सिगरेट से ज्यादा खतरनाक है बीड़ी? जानिए विस्तार से…

अगर आप सोचते है कि बीड़ी सिगरेट से सुरक्षित या कम नुकसानदायक विकल्प है, तो आप बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं। ताजा रिसर्च के मुताबिक, बीड़ी पीना कई बार सिगरेट से भी ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकता हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: अगर आप सोचते है कि बीड़ी सिगरेट से सुरक्षित या कम नुकसानदायक विकल्प है, तो आप बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं। ताजा रिसर्च के मुताबिक, बीड़ी पीना कई बार सिगरेट से भी ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकता हैं।

तंबाकू का सेवन कई रूपों में किया जाता है, जिनमें सबसे कॉमन है बीड़ी और सिगरेट. बहुत लोगों को लगता है कि सिगरेट के मुकाबले बीड़ी कम नुकसान करती है. लेकिन ये मानना बेहद खतरनाक हो सकता है. दोनों ही शरीर के लिए हानिकारक हैं. कैंसर, दिल की बीमारी, स्ट्रोक और फेफड़ों की समस्या जैसी बीमारियां बीड़ी और सिगरेट दोंनों के ही कारण होती हैं. एक से कैंसर होगा और दूसरे से नहीं, ये धारणा गलत है.

ग्रामीण इलाकों और कम आय वाले वर्गों में लोग मानते हैं कि बीड़ी सिगरेट से कम हानिकारक होती है क्योंकि इसमें सिर्फ तंबाकू और तेंदू पत्ता होता है. लेकिन रिसर्च कहती है बीड़ी न सिर्फ उतनी ही हानिकारक है बल्कि कई मामलों सिगरेट से भी ज्यादा खतरनाक सबित हो सकती है.

पहली वजह है बीड़ी में फिल्टर का न होना, जिससे धुंआ फिल्टर नहीं पो पाता. इसके अलावा बीड़ी का धुंआ सिगरेट की तुलना में अधिक टॉक्सिक होता है क्योंकि बीड़ी में तंबाकू के अलावा भी कई हानिकारक पदार्थ होते हैं, जो बीड़ी के धुंए में धुल जाते हैं. इस धुंए में कार्सिनोजिक तत्व होते हैं जिससे फेफड़ों का कैंसर, मुंह का कैंसर और गले का कैंसर हो सकता है.

बीड़ी और सिगरेट में फर्क
सिगरेट में तंबाकू के साथ कई तरह के कैमिकल औप फिल्टर होते हैं, जबकि बीड़ी में तंबाकू को तेंदू के पत्ते में लपेटा जाता है. सिगरेट में फिल्टर होता है लेकिन बीड़ी में फिल्टर नहीं होता. . बीड़ी का तेंदू पत्ता जलने पर धुंआ और ज्यादा गाढ़ा हो जाता है. इसी वजह से बीड़ी पीने वाला व्यक्ति अधिक धुंआ अंदर खींचता है.

क्या कहती है रिसर्च?

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक: बीड़ी पीने वाले लोगों में फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा सिगरेट पीने वालों से ज्यादा होता है. बीड़ी पीने से क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी बीमारियाँ जल्दी होती हैं. बीड़ी पीने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ता है. बीड़ी पीने वालों को मुँह, गला और फेफड़ों का कैंसर होने की संभावना ज्यादा रहती है. बीड़ी में निकोटिन और टॉक्सिन की मात्रा भी अधिक पाई जाती है.

मेदांता अस्पताल में पल्मोनोलॉजी विभाग में डॉ. बताते हैं कि सेहत के लिहाज से दोनों ही हानिकारक होते हैं लेकिन बीड़ी पीने से ज्यादा निकोटिन और मोनोऑक्साइड शरीर मे जाती है. क्योंकि बीड़ी का धुंआ गाढ़ा होता है. बीढ़ी को पीने के लिए अधिक जोर भी लगाना पड़ता है. इसससे फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है जिसके कारण धुंआ सीधे खून में पहुंचता है.

समाज और परिवार पर असर

बीड़ी पीने का नुकसान सिर्फ पीने वाले तक सीमित नहीं रहता. इसके धुएं से आसपास बैठे लोगों को भी पैसिव स्मोकिंग का खतरा होता है. खासकर बच्चों और महिलाओं के लिए यह धुआं बहुत खतरनाक साबित होता है और अस्थमा, एलर्जी और फेफड़ों की बीमारी का कारण बन सकता है.

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