अखिलेश यादव की मांग: महाराणा प्रताप जयंती पर दो दिन की छुट्टी, ठाकुर समाज को साधने की कोशिश

सपा सरकार ने महाराणा प्रताप के सम्मान में एक दिन की छुट्टी घोषित की था, लेकिन अब हमारी मांग है कि उसे बढ़ाकर दो दिन की जानी चाहिए।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः समाजवादी पार्टी यानी सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार से महाराणा प्रताप की जयंती पर एक के बजाय दो दिन की छुट्टी देने की मांग की है। अखिलेश ने यह भी घोषणा की कि यदि सपा सरकार सत्ता में आती है, तो लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट पर महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित की जाएगी, और उनकी तलवार सोने से बनवाई जाएगी।

यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब सपा सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा राणा सांगा पर दिए गए विवादास्पद बयान के बाद ठाकुर समुदाय में नाराजगी देखी जा रही है। विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव की यह पहल ठाकुर वोट बैंक को साधने की रणनीति का हिस्सा है, जिससे पार्टी को हुए संभावित राजनीतिक नुकसान की भरपाई की जा सके। उत्तर प्रदेश की राजनीति में ठाकुर समुदाय का महत्वपूर्ण प्रभाव है, और आगामी चुनावों को देखते हुए सपा अब इस नाराजगी को दूर करने में जुट गई है।

महाराणा प्रताप की मूर्ति लगाने का वादा
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महाराणा प्रताप की जयंती पर उनकी प्रतिमा लखनऊ के रिवर फ्रंट के किनारे लगाने का ऐलान किया है।साथ ही उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने महाराणा प्रताप के सम्मान में एक दिन की छुट्टी घोषित की था, लेकिन अब हमारी मांग है कि उसे बढ़ाकर दो दिन की जानी चाहिए। एक दिन तैयारी में लग जाता है और दूसरे दिन बहुत उत्साह के साथ जयंती मना सकें। अखिलेश ने कहा कि सपा की सरकार बनती है तो रिवर फ्रंट पर महाराणा प्रताप की सबसे सुंदर प्रतिमा समाजवादी लोग लगाने का काम करेंगे। साथ ही उनके हाथ में चमकती हुई तलवार भा होगी, जो कि सोने की होगी।

राणा सांगा पर बयान को लेकर डैमेज कंट्रोल
सपा के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने 21 मार्च को उच्च सदन में गृह मंत्रालय के कामकाज की समीक्षा पर बहस चल रही थी. रामजीलाल सुमन ने इस बहस के दौरान कहा था कि इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था, तो मुसलमान तो बाबर की औलाद हैं और तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो. ये हिंदुस्तान में तय हो जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि हम लोग बाबर की तो आलोचना करते हैं लेकिन राणा सांगा की आलोचना नहीं करते हैं. इस बयान को लेकर सियासी संग्राम छिड़ गया था. करणी सेना ने रामजीलाल सुमन के घर पर जमकर हंगामा किया और उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिए था. इसके बाद आगरा में करणी सेना ने तलवार लेकर विरोध किया था.

रामजी लाल सुमन की इस टिप्पणी के बाद बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं ने अपना विरोध जताया था. ठाकुर समुदाय के लोग सड़क पर उतर गए थे, सपा के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की थी. अखिलेश यादव अपने दलित सांसद रामजीलाल सुमन के साथ खुलकर खड़े थे, जिसके बाद कहा गया कि सपा के एजेंडे से क्या ठाकुर बाहर हो गए हैं. 2027 के चुनाव में सपा को सबक सिखाने का भी करणी सेना और ठाकुर संगठनों ने ऐलान कर दिया था. ऐसे में सपा प्रमुख सियासी मिजाज समझते हुए महाराणा प्रताप का दांव चला है ताकि ठाकुर वोटों की नाराजगी को दूर कर सकें.

यूपी में ठाकुर वोटों की समझें ताकत
उत्तर प्रदेश में भले ही पांच फीसदी ठाकुर समुदाय की आबादी हो, लेकिन उनकी सियासी ताकत उससे ज्यादा है. 2017  के यूपी विधानसभा चुनाव में 63 राजपूत विधायक जीतने में सफल रहे थे, जबकि 2022 में 49 ठाकुर विधायक चुने गए. अवध से लेकर पूर्वांचल और पश्चिम यूपी में ठाकुर वोटर निर्णायक हैं. इस तरह से यूपी की सत्ता का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत ठाकुर वोटर रखते हैं, ऐसे में सपा प्रमुख ठाकुर वोटों की नाराजगी का जोखिम भरा कदम नहीं उठाना चाहते हैं.

बीजेपी के दिग्गज नेता पुरुषोत्तम रुपाला के क्षत्रिय समुदाय पर दिए गए विवादित बयान को लेकर करणी सेना ने यूपी में मोर्चा खोल दिया था, जिसका नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ा. वैसा ही माहौल राणा सांगा पर रामजीलाल सुमन के द्वारा दिए गए बयान के बाद हो गया है. ठाकुर समाज के लोग सपा के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं. इसके चलते ही सपा डैमेज कंट्रोल करने में जुट गई है, जिसके लिए महाराणा प्रताप का सियासी दांव चला है.

सपा क्या ठाकुरों को साध पाएगी?
मुलायम सिंह यादव ने सपा का गठन किया तो यूपी के तीन बड़े वोटबैंक को टारगेट किया था, जिसमें यादव, मुस्लिम और ठाकुर हुआ करता था. इन्हीं तीन समाज के सहारे सपा राजनीति करती रही है. ठाकुर सपा का परंपरागत वोटर माना जाता था. मुलायम सिंह यादव ने जब जनता दल से अलग होकर समाजवादी पार्टी बनाई तो मोहन सिंह, अमर सिंह जैसे दिग्गज ठाकुर नेताओं को साथ रखा. इसके अलावा उन्होंने अलग-अलग इलाकों में भी ठाकुर नेताओं को जोड़ा और उन्हें संगठन में अहमियत दी. ठाकुरों का एक बड़ा तबका मुलायम सिंह यादव को पसंद करता रहा और ठाकुर अमर सिंह के साथ आने के बाद सपा की ठाकुर राजनीति में तेजी से विस्तार हुआ.

आपको बता दें,कि मायावती ने रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को गिरफ्तार कर जेल भेजा तो सपा ने सड़क से संसद तक मोर्चा खोल दिया था. साल 2012 में सपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी. उस समय सूबे में 48 ठाकुर विधायक जीतकर आए थे, जिनमें 38 सपा के टिकट पर जीते थे. अखिलेश सरकार में 11 ठाकुर मंत्री बनाए थे. यूपी में जब-जब सपा विधानसभा चुनाव जीतती है, तब-तब ठाकुर विधानसभा में सबसे बड़े समूह के रूप में उभरते हैं. लेकिन 2017 में बीजेपी के सरकार में आने और योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद से ठाकुरों को सपा से मोहभंग हुआ है.

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