अदावत की कीमत चुकानी पड़ी आजम को, पूरे मामले में हैं पेच ही पेच

लखनऊ। रामपुर के डीएम से झगड़े में आजम खान को विधानसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी। उस समय के डीएम और अभी मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह के दवाब में उन पर मुकदमा हुआ था। आजम खान को बरी करते हुए एमपी-एमएलए कोर्ट ने ये माना। जिस भाषण के कारण उन्हें निचली अदालत से सजा हुई, उसकी ओरिजिनल सीडी तक नहीं मिली।
आजम खान के इसी भाषण को हेट स्पीच मानकर उन पर केस हो गया। कहा गया कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने ये आपत्तिजनक बयान दिया था। इसी वीडियो के आधार पर रामपुर की निचली अदालत से उन्हें तीन साल की सजा हो गई। फिर उनकी विधानसभा की सदस्यता भी चली गई। अगले छह साल तक वे चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं। पर अब जो सच सामने आ रहा है, उससे पूरा मामला ही बदल गया है। आजम खान का भाषण जिस वीडियो कैमरे से रिकार्ड हुआ, वो डिलीट हो गया है। सीडी को देखे बिना ्रष्टछ्वरू ने आजम के खिलाफ फैसला दे दिया। सीडी को फॉरेंसिंक लैब भेज कर उसकी रिपोर्ट लेने की जरूरत तक नहीं समझी गई।
अदालत के आदेश के इस पन्ने को पढि़ए। केस दर्ज करवाने वाले सरकारी कर्मचारी अनिल चौहान और चंद्रपाल कहते हैं कि डीएम के दवाब में ऐसा करना पड़ा। उस समय आंजनेय कुमार सिंह रामपुर के डीएम थे। अदालत ने अपने फैसले में माना कि आजम खान के परिवार और डीएम की आपसी रंजिश में ये मुकदमा हुआ, क्योंकि आजम खान लगातार आंजनेय की शिकायत कमिश्नर से कर रहे थे। ये भी आरोप था कि डीएम सत्तारूढ़ बीजेपी की मदद करते थे।
अदालत ने माना कि आजम खान ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था, जिसे आपत्तिजनक माना जाए। आजम खान अब बरी तो हो गए। पर सवाल ये उठता है कि जिस केस की बुनियाद पर उनकी विधायकी गई, उसका अब क्या होगा? रामपुर में हुए उपचुनाव में बीजेपी के आकाश सक्सेना विधायक चुन लिए गए। आजम खान अब अपनी विधानसभा की सदस्यता वापस लेने के लिए हाई कोर्ट जाने पर विचार कर रहे हैं। ऐसे में ये पूरा मामला अब दिलचस्प हो गया है, जिस पर कानून के जानकारों की नजर होगी।

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