लद्दाख चुनाव में जीत से गठबंधन गदगद, नतीजों ने बढ़ाई भाजपा की चिंता
नई दिल्ली। केंद्र-शासित प्रदेश लद्दाख में हुए स्वायत्त पर्वत विकास परिषद-करगिल चुनाव में विपक्षी गठबंधन को जबरदस्त जीत मिली है। इस चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने मिलकर 22 सीटों पर कब्जा किया है। चुनाव के नतीजों को बीजेपी के लिए वेकअप कॉल बताया जा रहा है, क्योंकि बीजेपी को महज दो सीटें ही मिल पाई हैं। 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने धारा 370 को खत्म कर दिया था और लद्दाख को केंद्र-शासित प्रदेश बनाया था। इसके बाद करगिल में लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद का यह पहला चुनाव था।
चुनाव अधिकारियों ने बताया है कि 4 अक्टूबर को 26 सीटों पर चुनाव कराए गए थे और 77।61 फीसदी वोटिंग हुई थी। इंडिया गठबंधन में शामिल नेशनल कॉन्फ्रेंस को इस चुनाव में 12 सीटें मिली, जिसके बाद वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। वहीं कांग्रेस ने 10 सीट पर जीत दर्ज की। बीजेपी को 2 सीटें मिली, जबकि दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने कब्जा जमाया। प्रशासनके लिए 4 सदस्यों को मनोनीत करता है और उनके पास वोटिंग का अधिकार होता है। नई परिषद का गठन 11 अक्टूबर से पहले किया जाएगा।
बता दें कि इस चुनाव से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने गठबंधन का ऐलान किया था। इस गठबंधन का सीधा मुकाबला बीजेपी के साथ था। पिछले चुनाव में बीजेपी ने सिर्फ एक सीट जीती थी, जबकि उसने 17 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। वहीं, आम आदमी पार्टी ने भी 4 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं लगा। इस चुनाव में पहली बार इस्तेमाल हुआ था।
दरअसल धारा 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विधानसभा के चुनाव नहीं हुए हैं। विधानसभा चुनाव से पहले रु्र॥ष्ठष्ट के चुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई है, जबकि गठबंधन गदगद है। ऐसे में बीजेपी के लिए ये चुनाव वेकअप कॉल है। बीजेपी को केंद्र में लगातार तीसरी बार सत्ता से रोकने के लिए ही विपक्षी दल एकजुट हुए हैं, ऐसे में इस चुनाव में बीजेपी की हार नेगठबंधन को आत्मविश्वास से भर दिया है।
चुनाव में जीत के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा, ये चुनाव परिणाम उन सभी ताकतों और पार्टियों को एक संदेश भेजता है, जिन्होंने अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से जम्मू कश्मीर और लद्दाख राज्य को वहां के लोगों की सहमति के बिना बांटा है। उन्होंने कहा कि ये चुनाव परिणाम बीजेपी के लिए एक चेतावनी है। अब समय आ गया है कि बीजेपी राजभवन और अनिर्वाचित प्रतिनिधियों के पीछे छुपना बंद करे।
उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के लिए लोगों की उचित इच्छा को स्वीकार किया जाए। लोकतंत्र की मांग है कि लोगों की आवाज सुनी जाए और उनका सम्मान किया जाए। हम जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों के अधिकारों और आकांक्षाओं को बनाए रखने की कोशिशों में जुटे हैं।