बैटल ऑफ गलवान और नए नारे: जानिए सलमान खान की रणनीति में क्या बदला?

सलमान खान को हाल में बॉक्स ऑफिस पर वैसी सफलता नहीं मिली है, जिसके लिए वो जाने जाते हैं. सिकंदर ने कोई कमाल नहीं दिखाया.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: सलमान खान को हाल में बॉक्स ऑफिस पर वैसी सफलता नहीं मिली है, जिसके लिए वो जाने जाते हैं. सिकंदर ने कोई कमाल नहीं दिखाया.

ऐसे में बैटल ऑफ गलवान में बजरंग बली की जय और भारत माता की जय के साथ बिरसा मुंडा की जय का नारा कुछ नया इशारा करता है. आखिर क्या हो सकता है इसका मतलब, जानने की कोशिश करते हैं.

सलमान खान की आने वाली फिल्म बैटल ऑफ गलवान (Battle of Galwan) अभी से ही चर्चा में आ गई है. चीन की प्रतिक्रिया के बाद यह फिल्म और भी सुर्खियों में आ गई है. फिल्म की कहानी जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प पर आधारित है. इस लिहाज से यह फिल्म सच्ची घटना पर केंद्रित है. लेकिन पर्दे पर दिखाई गई कहानी में क्या-क्या सिनेमाई लिबर्टी ली गई है, कहानी कहां से शुरू होती है, कहां विस्तार पाती है और किस मोड़ पर जाकर खत्म होती है, यह जानने के लिए 17 अप्रैल तक का इंतजार करना पड़ेगा जब फिल्म थिएटर में रिलीज होगी. लेकिन पिछले दिनों सलमान खान के साठवें जन्मदिन पर जारी हुए बैटल ऑफ गलवान के टीजर के कुछ डायलॉग्स ने दर्शकों में उत्कंठा जगा दी है. जिसमें एक बिरसा मुंडा को याद करने वाला संवाद भी है.

अपूर्व लाखिया निर्देशित इस फिल्म के टीजर के कुछ सीन और उन डायलॉग्स पर सबसे पहले गौर कीजिए. सलमान बोलते हैं- जवानों याद रहे… जख्म लगे तो मेडल समझना… और मौत दिखे तो सलाम करना और कहना- बिरसा मुंडा की जय, बजरंग बली की जय, भारत माता की जय. सलमान की जुबान से ये तीन नारे काफी मायने रखते हैं. टीजर बहुत ही समझदारी के साथ बनाया गया है. तीनों नारे तीन अलग-अलग जॉनर के दर्शकों को साध रहे हैं. बजरंग बली की जय सलमान का लकी फैक्टर है. बजरंगी भाईजान ऑलटाइम हिट मूवी है. भारत माता की जय आज की देशभक्ति फिल्मों की प्रमुख आवाज है, लेकिन इसमें जो सबसे नया है, वह है- बिरसा मुंडा की जय.

टीजर में सलमान का दायरा बढ़ाने का प्रयास

जाहिर है इसमें सलमान खान का मेकओवर तो किया ही गया है- राष्ट्रवाद, देशभक्ति की धारा में एक नया जॉनर जोड़ने की कोशिश की गई है, वह है आदिवासी समाज. इसके जरिए सलमान खान की पहुंच का दायरा बढ़ाने की कोशिश की गई है. इससे बिहार-झारखंड में भी पकड़ बढ़ाने की कोेशिश कह सकते हैं. बजरंग बली जैसे सुपरहिट फॉर्मूला के संदर्भ में बिरसा मुंडा की जय का नारा बैटल ऑफ गलवान के टीजर में अलग ही प्रभाव पैदा करता है. झारखंड ही नहीं बल्कि देश के सभी राज्यों के आदिवासी क्षेत्र में सलमान की जुबान से निकला यह नारा एक प्रकार से वायरल हो गया है. इसे गर्वानुभूति का विषय समझा जा रहा है. सोशल मीडिया पर इसके नजीर देखे जा सकते हैं.

गौरतलब है कि आमतौर पर मुख्यधारा की व्यावसायिक फिल्मों में आदिवासी समाज या उस समुदाय के योद्धा नायक के लिए ऐसा उद्घोष शायद ही देखा-सुना जाता है. झारखंड में बिरसा मुंडा को आदिवासी समाज में भगवान का दर्जा हासिल है. उनकी शख्सियत और आजादी के आंदोलन में उनके योगदान पर लघु फिल्में या डाक्यूमेंट्री तो बहुत बनीं लेकिन सलमान खान जैसे सुपरस्टार वाली किसी मेनस्ट्रीम फिल्म में ऐसा नारा पहली बार सुनाई दिया है तो निश्चय ही इसकी कोई ना कोई वजह होगी.

अब बिरसा मुंडा का कनेक्शन समझते हैं

आने वाली फिल्म के टीजर में बिरसा मुंडा की जय का नारा आखिर क्यों बुलंद किया गया है, वो भी लद्दाख बैकग्राउंड में- जहां चीनी सेना और भारतीय सेना आमने-सामने हैं, इसे समझने की जरूरत है. यों टीजर या ट्रेलर देखकर फिल्म के भविष्य और उसकी कहानी के बारे में कोई फैसला नहीं किया जा सकता लेकिन इसकी बुनियाद को खंगाले तो कुछ बातें स्पष्ट हो जाती हैं.

 घाटी में चीनी सैनिकों का जमावड़ा बढ़ने लगा था. कोविड का समय था लेकिन जिन भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों का मुकाबला किया, उनमें पंजाब, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और बिहार के जवान शामिल थे. 15-16 जून की रात की झड़प में बीस भारतीय जवान शहीद हो गए इनमें कई जवान आदिवासी समाज से ताल्लुक रखते थे. शहीद जवानों की सूची ऊपर दी गई है, उसमें सभी का नाम और उनका प्रदेश देखा जा सकता है.

ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ के भी जवान

इन जवानों में ओडिशा के मयूरभंज के नायब सूबेदार नुदुराम सोरेन थे तो बीरभूम पश्चिम बंगाल के सिपाही राजेश ओरंग; कांकेर छत्तीसगढ़ के सिपाही गणेश राम थे तो सिपाही गणेश हंसदा पूर्वी सिंहभूम झारखंड के रहने वाले थे; बीस शहीद जवानों में सबसे ज्यादा बिहार के पांच जवान थे मसलन भोजपुर के सिपाही चंदन कुमार, सहरसा के सिपाही कुंदन कुमार, समस्तीपुर के सिपाही अमन कुमार, वैशाली के सिपाही जय किशोर सिंह और पटना से हवलदार सुनील कुमार. सभी बीस शहीद जवानों की याद में नई दिल्ली स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल पर उनके नाम उकेरे गए हैं.

शक्ति की याद और धरती आबा को श्रद्धांजलि

शहीदों की सूची में आदिवासी कनेक्शन साफ झलकता है. लेकिन कहानी में इन किरदारों को कितना स्पेस मिला है, यह रिलीज के बाद ही पता चलेगा. वैसे बिरसा मुंडा की जय नारे का मतलब है शक्ति के प्रतीक को याद करना, उस ताकत से प्रेरणा हासिल करना, जिसकी बहादुरी ने विदेशी आक्रमणकारियों को नाको चने चबवाने पर मजबूर कर दिया. ये नारा धरती आबा को श्रद्धांजलि है, आदिवासी स्वाभिमान का सम्मान है और देशभक्ति की आवाज भी है.

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