विधानसभा चुनाव में साथ नजर आएंगे अखिलेश यादव और मायावती! सपा सांसद ने दिए ये संकेत    

यूपी में 2024 के लोकसभा चुनावी नतीजों के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। वहीं 2027 के विधानसभा चुनावों में सपा और बसपा के गठबंधन को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं।

4PM न्यूज़ नेटवर्क: यूपी में 2024 के लोकसभा चुनावी नतीजों के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। वहीं 2027 के विधानसभा चुनावों में सपा और बसपा के गठबंधन को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं। दरअसल, अफजाल अंसारी बार-बार इस बात का दावा कर रहे हैं कि न तो बसपा ने उनको निकाला है न ही वो बसपा को छोड़ना चाहते हैं। अफजाल अंसारी ऐसा कहते समय बसपा प्रमुख मायावती पर लगातार निशाना साध रहे हैं। ऐसे में उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी की बात टॉप लीडरशिप को माननी पड़ेगी, नहीं तो इसका खामियाजा आगे भी उनको भुगतना पड़ेगा।

दरअसल, अफजाल अंसारी 2019 में बसपा और सपा गठबंधन में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत दर्ज की थी। जबकि 2024 में उन्होंने सपा से जीत हासिल की है। लेकिन 2024 में इंडिया गठबंधन की सरकार नहीं बन पाई लेकिन 2027 में यूपी में सपा-बसपा का गठबंधन हुआ तो अफजाल अंसारी का मानना है कि सरकार बन सकती है। और इसी वजह से वह बसपा से अपने को जोड़कर चल रहे हैं।

अफजाल अंसारी ने मायावती पर साधा निशाना

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में अफजाल अंसारी की जीत में दलित मतों का बड़ा योगदान रहा है। समाजवादी पार्टी सांसद अफजाल अंसारी ने दावा किया है कि कुछ दलित बस्तियों में उनको 75 फीसदी तक मत मिले हैं और औसतन दलित बस्तियों के 50 फीसदी तक मत उनको मिले हैं। अफजाल अंसारी के बसपा प्रेम और मायावती के विरोध को इसी बात से समझा जा सकता है कि अफजाल अंसारी 2027 के विधानसभा चुनाव में भी उन दलित मतों को खिसकना नहीं देना चाहते हैं जो उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में मिले हैं. सपा-बसपा का गठबंधन हो जाता है तो अफजाल अंसारी 2027 में एक बड़ी ताकत बनकर उभर सकते हैं।

अफजाल अंसारी की जीत में दलित मतों का बड़ा योगदान

2027 के विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन नहीं हो पाता है तब भी दलित मतों की बड़ी भूमिका इस चुनाव में होने वाली है। अफजाल अंसारी इशारों में मायावती पर निशाना साधते हुए कह रहे हैं कि बसपा के टाप लीडरशीप को सोचना होगा नहीं तो दलित समाज खुद सोच लेगा। ऐसा कर वो दलित वोट की सिम्पैथी बटोर रहे हैं और आने वाले विधानसभा चुनाव में उनको वोट में कन्वर्ट करने की उनकी पूरी कोशिश है। अफजाल अंसारी बसपा में रहे हैं और गाजीपुर में दलित वोट में उनकी गहरी पैठ है ये  लोकसभा चुनाव में साबित भी हो चुका है।

ऐसे में अब उनका प्रयास है कि पूरे प्रदेश में इसी समीकरण पर काम हो और सपा-बसपा का गठबंधन न हो तब भी अपने को वो दलितों का सबसे बड़ा हितैशी साबित कर सकें। बता दें कि अफजाल अंसारी मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं। मुख्तार अंसारी की मौत जरुर हो चुकी है लेकिन अफजाल अंसारी पर जहां एक तरफ हाइकोर्ट के फैसले की तलवार लटक रही है। तो वहीं वो अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि योगी सरकार की नजर एक बार फिर अंसारी परिवार के ऊपर टेढ़ी हो सकती है।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • अफजाल अंसारी को पूरा भरोसा था कि 2024 में देश में इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी।
  • लेकिन ऐसा नहीं हो सका और अब उनकी नजर यूपी विधानसभा चुनाव पर है।
  • अफजाल अंसारी के बयानों से साफ हो गया कि उनका प्रयास होगा कि सपा और बसपा का गठबंधन हो और सरकार बने।
  • लेकिन किसी वजह से गठबंधन न हो सके तब भी बसपा के वोटबैंक को वो अपने पाले में कर सकें।

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