धर्मात्मा निषाद सुसाइड केस समेत अन्य मुद्दों पर अखिलेश ने भाजपा सरकार को घेरा!
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इन दिनों प्रदेश का सियासी पारा हाई चल रहा है। मिल्कीपुर उपचुनाव संपन्न होने के बाद अब सभी दलों ने प्रदेश में होंगे वाले आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं। इसी बीच विपक्ष भाजपा सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। विपक्षी दल सपा योगी सरकार की जमकर आलोचना कर रहा है। ऐसे में महाकुंभ से लेकर संभल में हुई हिंसा और जो भी तमाम मुद्दे हैं उन्हें लेकर विपक्षी दल योगी सरकार और केंद्र में बैठी भाजपा सरकार की निंदा कर रहा है लेकिन वहीं दूसरी तरफ भाजपा के नेताओं हैं जो की सत्ता के नशे में चूर होकर ये भूल गए हैं कि कुर्सी महज 5 सालों के लिए ही होती है। खैर इन सब मुद्दों के बीच एक मुद्दा गंभीर चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में निषाद पार्टी के कार्यकर्ता धर्मात्मा निषाद की आत्महत्या के मामले की। इसे लेकर सपा कांग्रेस दोनों ही निषाद पार्टी और भाजपा को घेर रही है।
दरअसल इस घटना के आने से सरकार घिरती हुई नजर आ रही है। इस मामले में निषाद पार्टी के मुखिया और कैबिनेट मंत्री संजय निषाद और उनके बेटे पर गंभीर आरोप लगे हैं जिसके बाद अब संजय निषाद ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि वो और उनका परिवार हर तरह की जांच के लिए तैयार है. वहीं दूसरी तरफ अखिलेश यादव, कांग्रेस नेता अजय राय समेत अन्य नेता उन्हें जमकर घेर रहे हैं। वहीं इसी बीच निषाद पार्टी के कार्यकर्ता की आत्महत्या के बारे में अखिलेश ने कहा कि जो दोषी हैं उनको जेल भेजना चाहिए। इन सबके बीच संजय निषाद ने अपने आवास पर पार्टी के दिवंगत नेताओं के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने कहा कि आज निषाद पार्टी जिस मुकाम पर पहुंची है वो अपने कार्यकर्ताओं की बदौलत पहुंची है. पार्टी के सदस्यों की मेहनत और लगन की वजह से ही वो मंत्री बने हैं. इसी दौरान उन्होंने पार्टी कार्यकर्ता धर्मात्मा निषाद की आत्महत्या को लेकर उठ रहे सवालों का भी जवाब दिया और कहा कि वो मेरे और मेरे परिवार पर इसे लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं इसलिए वो चाहते हैं कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए.
इतना ही नहीं इसके साथ ही कैबिनेट मंत्री ने कहा कि वो और उनका परिवार इस जांच के लिए तैयार हैं और वो इस मामले में सीबीआई का पूरा सहयोग करेंगे. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि इस मामले में उच्चस्तरीय जांच कमेटी का गठन हो और जो भी दोषी हो उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाए. वहीं इस मामले को लेकर कांग्रेस ने मंत्री के इस्तीफे की भी मांग की है, साथ ही कहा कि जांच पूरी होने तक उन्हें पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. इतना ही नहीं कांग्रेस ने तो इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री को चिट्ठी भी लिखी है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि निषाद पार्टी में प्रदेश सचिव रहे धर्मात्मा निषाद ने सोशल मीडिया पर संजय निषाद के खिलाफ आरोप पोस्ट करने के बाद कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. राय ने पत्र में कहा, “यह एक बेहद दुखद घटना है जिसकी निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग है.” उन्होंने तर्क दिया कि मंत्री के खिलाफ आरोप न केवल राजनीतिक हैं बल्कि व्यक्तिगत भी हैं, जिनकी तत्काल और गहन जांच की जरूरत है. राय ने कहा, “जांच पूरी होने तक आरोपी मंत्री को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.” कांग्रेस ने मृतक नेता के परिवार को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और उनके एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की है.
इस मामले की अगर बात की जाए तो आपको बता दें कि निषाद पार्टी के कार्यकर्ता धर्मात्मा निषाद ने अपने घर में फांसी का फंदा लगाकर जान दे दी थी. सुसाइड से पहले उसने फ़ेसबुक पर एक लंबा चौड़ा नोट लिखा था, जिसमें उसने संजय निषाद और उनके दोनों बेटों पर आरोप लगाए थे. धर्मात्मा ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘‘मैं अगर दुनिया छोड़कर जा रहा हूं तो इसका सबसे बड़ा कारण डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके बेटे प्रवीण कुमार निषाद तथा श्रवण कुमार निषाद और …गद्दार दोस्त जय प्रकाश निषाद हैं. मैं फिर कह रहा हूं कि अगर मैं मारना चाहता तो इन गद्दारों को कभी भी मार सकता था, लेकिन मैं हत्यारा नहीं बनना चाहता था.’’ वहीं अब एक बार फिर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस मामले को लेकर हमला बोला। उन्होंने सीएम योगी और संजय निषाद पर हमला करते हुए कहा की जो भी दोषी हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाई की बात कही है।
इसके साथ ही अखिलेश यादव ने सीएम योगी को अन्य मुद्दों पर भी घेरा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री यूनिकॉर्न की बैठक कर लाखों-करोड़ रुपये के निवेश आने व रोजगार की बात कहते थे, पर आज भी केवल बैठक ही हो रही है। महाकुंभ के लिए झूठ बोला गया कि यह हर 12 साल में होता है, इतना प्रचार-प्रसार किया और उसके बाद जनता को उनके हाल पर छोड़ दिया। कहा कि मुख्यमंत्री कहते रहे कि हमने 100 करोड़ का इंतजाम किया है। लेकिन हर तरफ जाम लग रहा। भगदड़ में जान गई, लोग खो गए, रोज दुर्घटनाएं हो रहें। कहां हैं इंतजाम? यह हाल तब है जबकि अमृतकाल का सपना दिखाया जा रहा। इसके साथ ही उर्दू वाले बयान पर कहा कि लोग कहते हैं कि उर्दू सीखो, यह हमारी संस्कृति की भाषा है। प्रेम की भाषा है। मुख्यमंत्री तो उर्दू हटाने की बात भी उर्दू में बोल रहे हैं। कहा कि वह महाकुंभ की नाकामी को छिपाने के लिए उर्दू व मुसलमानों को कुछ भी कह सकते हैं।
अखिलेश ने दोहराया कि महाकुंभ का समय बढ़ाया जाना चाहिए। कहा कि अभी बहुत से बुजुर्गों ने स्नान नहीं किया है। दावा किया कि वर्ष 2027 में सपा की पूर्ण बहुमत से सरकार आ रही है। गौरतलब है कि अखिलेश यादव जिस तरह से अभी से ही चुनावी मैदान में जुटे हुए हैं इससे एक बात तो तय है कि भाजपा के लिए आगामी 2027 का विधानसभा चुनाव किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं होने वाला है। अब देखना ये होगा कि भाजपा अखिलेश यादव के आरोपों और सवालों का किस तरह से जवाब देते हैं।