया था।
हालांकि, पहले से ही सपा कार्यकर्ताऔधि मांग की थी कि अखिलेश यादव को ही कन्नौज से चुनाव लडऩा चाहिए। मंगलवार को कुछ कार्यकर्ता और नेता लखनऊ में अखिलेश से मिले और चुनाव मैदान में उतरने का अनुरोध किया। अखिलेश यादव ने मंगलवार की शाम को अमर उजाला से बातचीत में खुद चुनाव लडऩे के स्पष्ट संकेत दे दिए थे। बताते हैं कि कन्नौज में उठापटक तो सोमवार को तेज प्रताप के नाम के एलान के साथ ही हो गई थी। तेज प्रताप की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद से ही सपा के स्थानीय कार्यकर्ता इस फैसले का विरोध कर रहे थे। कन्नौज के सपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल अखिलेश यादव से मिला और पूरी स्थिति से अवगत कराया। यह भी बताया कि स्थानीय स्तर पर सपा के कार्यकर्ता तेज प्रताप की उम्मीदवारी से नाखुश हैं और उनका कहना है कि तेज प्रताप को वहां के लोग जानते तक नहीं हैं। स्थानीय नेता किसी भी हालत में पार्टी की स्थिति को कन्नौज में कमजोर नहीं होने देना चाहते हैं। अगर अखिलेश खुद नहीं उतरे, तो पार्टी से लोग निराश हो जाएंगे। यहां बता दें कि कन्नौज सीट पर लंबे समय तक समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है। अखिलेश यादव 2000 में कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में पहली बार सांसद चुने गए थे। वह 2004 और 2009 में भी इसी सीट से सांसद रहे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकसभा से इस्तीफा देने के चलते 2012 में कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में अखिलेश की पत्नी डिंपल निर्विरोध चुनी गई थीं। 2014 के आम चुनाव में भी डिंपल ने इसी सीट से जीत दर्ज की थी, लेकिन 2019 के चुनाव में वह भाजपा के सुब्रत पाठक से हार गईं।
टिकट न मिलने से नाराज पर सपा नहीं छोड़ूंगा : अबू आजमी
सपा नेता अबू आजमी ने कहा है कि मीडिया में उनके सपा छोडऩे की खबरें निराधार हैं। वे नेताजी मुलायम सिंह यादव के समय से सपा से जुड़े हैं और मुंबई में समाजवादी पार्टी को उन्होंने खड़ा किया है। समाजवादी पार्टी को छोडक़र नहीं जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन के तहत उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं मिला है। नॉर्थ-ईस्ट मुंबई सीट से वे टिकट मांग रहे हैं। इसको लेकर उनके अंदर थोड़ी नाराजगी जरूर है। इसके बावजूद सपा का साथ छोडऩे का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि वे सरकार में शामिल एनडीए गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं से मिले जरूर हैं लेकिन, यह मुलाकात काम के सिलसिले में थी, एनडीए में शामिल होने के लिए नहीं।
संजय सिंह की जनसभाएं चाह रहें कांग्रेस और सपा प्रत्याशी
शराब घोटाले में हाल ही में जेल से छूटे आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की अपनी पार्टी में ही नहीं बल्कि इंडिया गठबंधन में भी काफी मांग में है। जेल से निकलने के बाद भी वह भाजपा सरकार पर पहले की तरह हमलावर हैं। यही वजह है कि कांग्रेस व सपा के प्रत्याशी उनकी सभाओं की मांग कर रहे हैं। हाल ही में पश्चिमी यूपी में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी दानिश अली के लिए अमरोहा और सपा प्रत्याशियों अमरपाल शर्मा के लिए बागपत में सभाएं की हैं। आप यूपी में चुनाव नहीं लड़ रही है लेकिन इंडिया गठबंधन में रहकर वह उनके प्रत्याशियों को जिताने के लिए जनसंपर्क व सभाएं कर रही है। पार्टी के नेता व पदाधिकारी इंडिया गठबंधन के नेताओं के साथ मिलकर चुनाव की रणनीति तैयार कर रहे हैं। संजय सिंह के जेल में बंद रहने तक तो आप के नेताओं को इंडिया गठबंधन में ज्यादा नहीं पूछा जा रहा था। पर, जेल से निकलने के बाद न सिर्फ उनकी बल्कि आप नेताओं की भी मांग बढ़
गई है।