सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को रखा बरकरार
4PM न्यूज़ नेटवर्क: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसख्यंक दर्जे पर शुक्रवार (08 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। सात जजों की बेंच ने 4-3 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने AMU का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि एएमयू एक अल्पसंख्यक संस्थान हैं। इस मामले में कोर्ट ने कहा है कि यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को नए सिरे से तय करने के लिए तीन जजों की एक समिति गठित की है। कोर्ट का कहना है कि अब नई बेंच एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा देने के मानदंड तय करेगी।
इस मामले पर सीजेआई समेत चार जजों ने एकमत से फैसला दिया है जबकि तीन जजों ने डिसेंट नोट दिया है। बता दें कि CJI और जस्टिस पारदीवाला का एकमत हैं। वहीं जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा का फैसला अलग है।
आपको बता दें कि मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोई भी धार्मिक समुदाय संस्थान की स्थापना कर सकता है। मगर धार्मिक समुदाय संस्था का प्रशासन नहीं देख सकता है। संस्थान की स्थापना सरकारी नियमों के मुताबिक की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे का हकदार है।
आपको बता दें कि मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोई भी धार्मिक समुदाय संस्थान की स्थापना कर सकता है। मगर धार्मिक समुदाय संस्था का प्रशासन नहीं देख सकता है। संस्थान की स्थापना सरकारी नियमों के मुताबिक की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे का हकदार है।
महत्वपूर्ण बिंदु
- सर्वोच्च अदालत के इस फैसले ने एएमयू की अल्पसंख्यक चरित्र की धारणा पर सवाल उठाया।
- मुस्लिम समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किए जिसके चलते साल 1981 में एएमयू को अल्पसंख्यक का दर्जा देने वाला संशोधन हुआ।
- साल 2005 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 1981 के एएमयू संशोधन अधिनियम को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया।