धर्मांतरण विरोधी कानून को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला

लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी धर्मांतरण विरोधी कानून की धारा तीन और पांच को असंवैधानिक करार देने वाली याचिका पर विचार करते हुए शुआट्स वीसी सहित सात अन्य को राहत देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया इन धाराओं में कोई असंवैधानिकता नहीं नजर आती है। लिहाजा, इन्हें गैर संवैधानिक नहीं कहा जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने दिया। कोर्ट ने डॉ। आरबी लाल व सात अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी के आधार पर याचियों के खिलाफ शिकायतकर्ता द्वारा सीधे लालच देकर धर्म परिवर्तन करने का आरोध लगाया गया है। इनके खिलाफ प्रथम दृष्टया यूपी धर्मांतरण विरोधी कानून की धारा तीन के तहत आरोप बनता है। मामले में याचियों के खिलाफ फतेहपुर जिले के कोतवाली थाने में फरवरी 2023 में प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
याचियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर यूपी धर्मांतरण विरोधी कानून की धारा तीन, पांच और 12 को चुनौती देते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की गई थी। याचियों की ओर से कहा गया कि धर्मांतरण विरोधी अधिनियम के प्रावधानों का कोई उल्लंघन नहीं किया गया है। क्योंकि, अधिनियम की धारा आठ और नौ में निहित कानून के प्रावधान का पालन नहीं किया गया। जबकि, इनका पालन किया जाना अनिवार्य है।
कहा गया कि वास्तव में कोई धर्म परिवर्तन नहीं किया गया है। यह याचिका अधिनियम की धारा तीन, पांच और 12 को चुनौती देती है। लिहाजा, याचियों को अंतरित राहत दी जा सकती है। हालांकि, सरकारी अधिवक्ता की ओर से इसका विरोध किया गया। हालांकि, कोर्ट ने याचियों को कोई राहत नहीं दी लेकिन यूपी सरकार से जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

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