सियासी माहौल पर भी पड़ेगा भारत जोड़ो यात्रा का असर

  • लाभ के हिसाब जुडऩे या न जुडऩे का किया राजनैतिक दलों ने फैसला

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। राहुल की यात्रा में आशानुरुप कई दल नही पहुंचे। कुछ ने दूरी बनाया तो कुछ मौसम की खराबी से भी वहां नहीं पहुंच पाए। भारत जोड़ो यात्रा के समापन कार्यक्रम के लिए कांग्रेस ने 21 दलों के नेताओं को न्योता दिया था। इनमें से 12 दलों ने इस कार्य्रकम में आने की सहमति दी थी। वहीं, नौ दलों ने इससे दूरी बना ली थी। हालांकि, खराब मौसम की वजह से कुछ ही दलों के नेता कश्मीर पहुंचे। राहुल गांधी के नेतृत्व में 134 दिन चली कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में समापन हुआ। इस समापन समारोह में शामिल होने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने टीएमसी, जेडीयू, शिवसेना, टीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, सीपीआई, सीपीएम, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल सहित 21 दलों के अध्यक्षों को निमंत्रण दिया गया था। पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, डीएमके, आरएलडी, आईयूएमएल, आरएसपी और जेडीएस भी इसमें शामिल थे।
डीएमके, फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, महबूबा मुफ्ती की पीडीपी, विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके), आईयूएमएल, केरल कांग्रेस, सीपीआई, आरएसपी, झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे दल इस यात्रा में शामिल थे।
भारी बर्फबारी के बीच हुए समापन कार्यक्रम में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि देश को वास्तव में इस यात्रा की जरूरत थी। राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि आज, पूरा देश राहुल गांधी में आशा की किरण देख सकता है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि आज जो राजनीति देश में चल रही है उससे देश का भला नहीं होगा, ये तोडऩे-बांटने, नफरत की राजनीति है। समापन समारोह में आने के लिए शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राष्टï्रीय जनता दल (आरजेडी), नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड), सीपीएम ने हामी भरी थी। हालांकि, खराब मौसम की वजह से इन दलों के नेता यहां नहीं पहुंच सके।
भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में कई बड़े विपक्षी दल शामिल नहीं हुए। इनमें अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), बसपा, आम आदमी पार्टी जैसे दल शामिल थे। एक्सपर्ट कहते हैं कि इन दलों के इस कार्यक्रम में शामिल होने के उम्मीद थी भी नहीं। टीएमसी से लेकर आप तक के नेता खुद को प्रधानमंत्री पद के दौड़ में रखना चाहते हैं। इनमें से ज्यादातर दल कांग्रेस की जमीन पर ही बढ़े हैं। कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से दिए गए न्योते में विपक्ष के पांच दल शामिल नहीं थे। इनमें एआईएडीएमके, जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस, नवीन पटनायक की बीजेडी, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और एआईयूडीफ शामिल थीं।

कुछ दलों से कांग्रेस ने बनाई दूरी

इन दलों से कांग्रेस की दूरी की एक्सपर्ट अलग-अलग कारण बताते हैं। जैसे- एआईएडीएमके को न्योता नहीं देने का कारण तमिलनाडु में कांग्रेस का डीएमके से गठबंधन रहा। राज्य में सत्ताधारी डीएमके और कांग्रेस गठबंधन में हैं। डीएमके और एआईडीएमके के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। ऐसे में कांग्रेस ने एआईएडीएमके से दूरी रखी। वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी समय-समय पर केंद्र का समर्थन करती रही हैं। वाईएसआर कांग्रेस आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की जमीन पर बढ़ी है। वहीं, बीजेडी का ओडिशा में कांग्रेस से मुकाबला रहा है। ओवैसी की पार्टी और एआईयूडीएफ से दूरी के पीछे की वजह एक्सपर्ट दोनों दलों की धर्म आधारित राजनीति से दूरी को वजह बताते हैं।

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