अखिलेश ने बढ़ाई सीएम योगी की धड़कनें, कहा-सभी सीटों पर जीतेगी सपा
- 13 दिन बाद उत्तर प्रदेश में उपचुनाव
- यूपी में बीजेपी के हालत ठीक नहीं!
- अगर ऐसा हुआ तो योगी के सामने होगा संकट
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में न तो राजनीतिक स्थितियां बदली है और न ही हालात! ऐसे में उपचुनाव में सभी सीटों पर जीत का दवा करने वाले यूपी के मुखिया सीएम योगी के सामने एक आग का दरिया है और उसमें तैर कर जाने वाले हालत है। क्योंकि मिल्कीपुर को छोड़कर जिन सीटों पर चुनाव हो रहे हैं उनमें पांच सीटें सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर और कुंदरकी सपा के पास थीं। जबकि फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर भाजपा के पास थी। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनौती देते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में अगर बेईमानी नहीं हुई और निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से चुनाव हुआ तो समाजवादी पार्टी सभी सीटें जीतेगी और भाजपा सभी सीटें हार जाएगी। अब बड़ा सवाल यही है कि लोकसभा चुनाव में कह कर बीजेपी को हराने वाले अखिलेश यादव की यह बात सच साबित हुई तो फिर यूपी में बीजेपी अपने मुख्यमंत्री का चेहरा बदल देगी। ठीक वैसे ही जैसे उत्तराखंड, हरियाणा और राजस्थान में किया। सूत्रों की माने तो यूपी के सीएम योगी पर दोहरा दबाव है। पहला दबाव एनडीए के सहयागी दलों का है जिसमें ओमप्रकाश राजभर, संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल है। और दूसरा दबाव यूपी उपचुनाव का है। क्योंकि उन्हें साफ संकेत दे दिये गये हैं कि यदि उपचुनाव में बीजेपी हारती है तो फिर उनके सामने संकट है। इसलिए यूपी उपचुनाव में आलाकमान ने सीएम योगी को फ्रीहैंड दिया है। वह जिसको चाहे, जहां से चाहे, जैसे चाहे लड़ाये। पालिटिक्ल एनालिस्ट डीके त्रिपाठी कहते हैं कि सीएम योगी के नारे कटेंगे तो बटेंगे को भी आरएसएस ने इसीलिए ओके कर दिया कि वह जैसे चाहे चुनाव लड़े। जिन नारों पर चाहे चुनाव लड़े बस जीत चाहिए। अगर जीत नहीं होगी तो फिर सीएम योगी के लिए संकट है।
यूपी के नतीजों ने किया कमजोर
लोकसभा चुनाव में पूरे देश में यूपी को छोड़कर बीजेपी का परचम लहराया। यूपी में बीजेपी को हार का समाना करना पड़ा। बीजेपी केन्द्र में पूर्व की तरह सशक्त सरकार बनाना चाहती थी। ताकि जिन मुद्दों को पीएम मोदी क्लियर करना चाहते थे वह ठीक वैसे ही हो जैसे कश्मीर में धारा 370 को हटाया था। लेकिन इस बार वैसा नहीं हो पा रहा है। वक्फ संशोधन बिल पर भी जेपीसी बिठनी पड़ी?
इस कारण हो रहा है उपचुनाव
- करहल सीट सपा प्रमुख अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद चुने जाने के कारण खाली हुई।
- कटेहरी (अंबेडकर नगर) सीट पार्टी के लालजी वर्मा के अंबेडकर नगर लोकसभा सीट से चुने जाने के कारण खाली हुई है।
- मिर्जापुर की मझवां सीट बीजेपी के विनोद कुमार ङ्क्षबद के भदोही से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद खाली हुई है।
- भाजपा के अनूप सिंह उर्फ अनूप प्रधान बाल्मीकि ने हाथरस लोकसभा सीट से चुने जाने के बाद अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट
- से इस्तीफा दे दिया है।
- भाजपा के प्रवीण पटेल ने फूलपुर लोकसभा सीट से चुने जाने के बाद प्रयागराज की फूलपुर विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।
- सपा नेता जिया उर रहमान बर्क की मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट उनके संभल से लोकसभा में चुने जाने के कारण खाली हुई है।
- राष्ट्रीय लोकदल के चंदन चौहान ने बिजनौर से लोकसभा में चुने जाने के बाद मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।
कहीं टफ टास्क न साबित हो यह चुनाव
कटेहरी और मझांवा सीट पर निषाद पार्टी ने अपना दावा ठोका था और कहा था कि वह अपने सिंबल पर इन सीटों पर चुनाव लडऩा चाहती है। इसके लिए संजय निषाद गृहमंत्री अमित शाह से भी मिले थे। लेकिन उनकी दाल नहीं गली और सिंबल तो छोडिय़े उन्हें सीट तक नहीं मिली। वहीं ओमप्रकाश राजभर के भी कहीं—कहीं सुर बदलते सुनाई दिये हैं। ऐसे में कांग्रेस को भी सपा द्वारा कोई सीट न दिये जाने के बाद ही बीजेपी ने अपनी रणनीति बदली और संजय निषाद को भी यही कह कर समझाया गया कि यह चुनाव अकेले पर अकेले वाला चुनाव है। इस चुनाव में जीत—हार के मायने बहुत दूर तक जायेंगे। यह चुनाव सीएम योगी के नाक का सवाल बन गया है। क्योंकि उपचुनाव होते ही सरकार के हैं। राज्य कोई भी हो उपचुनाव में ज्यादातर जिसकी सरकार होती है उसके प्रत्याशी जीतते हैं। जब सपा की यूपी में सरकार थी तो अखिलेश यादव की पार्टी ने सहरानुपर सीट छोड़ कर शेष सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी। ऐसे में सपा की तैयारियां, पीडीए का मुद्दा और एनडीए घटक दलों के भीतर आपसी खीचातान के कारण सीएम योगी के सामने उपचुनाव में जीत दर्ज करना कहीं टफ टास्क न बन जाएं।
टर्निंग प्वाइंट साबित होंगे उपचुनाव के नतीजे
उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव के लिए शुक्रवार को 78 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया, जिससे नौ सीटों पर उम्मीदवारों की कुल संख्या 149 हो गई। चुनाव आयोग (ईसी) के अनुसार, नामांकन पत्रों की जांच 28 अक्टूबर को हुई और उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर यानि आज है। 13 नवम्बर को वोड डाले जाएंगे और 23 नवम्बर को नतीजे आयेंगे। उप—चुनाव के नतीजे यूपी की राजनीति के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित होगे। इस चुनाव के नतीजे बतायेंगे कि यूपी का वोटर अभी भी पीडीए फार्मूले के साथ है या फिर उसे कटेंगे तो बटेंगे अच्छा लगा। मायावती का किरदार भी अहम साबित होगा कि उन्होंने इन चुनाव में क्या किया? कांग्रेस ने यूपी में सभी सीटे देकर अपने लिए महाराट्र की पिच को ठीक करने का काम किया है। क्योंकि वहां सपा पांच सीटे किसी भी कीमत पर मांग रही है। अबू आसिम ने तो वहां प्रत्याशी भी उतार दिये हैं। औवैसी की पार्टी महाराष्ट्र की 14 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।