सुमन पर हमला…ओबीसी राजनीति में बवाल
लोकतांत्रिक तालिबानीकरण, रामजी लाल सुमन पर दूसरा अटैक बाल-बाल बचे

हाथरस, कासगंज, उन्नाव लखीमपुर खीरी जैसे मामलों की एक कड़ी जोड़ता है
करणी सेना ने कहा कि अखिलेश-सुमन को जब तक तोड़ेंगे नहीं तबतक छोड़ेंगे नहीं
सुमन पर हमले के बाद दलितों में उबाल
ओबीसी/दलितों का तेजी से हो रहा है सपा की ओर ध्रुवीकरण
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। भारत तालिबान जैसा नहीं है लेकिन तालिबानीकरण की तरफ कदम बढ़ा दिये हैं। यहां विचारधारा की तानाशाही की आहट साफ सुनाई देने लगी है। करणी सेना ने सपा सांसद रामजी लाल सुमन पर दूसरा अटैक किया है। सुमन की गाड़ी पर टायर फेंक कर एक्सीडेंट के जरिये उन्हें जान से मारने की कोशिश की गयी। बता दें कि सुमन बुलंदशहर के कोतवाली देहात क्षेत्र के गांव सुनेहरा में थार गाड़ी से कुचलकर हुई दलित महिला की मौत और तीन लोगों के घायल होने की घटना के बाद पीडि़त परिवार से मिलने जा रहे थे।
वहीं पुलिस ने सपा कार्यकर्ताओं पर सरकारी कार्य में बांधा डालने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया। दोनों ही घटनाओं से सपा में रोष है और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सीएम योगी पर करणी सेना के लोगों को सरक्षंण देने की बात कही है। करणी सेना के नेता ओकेंद्र राणा ने हमले की जिम्मेदारी ली है और कहा है कि जब तक अखिलेश यादव और रामजी लाल सुमन को तोड़ेंगे नहीं तबतक छोड़ेंगे नहीं।

निर्णायक मोड़ में पीडीए की लड़ाई
जिस पीडीए नारे ने सपा को 35 सांसद दिये और देश की तीसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल की हैसियत तक पहुचा दिया। वही पीडीए नारा यूपी से निकल कर पूरे देश में फैल रहा है। सुमन पर हमले से भले ही बीजेपी को तत्कालिक राजनीतिक फायदा हालिस हो जाए लेकिन दूरगामी परिणाम सपा के हित में ही रहेंगे। राजनीतिक विशलेषक डीके त्रिपाठी कहते हैं रामजी लाल सुमन पर हमला एक अकेली घटना नहीं है, बल्कि एक प्रवृत्ति का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश इस प्रवृत्ति का एपिसेंटर बन गया है और यदि समय रहते राजनीतिक दल, न्यायपालिका, और समाज इसका प्रतिरोध नहीं करता है तो भारत का लोकतंत्र एक खोखले ढांचे में बदल सकता है।
अखिलेश यादव ने खायी कसम
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा है कि पूरे देश में सबसे ज्यादा असुरक्षित वातावरण उत्तर प्रदेश में है। उन्होंने कहा कि जो भ्रष्टाचारी लोग हैं वे पाताल लोक नहीं जा रहे मुख्यमंत्री आवास जा रहे हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि हम लोग पीडीए पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक संकल्प के माध्यम से सामाजिक न्याय की स्थापना का संकल्प दोहराने की कसम खाते हैं। सपा ने इस घटना के बाद सीधे तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगाए हैं कि सत्ता के संरक्षण में हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है। इस पूरे प्रकरण से साफ है कि बीजेपी ने राजनीति का तालिबानीकरण कर दिया है। जिस प्रकार से सुमन पर हमला किया गया है वह निंदनीय हैं। सपा पहले भी प्रशासन और सरकार से सुमन की सुरक्षा को बड़ाने के लिए कहा है ।
भविष्य की राजनीति का आईना
उत्तर प्रदेश हमेशा से राष्ट्रीय राजनीति का मिजाज तय करता रहा है। रामजी लाल सुमन पर हमला, हाथरस, कासगंज, उन्नाव, लखीमपुर खीरी जैसे मामलों की एक बानगी भर है। हमले के बाद यह स्पष्ठ है कि यूपी में असहमति को कुचलने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। जाति आधारित धु्रवीकरण फिर से प्रमुख रणनीति बन गई है। और संगठनों के जरिये परोक्ष हिंसा एक नये ट्रेंड का उदय हो रहा है। यदि यूपी में हिंसा का यह पैटर्न मजबूत होता है तो इसका असर पूरे देश पर पडऩा तय है।
मायावती और रावण खामोश
राजनीतिक विशेलषक डीके त्रिपाठी कहते हैं कि ओबीसी और दलित समाज के कई महत्वपूर्ण नेताओं का ताल्लुुक यूपी से हैं। मायावती खुद मुख्यमंत्री बनी लेकिन इस घटना पर न तो बसपा की ओर से कोई निंदा की गयी और न ही ताजा—ताजा आवाज बने चन्द्रशेखर रावण ने कोई प्रतिक्रिया दी। साफ है कि सुमन का कद बड़ेगा तो इन नेताओं का कद घटेगा। दलित समाज/ओबीसी समाज ने जिस प्रकर लोकसभा में सपा के पक्ष में वोट दिया उससे भविष्य की तस्वीर साफ है। बीजेपी ओबीसी समाज का सपा की ओर तेजी से होते धु्रवीकरण से भयभीत नजर आ रही है। उनके मुताबिक यदि ऐसा होता है तो यूपी में राजनीतिक तस्वीर दूसरी होने वाली है।



