भाजपा में शामिल होने का ऑफर ठुकराने पर कांग्रेस विधायक के साथ हुआ बड़ा खेला
नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर एक तरफ जहां सभी राजनीतिक दल जमकर प्रचार प्रसार कर रहे हैं वहीं चुनाव को नजदीक आता देख जांच एजेंसियां भी एक्टिव मोड में नजर आ रही हैं। ED, CBI से लेकर अन्य जांच एजेंसियां लगातार छापेमारी कर रही हैं लेकिन ये छापेमारी सत्ताधारी दल के नेताओं के घर नहीं बल्कि विपक्ष के नेताओं के घर हो रही है। जी हां जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे ही जांच एजेंसियां अपने आका के इशारों पर कांग्रेस व इंडिया गठबंधन में शामिल नेताओं के घर छापेमारी कर रहे हैं। अब भले ही इन विपक्षी नेताओं के घर पर कुछ न मिले लेकिन जांच एजेंसियां लगातार साहब का हुक्म बजा रही हैं। हां वहीं अगर यही नेता जा कर भाजपा दल में शामिल हो जाएं तो इनपर लटक रही जांच एजेंसियों की तलवार हट जाती है।
आज मौजूदा समय में जो भी नेता अपने हक़ की बात करता है या जनता के लिए काम करना चाहता है उसे जांच एजेंसियां अपने कटघरे में ला खड़ा करती हैं। इन दिनों की अगर हम बात करें तो ED द्वारा झारखंड में की गई कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद के घर की गई छापेमारी चर्चा का विषय बनी हुई है। लेकिन उससे भी ज्यादा चर्चा में बना हुआ है अंबा प्रसाद द्वारा लगाए गए आरोप। दरअसल कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद और उनसे कथित तौर पर जुड़े कुछ अन्य लोगों के परिसरों पर मनी लॉन्ड्रिंग संबंधित एक मामले की जांच के तहत छापेमारी की। ईडी की ये रेड लगभग 18 घंटे तक चली। ED ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद के रांची स्थित आधिकारिक आवास सहित उनसे जुड़े कई स्थानों पर तलाशी ली। संघीय एजेंसी ने कहा कि हजारीबाग जिले के बड़कागांव विधानसभा से कांग्रेस विधायक और सहयोगियों से संबंधित 17 स्थानों पर तलाशी ली गई।
इसपर अंबा प्रसाद सहित अन्य लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। ED की इस छापेमारी को लेकर खुद अंबा प्रसाद ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अंबा प्रसाद ने कहा कि उनके घर पर ईडी की रेड इसलिए पड़ी क्योंकि उन्होंने बीजेपी में शामिल होने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा, “मुझे हजारीबाग से बीजेपी ने टिकट ऑफर की थी, जिसे मैंने अस्वीकार कर दिया।
इस मामले पर न सिर्फ अंबा प्रसाद ने बल्कि उनके पिता ने भी भाजपा को घेरा,अंबा प्रसाद के पिता पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने चतरा और अंबा प्रसाद ने हजारीबाग से लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। उन्होंने कहा है कि उनका एकमात्र उद्देश्य हज़ारीबाग़ और चतरा सीट पर बीजेपी और उसके समर्थित उम्मीदवारों को हराना है। योगेंद्र साव ने कहा कि राजनीति ने उनके पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया। यही कारण है कि वे स्वयं और उनकी पत्नी पूर्व विधायक निर्मला प्रसाद साधु का जीवन जी रहे थे। लेकिन अब उनका एकमात्र उद्देश्य बीजेपी को हराना है।
अंबा प्रसाद झारखंड की लोकप्रिय और युवा विधायक है। उन्हें अल्पसंख्यकों सहित हर वर्ग और समुदाय का समर्थन प्राप्त है। चतरा और हज़ारीबाग़ सीट हर हाल में कांग्रेस जीतेगी। उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी प्रवर्तन निदेशालय के जरिए उन्हें और उनके परिवार को बीजेपी में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रही है और आकर मेरी वॉशिंग मशीन में मिलकर पूरी तरह से साफ हो जाओ। लेकिन वह भाजपा निर्देशित प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई से डरने वालों में से नहीं हैं। हर कार्रवाई का साहसपूर्वक सामना करूंगा क्योंकि उसने या उसके परिवार ने कभी कुछ गलत नहीं किया है। वह और उनका परिवार कांग्रेस में थे। मगर वे भाजपा निर्देशित ली प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई से डरनेवालों में नहीं है। हर कार्रवाई का साहसपूर्वक सामना करेगा क्योंकि उसने या उसके परिवार ने कभी कुछ गलत नहीं किया है। वह और उनका परिवार कांग्रेस में थे और रहेंगे।
साथ ही उनकी मां निर्मला देवी (पूर्व विधायक) ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि ईडी ने उनके घर पर छापेमारी की है। अहले सुबह एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने गये थे। सुबह करीब दस बजे जब वह घर लौटी और घर के बाहर लोगों की भीड़ देखी तो उसे किसी अनहोनी का अहसास हुआ। उन्होंने कहा कि जहां तक अंबा पर जमीन घोटाले के आरोप हैं तो वह कहना चाहती हैं कि राजनीति में आने से पहले उन्होंने कभी जमीन नहीं खरीदी। जो भी जमीन खरीदी गई है। राजनीति में आने से पहले पूर्व विधायक निर्मला देवी ने कहा कि राजनीति में आने के बाद उनके परिवार की परेशानियां शुरू हो गईं। उनका परिवार जिले में स्थानांतरित हो गया, उनके पति इतने दिनों तक जेल में रहे। अब सरकार उनकी बेटी को जेल भेजने की कोशिश कर रही है।
वहीं ED द्वारा की जा रही कार्यवाई इस तरह कि सिर्फ विपक्ष के नेता ही जेल जा रहे हैं बाकी जो नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं उन्हें भाजपा रुपी वाशिंग मशीन में साफ़ कर दिया जाता है। बता दें कि झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन पर भी ED का शिकंजा कसा जा चुका है। ऐसे में सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि जमीन की खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले में पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को 10 बार समन किया गया था। इसमें से सिर्फ दो समन पर ही हेमंत सोरेन उपस्थित हुए थे, जबकि बाकी के आठ समन पर हेमंत सोरेन का उपस्थित नहीं होना समन की अवहेलना है। उल्लेखनीय है कि ईडी के आठवें समन पर 20 जनवरी को और दसवें समन पर 31 जनवरी को हेमंत सोरेन से ईडी ने सीएम आवास जाकर पूछताछ की थी। इसके खिलाफ ईडी ने सीजेएम की अदालत ने शिकायतवाद दर्ज कराया था। इस मामले में सुनवाई के बाद सीजेएम की अदालत ने संज्ञान लिया था। इसके बाद आज सोमवार को हेमंत सोरेन को समन जारी किया एवं अदालत में अपना पक्ष रखने को कहा। ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया था कि समन के बाद भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उपस्थित नहीं होने पर दिल्ली सीजेएम कोर्ट में शिकायतवाद दर्ज कराया गया था।
खैर जिन जिन नेताओं ने कांग्रेस का दामन थामे रखा उनके पीछे ED हाथ धो कर पड़ी रही लेकिन जिन लोगों ने भाजपा का दामन थाम लिया वो पाक हो गए। ये लिस्ट काफी लम्बी है। बता दें कि कांग्रेस की तरुण गोगोई सरकार में मंत्री रहे हिमंत बिस्वा शर्मा पर शारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई ने आरोपी बनाया था। सरमा पर आरोप था कि शारदा ग्रुप के डायरेक्टर सुदीप्त सेन से 20 लाख रुपए हर महीने लिए, जिससे ग्रुप का कामकाज बेहतर तरीके से चल सके। सरमा से अंतिम बार सीबीआई ने 27 नवंबर 2014 को पूछताछ की थी। हिमंत ने अगस्त 2015 में बीजेपी ज्वॉइन कर लिया था। कांग्रेस का आरोप है कि इसके बाद सीबीआई ने हिमंत की फाइल बंद कर दी। हिमंत अभी असम के मुख्यमंत्री हैं।
वहीं ममता सरकार में कद्दावर मंत्री रहे शुभेंदु अधिकारी से सीबीआई ने शारदा घोटाले में पूछताछ शुरू की थी। उन पर आरोप था कि शारदा ग्रुप के डायरेक्टर सुदीप्त सेन से फेवर लिया था। शुभेंदु पर बाद में नारदा स्टिंग ऑपरेशन में भी पैसा लेने का आरोप लगा, जिसकी जांच ईडी ने शुरू की। इसपर तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि शुभेंदु जब टीएमसी में थे, तब जांच एजेंसी उन्हें परेशान कर रही थी, लेकिन जैसे ही बीजेपी में गए तो सारे मामले में उन्हें क्लिन चिट मिलने लगा। 2022 में बंगाल पुलिस ने शुभेंदु के खिलाफ शारदा घोटाले में जांच शुरू की। शुभेंदु वर्तमान में बंगाल विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के नेता यानी नेता प्रतिपक्ष हैं।
कर्नाटक में बीजेपी का चेहरा बीएस येदियुरप्पा पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। येदियुरप्पा को इसकी वजह से मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। येदियुरप्पा पर 2011 में 40 करोड़ रुपए लेकर अवैध खनन को शह देने का आरोप लगा था और लोकायुक्त ने उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था। 2013 के चुनाव में येदियुरप्पा अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़े, जिससे बीजेपी को नुकसान का सामना करना पड़ा। इसके बाद येदि की घर वापसी हुई। 2016 में सीबीआई की विशेष अदालत ने येदियुरप्पा को क्लीन चिट दे दिया था। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी में आने के बाद येदियुरप्पा के खिलाफ एजेंसी ने जांच ठीक ढंग से नहीं किया।
महाराष्ट्र के कद्दावर नेता अजित पवार पर 70 हजार करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले का आरोप 2014 से पहले बीजेपी लगाती थी। इस मामले की जांच ईओडब्लयू को सौंपी गई थी। अजित पवार को लेकर बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे पवार को जेल में चक्की पीसने की बात कह रहे थे। 2019 में एक राजनीतिक उठापटक में अजित बीजेपी के साथ चले गए। पवार देवेंद्र फडणवीस के साथ जाकर गठबंधन कर लिया और खुद डिप्टी सीएम बन गए। इसके बाद घोटाले से जुड़ी सारी फाइलें बंद कर दी गई। बाद में अजित पवार बीजेपी छोड़ खुद की पार्टी में लौट आए।
खैर बता दें कि ऐसे ही कई नाम हैं जो भाजपा में शामिल हुए हैं और जांच एजेंसियों ने उनकी फाइल बंद कर दी है लेकिन जिन नेताओं ने भाजपा के ऑफर को ठुकराया उन्हें ED और CBI जैसी जांच एजेंसियों का दबाव झेलना पड़ रहा है। ऐसे में अब चुनाव नजदीक है तो जाँच एजेंसियां लगतार कांग्रेस नेताओं को परेशान कर रहे हैं। अब चुनाव में इसका कितना असर होगा ये तो आने वाला समय ही तय करेगा।