बीजेपी को नहीं दिखता किसानों का दुख-दर्द : अखिलेश यादव

  • एक भी वादा पीएम व सीएम ने नहीं किया पूरा
  • वरुण गांधी के टिकट कटने की भी उठाई बात

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जनसभा की शुरुआत कर दी है। पीलीभीत में अपनी पहली चुनावी सभा में उन्होंने बीजेपी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने वरुण गांधी और लखीमपुर कांड के बहाने किसानों को साधने की भी कोशिश की। उन्होंने लखीमपुर कांड की बात उठाकर किसानों के पुराने जख्मों को कुरेदने का भी प्रयास किया। कहा कि किसानों की आवाज उठाने के चलते भाजपा के सांसद वरुण गांधी मंच पर स्थान नहीं पा रहे हैं। अखिलेश ने लोकसभा चुनाव-2024 के प्रचार का आगाज तराई की धरती से किया।
पीलीभीत भाजपा का गढ़ माना जाता है, क्योंकि यहां की लोकसभा सीट के साथ-साथ सभी विधानसभा सीटों पर भी भाजपा का कब्जा है। यही वजह है कि सपा अध्यक्ष ने यहां जाति-धर्म से जुड़े किसी भी मुद्दे को छुआ तक नहीं। उन्होंने मुख्य रूप से किसानों के दर्द और भ्रष्टाचार पर ही वार किया। उन्होंने छुट्टा जानवरों और बाघों-तेंदुओं का सामना कर रहे किसानों की दुश्वारियों को सामने रखा। इसके माध्यम से वे यह भी बताना नहीं भूले कि भाजपा सरकार अपने वादे पूरे नहीं कर रही है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि सरकार बनने पर 15 दिन के अंदर छुट्टा पशुओं की समस्या का समाधान हो जाएगा लेकिन यह समस्या आज तक जस की तस बनी हुई है। ढाई साल पहले हुए लखीमपुर कांड का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों पर कार चढ़वाने वालों को दोबारा टिकट देकर सम्मानित किया जा रहा है।

किसानों के समर्थन में बोलने वालों के साथ होती है बदसलूकी

पिछले 30 वर्षों से पीलीभीत से मेनका गांधी और उनके पुत्र वरुण गांधी ही जीतते रहे हैं लेकिन भाजपा ने इस बार वरुण का टिकट काटकर यहां से पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा है। वरुण का बिना नाम लिए उन्होंने कहा कि जो किसान आंदोलन के समर्थन में बोलते थे, उनके साथ भाजपा ने क्या सुलूक किया, सबके सामने है। कुल मिलाकर अखिलेश ने वरुण समर्थकों के गुस्से को हवा देने का काम किया ताकि उसका रणनीतिक फायदा सपा को मिल सके। वहीं, भाजपा प्रत्याशी जितिन प्रसाद पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि पीडब्ल्यूडी के ट्रांसफर घपले में दिल्ली से लाए गए इनके ओएसडी तक को हटाया गया। उन्होंने यहां भाईचारे की गंगा-जमुनी तहजीब की याद भी दिलाई।

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