Ex CM विजय रुपाणी के साथ धोखा! बेटी के खुलासे से मोदी-शाह घिरे

पूर्व CM विजय रुपाणी के साथ हुए धोखे पर उनकी बेटी का चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है... मोदी-शाह पर लगे आरोपों से मचा सियासी तूफ़ान!  

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों भारतीय राजनीति में कभी-कभी ऐसी घटनाएं होती हैं.. जो न केवल व्यक्तिगत दुख को उजागर करती हैं.. बल्कि राजनीतिक दलों की आंतरिक गतिशीलता और उनके नेताओं के प्रति सम्मान को भी प्रश्नों के घेरे में ला देती हैं.. हाल ही में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार एक बड़े विवाद का केंद्र बन गया है.. रूपाणी की मौत 12 जून 2025 को अहमदाबाद एयर इंडिया विमान दुर्घटना में हुई थी.. जिसमें 270 लोगों की जान गई थी.. उनके अंतिम संस्कार पर लगभग 25 लाख रुपये का खर्च आया.. लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने इस खर्च को वहन करने से इनकार कर दिया.. परिणामस्वरूप, रूपाणी के परिवार को खुद यह राशि चुकानी पड़ी.. इस घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है.. खासकर क्योंकि रूपानी बीजेपी के एक वफादार नेता थे.. और उनके अंतिम संस्कार में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे..

विजय रूपाणी का जन्म 2 अगस्त 1956 को म्यांमार हुआ था… उनका परिवार गुजराती मूल का था और वे जल्द ही भारत लौट आए.. राजकोट में पले-बढ़े रूपानी ने अपनी शिक्षा धरमेंद्रसिंहजी आर्ट्स कॉलेज से पूरी की.. जहां वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े.. एबीवीपी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा है.. और रूपानी ने यहां से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की.. 1971 में वे जनसंघ में शामिल हुए, जो बाद में बीजेपी बनी…

रूपाणी का राजनीतिक करियर लंबा और समर्पित रहा.. वे आरएसएस के सक्रिय सदस्य थे और 1980 में बीजेपी के गठन से ही पार्टी से जुड़े रहे.. और उन्होंने राजकोट नगर निगम में पार्षद के रूप में शुरुआत की.. और धीरे-धीरे ऊपर चढ़ते गए.. 2001 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजकोट वेस्ट सीट से चुनाव लड़ा था… जो बाद में रूपाणी की सीट बनी.. 2014 में वे गुजरात विधानसभा के सदस्य बने और आनंदीबेन पटेल सरकार में मंत्री बने.. जहां उन्हें परिवहन, जल आपूर्ति, श्रम और रोजगार जैसे विभाग मिले.. फरवरी 2016 में वे गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष बने..

अगस्त 2016 में आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद रूपानी गुजरात के मुख्यमंत्री बने.. और उन्होंने दो कार्यकाल पूरे किए.. पहला कार्यकाल 2016 से 2017 तक और दूसरा कार्यकाल 2017 से 2021 तक.. उनके कार्यकाल में गुजरात ने कोविड-19 महामारी के दौरान बहाली का काम देखा.. और वे सौराष्ट्र क्षेत्र में बीजेपी की मजबूत पकड़ के लिए जाने जाते थे.. रूपाणी को मोदी और शाह का करीबी माना जाता था.. और वे पार्टी के वफादार सिपाही थे.. 2021 में उन्होंने अचानक इस्तीफा दे दिया और भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री बने.. इस्तीफे के पीछे पार्टी की नई पीढ़ी को मौका देने की बात कही गई.. लेकिन कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे आंतरिक संघर्ष का संकेत माना..

रूपाणी का परिवार छोटा और साधारण था.. उनकी पत्नी अंजली रूपाणी बीजेपी महिला मोर्चा की सदस्य थीं… उनके दो बच्चे थे  बेटा रुशभ और बेटी राधिका… दुर्भाग्य से उनका सबसे छोटा बेटा पूजित एक कार दुर्घटना में मर गया था.. जिसकी याद में उन्होंने पूजित रूपाणी मेमोरियल ट्रस्ट बनाया, जो गरीबों की मदद करता है… रूपाणी को एक साधारण और कार्यकर्ता-केंद्रित नेता के रूप में याद किया जाता है..

आपको बता दें कि 12 जून 2025 को अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 दुर्घटनाग्रस्त हो गई.. विमान टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद ही एक मेडिकल कॉलेज की इमारत से टकरा गया.. जिसमें 270 लोगों की मौत हो गई.. केवल एक यात्री जीवित बचा.. यह भारत की हालिया इतिहास की सबसे बड़ी विमान दुर्घटनाओं में से एक थी.. जिसमें कई मेडिकल छात्र भी मारे गए..

विजय रूपाणी भी इस फ्लाइट में सवार थे.. वे अपनी बेटी राधिका से मिलने लंदन जा रहे थे, जो वहां रहती हैं.. दुर्घटना के समय राधिका वियना में थीं.. परिवार को पहले लगा कि यह रनवे एक्सिडेंट है.. लेकिन जल्द ही सच्चाई सामने आई.. राधिका ने बाद में मीडिया को बताया कि उन्होंने पिता से आखिरी वीडियो कॉल की थी.. जिसमें वे खुश लग रहे थे.. रुशभ ने कहा कि खबर सुनकर जमीन पैरों तले खिसक गई.. प्रधानमंत्री मोदी ने 13 जून को परिवार से मिलकर सांत्वना दी.. और जांच का आश्वासन दिया.. अमित शाह ने भी परिवार के साथ समय बिताया..

वहीं इस दुर्घटना ने पूरे गुजरात को सदमे में डाल दिया.. राजकोट में शोक की लहर दौड़ी, और शहर बंद रहा.. रूपाणी की मौत ने बीजेपी में एक खालीपन छोड़ दिया, क्योंकि वे सौराष्ट्र के मजबूत नेता थे.. बता दें कि रूपाणी का अंतिम संस्कार 16 जून 2025 को उनके गृहनगर राजकोट में हुआ.. यह एक भव्य समारोह था, जिसमें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.. हजारों लोग श्रद्धांजलि देने आए, जिसमें स्थानीय नागरिक, पार्टी कार्यकर्ता और नेता शामिल थे.. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, गुजरात मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल और अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे.. अंतिम यात्रा में फूलों की सजावट, तंबू और अन्य व्यवस्थाएं की गईं, जो एक पूर्व मुख्यमंत्री के सम्मान के अनुरूप थीं..

अंतिम संस्कार के दौरान अमित शाह ने परिवार के साथ चार-पांच घंटे बिताए.. और सभी रस्में पूरी होने तक रुके.. प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ही परिवार से मिलकर शोक व्यक्त किया था.. यह समारोह रूपाणी के योगदान को दर्शाता था.. लेकिन तीन महीने बाद यह विवाद का केंद्र बन गया..

आपको बता दें कि अंतिम संस्कार के तीन महीने बाद सितंबर 2025 में खबर आई कि बीजेपी ने अंतिम संस्कार के खर्च को वहन करने से इनकार कर दिया.. खर्च लगभग 20-25 लाख रुपये था.. जिसमें फूल, तंबू, सजावट और अन्य व्यवस्थाएं शामिल थीं.. शुरू में लगा कि स्थानीय बीजेपी इकाई यह खर्च उठाएगी.. लेकिन जब वेंडर्स ने पार्टी ऑफिस से पेमेंट मांगा, तो उन्हें बताया गया कि रूपानी परिवार खुद पेमेंट करे.. जुलाई में वेंडर्स परिवार के पास पहुंचे और पैसे मांगे..

परिवार ने यह राशि चुका दी, लेकिन उन्होंने इसे दिल दुखाने वाला और अमानवीय बताया.. परिवार ने कहा कि यह पैसे की बात नहीं है, बल्कि बीजेपी के रवैये की है.. रूपानी ने अपना पूरा जीवन पार्टी और समाज को समर्पित किया.. और उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी ने पहले से सूचित नहीं किया कि वे खर्च नहीं उठाएंगे.. यह खबर दैनिक भास्कर से शुरू हुई और जल्द ही अन्य मीडिया में फैल गई..

बीजेपी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया.. जब गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल से पूछा गया… तो उन्होंने टाल दिया और कहा कि यह नामोत्सव का मामला है, बाद में जवाब दूंगा.. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि यह फैसला सौराष्ट्र के दो शक्तिशाली नेताओं के प्रभाव से हुआ.. जो गुजरात बीजेपी में पावर स्ट्रगल का संकेत है.. रूपाणी की बेटी राधिका, जो लंदन में रहती हैं.. उन्होंने मौत के एक महीने बाद मीडिया से बात की.. और उन्होंने पिता की यादों को साझा किया..

हालांकि, अंतिम संस्कार विवाद पर राधिका ने सीधा कोई बड़ा खुलासा नहीं किया.. परिवार ने सामूहिक रूप से दुख व्यक्त किया.. लेकिन कोई आरोप नहीं लगाया.. राधिका और रुशभ ने कहा कि मां अंजली मजबूत हैं.. और परिवार एक-दूसरे का सहारा है.. यह विवाद परिवार के लिए अतिरिक्त दुख का कारण बना.. लेकिन उन्होंने चुप्पी साधी.. कुछ रिपोर्ट्स में परिवार की नाराजगी का जिक्र है, लेकिन कोई सनसनीखेज खुलासा नहीं.. अमित शाह अंतिम संस्कार में शामिल हुए और परिवार के साथ रहे.. मोदी ने व्यक्तिगत रूप से सांत्वना दी.. रूपाणी को मोदी-शाह का करीबी माना जाता था.. लेकिन इस्तीफे के बाद उनकी भूमिका सीमित हो गई.. विवाद गुजरात बीजेपी की स्थानीय राजनीति से जुड़ा लगता है..

वहीं कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह बीजेपी की उपयोग और फेंक नीति का उदाहरण है.. जहां पुराने नेता दरकिनार हो जाते हैं.. यह गुजरात में आगामी चुनावों से पहले पार्टी की एकता पर सवाल उठाता है.. यह विवाद गुजरात बीजेपी में आंतरिक कलह को उजागर करता है… सौराष्ट्र के नेता रूपाणी की मौत के बाद पावर वैक्यूम भरने की कोशिश कर रहे हैं.. विपक्षी पार्टियां, जैसे कांग्रेस, इसे बीजेपी की छोटी सोच बता रही हैं.. कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने कहा कि बीजेपी का दिल सबसे छोटा है..

 

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