राजस्थान में बड़ी हार की ओर BJP, बाड़मेर में किलेबंदी !

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान का काउंटडाउन शुरू हो चुका है... इसी बीच देश की दूसरी बड़ी संसदीय सीट भी चर्चा में है.... देखिए खास रिपोर्ट...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है…. जिसको लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है… और  लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान का काउंटडाउन शुरू हो चुका है… वहीं तीसरी बार बीजेपी सरकार बनने के दावों के बीच सत्तारूढ़ दल को इंडिया गठबंधन से चुनौती मिल रही है…. इसी बीच देश की दूसरी बड़ी संसदीय सीट भी चर्चा में है…. जहां रेत होने के चलते हवाएं अक्सर गर्म ही रहती है…. वहीं अब राजनीतिक माहौल भी काफी गर्र हो चुका है… और अब बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर इस बार मिजाज कुछ ज्यादा ही गर्म है…. बता दें कि देश के तीसरे और पांचवें सबसे बड़े दो जिले वाला यह इलाका राजस्थान की हॉट सीट में से एक है….  आपको बता दें कि राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में सबसे हॉट सीट बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय महा मुकाबला बना हुआ है…. इस सीट पर राजस्थान ही नहीं पूरे देश की नजरे है….. बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर रविंद्र सिंह भाटी के निर्दलीय चुनाव लड़ने से इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है…. इसको लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी ताकत झोंक रहे हैं….

अपनी नाक बचाने में जुटी बीजेपी

बता दें कि बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर बीजेपी के मौजूदा सांसद कैलाश चौधरी को पार्टी ने एक बार फिर मैदान में उतारा है…. वहीं कांग्रेस ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी छोड़कर आए उम्मेदाराम को अपना टिकट दिया है…. जबकि निर्दलीय उम्मीदवार रविंद्र सिंह भाटी के ताल ठोकने के बाद बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गई हैं…. जिसको देखते हुए राजनीतिक हलचल तेज हो गई है…. वहीं बीजेपी अपनी नाक बचाने के लिए इस सीट को जीतने के लिए पूरे जी जान से लगी हुई है… वहीं इस सीट का मुकाबला काफी दिलचस्प होता दिख रहा है… वहीं इस सीट को बचाने के लिए बीजेपी के बड़े से बड़े दिग्गज चुनावी जनसभा करके वोटरों को रिझाने की कोशिश कर रहे है…

बीजेपी ने कैलाश चौधरी पर खेला दांव

आपको बता दें कि बीजेपी इस सीट पर अपनी जीत निश्चित करने के लिए कई तरह की रणनितियां बना रही है….. बीजेपी ने इस सीट को लेकर अब यहां अपनी चौकसी और मजबूत कर दी है…. जानकारी के मुताबिक बाड़मेर में कैलाश चौधरी के चुनाव प्रचार में बीजेपी ने संत, नेता, अभिनेता और खिलाड़ी सभी को मैदान में उतार दिया है…. और बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी ने अपनी रणनीति में कुछ बदलाव करते हुए कई अहम कदम उठाए हैं…. और राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा दो दिन से बाड़मेर दौरे पर हैं….. सीएम ने इन दो दिनों में राजपुरोहित, राजपूत, ब्राह्मण ओबीसी सहित कई वर्ग के प्रबुद्ध जनों के साथ बैठक की है…. और इस सीट को बचाने के लिए किसी भी तरह से कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहें है…

उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवाचुनावी माहौल में सक्रिय

वहीं सेवाड़ा में विश्नोई समाज के आराध्य देव जंभेश्वर मंदिर में बिश्नोई समाज के खुले अधिवेशन में भी भाग लिया…. औऱ सीएम पूरी रात लोगों से मिलते रहे…. राजस्थान सरकार के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा भी इस चुनावी माहौल में सक्रिय नजर आए…. और मंगलवार को सुबह बाड़मेर पहुंचे…. बाड़मेर शहर में स्थित चंचल प्राग मठ पहुंचकर मटके मां शंभू नाथ सैलानी से मुलाकात की… और लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा भी की…..

इस सीट पर निर्णायक भूमिका में दलित

बता दें शंभू नाथ सैलानी का बाड़मेर और आसपास के इलाके में दलित वर्ग में खासा प्रभाव है…. वहीं पूरे लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो दलित यहां निर्णायक भूमिका में हैं…. ऐसे में इस सीट से निर्दलीय मुकाबला होने के चलते दलित वोट बैंक अहम रोल निभाएगा….. बाड़मेर-जैसलमेर बालोतरा लोकसभा सीट पर बीजेपी की रणनीति के तहत हर वर्ग हर जाति तक पहुंच कर उन्हें साधने के साथ जीत के लिए किलाबंदी की गई है…. बता दें कि इस सीट को किसी भी तरह से अपने हाथ से न जाने देने के चलते पीएम मोदी समेत बीजेपी के तममा दिग्गज वहां पर रैलियां कर रहे है… और जनता को लुभाने का कोई भी कोर-कसर नहीं छोड़ रहें है… वहीं अब इस सीट पर कमल खिलेगा या मुरझा जाएगा… ये तो आने वाला वक्त तय करेगा….

इन वोटरों की रहती है निर्णायक भूमिका

आपको बता दें कि इस सीट पर जाट वोटर 4 लाख से 4 लाख 50 हजार, एससी-एसटी 4 लाख और मुसलमान 2 लाख 50 हजार के करीब है…. जबकि यहां 6 लाख मूल ओबीसी, 2 लाख 50 हजार राजपूत और वैश्य-ब्राह्मण 1 लाख 50 हजार हैं…. बता दें कि श्री क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक तन सिंह ने भी इसी सीट से चुनाव जीता….और साल 1962 में राम राज्य परिषद और 1977 में जनता पार्टी से चुनाव जीतकर वह संसद पहुंचे…. यहां से जनता दल के कल्याण सिंह कालवी भी चुनाव जीत चुके हैं…. इसके अलावा कांग्रेस के दिग्गज नेता रामनिवास मिर्धा भी 1991 में इस सीट से चुनाव जीते थे….

जाट और राजपूत वोटर्स की काफी अहम भूमिका

वहीं साल 1952 से अब तक के परिणाम पर नजर डालें तो यहां जाट और राजपूत वोटर्स काफी अहम साबित होते हैं…. जबकि मूल ओबीसी, राजपूत आदि मतदाताओं की भी निर्णायक भूमिका रहती है…. जानकारों की मानें तो पिछले दो लोकसभा चुनाव में जाट और मूल ओबीसी का वोट मोदी लहर के चलते बीजेपी को ही मिला….. साल 2014 की बात करें तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के हनुमान कहे जाने वाले उनके विश्वासपात्र रहे जसवंत सिंह को मैदान में थे…. औऱ उन्हें साल 2009 में निष्कासित कर दिया गया था…. लेकिन उन्होंने 2014 में पार्टी से टिकट मांगा था…. हालांकि टिकट नहीं मिलने के चलते बतौर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरे…. और बीजेपी के कर्नल सोनाराम ने उन्हें मात दी…. इस चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री की 87 हजार वोटों के अंतर से हार हुई…. जबकि कांग्रेस के हरीश चौधरी को महज 18.36 फीसदी वोट मिले थे…. उनके बेटे मानवेंद्र सिंह ने साल 2019 में कांग्रेस से चुनाव लड़ा… और 36.75 फीसदी वोट मिले थे…. हालांकि कैलाश चौधरी 59.52 वोट प्रतिशत के चलते 3 लाख से भी ज्यादा अंतर से इस सीट को जीतने में कामयाब रहे…..

कैलाश चौधरी की रही है अहम भूमिका

बता दें कि कैलाश चौधरी केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्यमंत्री हैं…. और बायतु से विधायक चौधरी लम्बे समय से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी जुड़े हुए हैं…. साथ ही बीजेपी किसान मोर्चा राजस्थान के अध्यक्ष रहे…. वहीं बेनीवाल की बात करें तो सीमावर्ती जिले बाड़मेर में RLP को मजबूत करने में उनकी बड़ी अहम भूमिका रही है…. और उन्हें 2018 और 2023 के विधानसभा चुनाव में हार मिली….. हालांकि इस बार के चुनाव में कांग्रेस के हरीश चौधरी को कड़ी टक्कर दी और महज 910 वोट से हार गए थे….. बता दें कि भाटी ने जेएनवीयू में छात्र राजनीति के माध्यम से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की….. हालांकि उन्होंने अपने जीवन का पहला चुनाव भी निर्दलीय ही लड़ा…. जानकारी के अनुसार एबीवीपी के टिकट से न मिलने के बाद उन्होंने बागी होकर निर्दलीय ताल ठोंकी थी…. और जेएनवीयू के 57 साल के इतिहास में पहले स्वतंत्र छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में जीत हासिल की…..

उम्मेदाराम बेनीवाल से कांग्रेस को उम्मीद

इन सबके बीच कांग्रेस को उम्मीद उम्मेदाराम बेनीवाल से हैं….. वो नेता जो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल के करीबी रहें…. और अब आरएलपी को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए…. वहीं कांग्रेस को उम्मीद इसलिए भी है… क्योंकि जाट समाज में पकड़ रखने वाले उम्मेदाराम बेनीवाल को मेघवाल और मुस्लिम समाज का वोट मिल सकता है…. खास बात यह है रविंद्र सिंह भाटी के मैदान में उतरने से कांग्रेस की उम्मीद को पंख लग गए हैं….. क्योंकि भाटी जितनी मजबूती से बीजेपी प्रत्याशी कैलाश चौधरी के वोट काटेंगे…. उम्मेदाराम के लिए जीत का रास्ता उतना आसान हो सकता है….

रविंद्र भाटी ने बिगाड़ा समीकरण

दरअसल, बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट में शामिल 8 विधानसभाओं में से 5 पर भाजपा, 1 पर कांग्रेस और 2 पर निर्दलीयों का कब्जा है….. वहीं शिव पर रविंद्र सिंह भाटी और बाड़मेर में प्रियंका चौधरी विधायक हैं….. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस की स्थिति कुछ खास मजबूत नहीं है…. वहीं, जैसलमेर, पचपदरा, गुड़ामालानी, चौहटन और सिवाना सीट पर भाजपा विजयी हुई, जबकि कांग्रेस को सिर्फ बायतु सीट पर जीत मिल सकी…. इस क्षेत्र में युवा वोटर्स को साधने के लिए रविंद्र सिंह भाटी पूरा प्रयास कर रहे हैं….. जबकि राजपूत वोट बैंक के लिहाज से भी उनका पलड़ा भारी नजर आ रहा है…. खास बात यह है कि इस क्षेत्र में उनकी तुलना अब कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट से होने लगी है…. इसके अलावा रेगिस्तानी इलाकों की मूलभूत समस्याओं की ओर बार-बार इशारा करके भाटी इस क्षेत्र की जनता को भावनात्मक तौर पर भी जोड़ने में लगे हैं….

मुश्किलों में बीजेपी प्रत्याशी कैलाश चौधरी

वहीं दो मजबूत प्रतिद्वंदी की टक्कर के चलते बीजेपी प्रत्याशी कैलाश चौधरी के लिए इस बार मुश्किल नजर आ रही है…. आपको बता दें कि जाट समाज में पकड़ रखने वाले चौधरी के वोट बैंक में बेनीवाल भी सेंधमारी की कोशिश में हैं…. बावजूद इसके एक बात जो उनके पक्ष में हैं… या यूं कहें कि पूरे देश में हर बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में है…. वो है मोदी फैक्टर…. वहीं आग उगलते रेतों पर भंवरजाल में फंस चुके कैलाश चौधरी के समर्थकों को उम्मीद है…. कि पीएम नरेंद्र मोदी की सभाओं के जरिए इस क्षेत्र में एक बार फिर कमल खिल सकता है…. ये तो आने वाला वक्त ही तय करेगा….

 

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