आर-पार की लड़ाई शुरू!

यूजीसी मसौदा नियमों में बदलाव पर बवाल

  • जंतर-मंतर पर राहुल-अखिलेश के साथ दर्जनों सांसदों ने भरी हुंकार
  • कृषि कानूनों का किसानों ने किया था विरोध व यूजीसी नियमों का छात्र कर रहे हैं विरोध
  • विपक्ष का आरोप- नये नियमों में यूजीसी ने अपनों को रेवड़ी बांटने के प्रबंध का रास्ता साफ किया
  • विपक्ष शासित छह राज्यों ने की नियमावली को वापस लेने की मांग

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) ने देश में उच्च शिक्षा को और ज्यादा पॉवरफुल बनाने के लिए नये मसौदा नियमों की अधिसूचना को जारी किया है।
अधिसूचना जारी होते ही छात्र और उच्च शिक्षा से जुड़े लोग बैचेन हो गये और सड़कों पर उतर आये। तमिलनाडू इस विरोध का केन्द्र बिंदू रहा और वहां कई बड़े विरोध प्रर्दशन हो चुके हैं। आज दिल्ली के जंतर मंतर पर डीएमके के विभिन्न सांसदों के साथ कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी हुंकार भरी।

देश की शिक्षा प्रणाली पर एक विचारधारा थोपने का प्रयास : राहुल

कांग्रेस सांसद व नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भारत की विविध सांस्कृतिक और भाषाई विरासत के प्रति आरएसएस और सत्तारूढ़ सरकार के दृष्टिकोण की कड़ी आलोचना की। उन्होंने जोर देकर कहा कि नए मसौदा नियम देश की शिक्षा प्रणाली पर एक विलक्षण विचारधारा थोपने का प्रयास थे। मैं तमिल युवाओं को बताना चाहता हूं कि यह मसौदा केवल एक शैक्षिक कदम नहीं है., यह आपके इतिहास, आपकी परंपरा, आपकी भाषा पर हमला करने का आरएसएस का एक प्रयास है। यह आरोप लगाते हुए कि आरएसएस का उद्देश्य इस देश में अन्य सभी इतिहासों, संस्कृतियों और परंपराओं को मिटाना है, उन्होंने कहा, यही उनका शुरुआती बिंदु है, यही तो वे हासिल करना चाहते हैं। उन्होंने संविधान पर हमला किया क्योंकि वे इस देश पर एक विचार, एक इतिहास, एक परंपरा और एक भाषा थोपना चाहते थे।

राजनेताओं को उद्योगपतियों का नौकर बनाना चाहती है भाजपा : अखिलेश

इंडिया गठबंधन के सहयोगी व सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यूजीसी के ड्राफ्ट को लेकर केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वह नई शिक्षा नीति के विरोध में है। सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा सरकार संघ के विचार से शिक्षा को चलाना चाहती है। उन्होंने कि बीजेपी वाले राज्य सरकारों की सारी शक्ति अपने हाथ में लेना चाहते हैं। वे राजनेताओं को उद्योगपतियों का नौकर बनाना चाहते हैं। हम कभी भी नई शिक्षा नीति का समर्थन नहीं कर सकते मैं यहां सभी छात्रों और आपके द्वारा लिए गए निर्णय का समर्थन कर रहा हूं। मैं एनईपी के खिलाफ हूं, मैं बीजेपी के खिलाफ हूं।

फ्रंटफुट पर स्टालिन

तमिलनाडु में विधानसभा में बोलते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने कहा कि यह विधानसभा मानती है कि हाल ही में यूजीसी के मसौदा नियमों को वापस लिया जाना चाहिए। स्टालिन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भी पत्र लिखकर अधिसूचना वापस लेने की मांग की और विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपने-अपने विधानसभाओं में यूजीसी मसौदा नियमों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने को कहा। उनके मुताबिक नियमों में निजी क्षेत्र सहित गैर-शैक्षणिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को इस पद के लिए चुने जाने की अनुमति देने की परिकल्पना की गई है जिससे राज्यों को डर है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को अपनी विचारधारा के मुखर समर्थकों को नियुक्त करने का साहस मिलेगा जिनके पास आवश्यक शैक्षणिक और प्रशासनिक अनुभव की कमी हो सकती है।इससे पहले डीएमके की छात्र शाखा ने यूजीसी मसौदा नियमों के खिलाफ तमिलनाडु के चेन्नई स्थित वल्लुवर कोट्टम में विरोध प्रदर्शन किया था और दावा किया था कि ये संघवाद की भावना के खिलाफ हैं।

इसलिए हो रहा है विरोध

यूजीसी के नए मसौदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, अभ्यर्थी अपनी पसंद के विषय में यूजीसी-नेट उत्तीर्ण करके उच्च संस्थानों में संकाय पदों के लिए अर्हता प्राप्त कर सकते हैं, भले ही उनकी स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री अलग-अलग विषयों में हों। दिशा-निर्देशों में कुलपतियों की चयन प्रक्रिया में भी बदलाव का प्रस्ताव है, जिसमें शैक्षणिक जगत, अनुसंधान संस्थानों, सार्वजनिक नीति, लोक प्रशासन और उद्योग से जुड़े पेशेवरों को शामिल करने के लिए पात्रता मानदंडों का विस्तार करना भी शामिल है।

संघवाद का उल्लंघन नहीं किया जा सकता : जयराम रमेश

कांग्रेस ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मसौदा नियमों को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि यह दलील की कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन के लिए नियमों को अद्यतन किया गया है तार्किक प्रतीत नहीं होती और इसे वापस लिया जाना चाहिए। कांग्रेस कमेटी में संचार प्रभारी एवं महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि बेंगलुरु में कर्नाटक के उच्च शिक्षामंत्री एम सी सुधाकर द्वारा राज्यों के उच्च शिक्षा मंत्रियों का सम्मेलन आयोजित किया गया। कर्नाटक, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, और झारखंड के छह मंत्रियों ने यूजीसी के दमनकारी मसौदा नियमावली, 2025 के खिलाफ 15 सूत्रीय प्रस्ताव अपनाया है। संघवाद के संवैधानिक सिद्धांत पवित्र हैं और इनका उलंघन नहीं किया जा सकता है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता शिक्षा मंत्रालय के मुख्य लक्ष्यों में से एक है। उनका यह तर्क है कि नियमों को एनईपी 2020 के अनुरूप बनाने के लिए संशोधित किया गया है।

यूजीसी ने किया बचाव

यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने संशोधित नियमों का बचाव करते हुए इस बात पर जोर दिया कि संशोधित प्रक्रिया अस्पष्टता को समाप्त करती है और पारदर्शिता सुनिश्चित करती है। उन्होंने कहा कि समिति में तीन सदस्य होंगे एक कुलाधिपति द्वारा नामित एक यूजीसी अध्यक्ष द्वारा नामित तथा एक विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद या सीनेट द्वारा नामित।

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