भाजपा ने आप को दिया वॉकओवर, शैली ओबरॉय बनीं दिल्ली की मेयर
नई दिल्ली। पिछली बार राजधानी दिल्ली के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में जिस तरह का बवाल हुआ था, उस तरह का बवाल इस बार सदन में दिखाई नहीं दिया। मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव शांतिप्रिय तरीके से संपन्न हुआ। इसकी शुरुआत तब हुई जब दिल्ली में मेयर चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार शिखा राय ने अपना नाम वापस लिया। इसी के साथ आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय निर्विरोध दिल्ली की मेयर बन गई हैं। बुधवार को मेयर चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के चंद मिनटों बाद ही बीजेपी ने मेयर और डिप्टी मेयर दोनों की उम्मीदवारी वापस ले ली।
बीजेपी प्रत्याशी का नाम वापस लेने के बाद पीठासीन अधिकारी मुकेश गोयल ने डॉ शैली ओबेरॉय को मेयर घोषित कर दिया। रूष्टष्ठ सदन में भाजपा की मेयर पद की उम्मीदवार शिखा राय ने खुद ये एलान किया कि वो अपना नाम वापस ले रहीं हैं। इसी के साथ उन्होंने कहा कि वो डॉ शैली ओबेरॉय को बधाई देती हैं और आग्रह करती हैं कि मेयर स्टेंडिंग कमेटी का चुनाव होने दें। उसमें कानूनी रुकावट न डालें। दरअसल, स्टेंडिंग कमेटी का मामला दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है।
उम्मीदवारी वापस लेते हुए बीजेपी की शिखा राय ने कहा कि सबसे बड़ी पार्टी की तरफ से मैंने उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया था। लेकिन हमारी पार्टी का ध्येय यह नहीं रहता है कि हमें केवल सत्ता चाहिए। पिछले दिनों हम उम्मीद कर रहे थे कि स्टेंडिंग कमेटी चुनाव भी होगा, लेकिन कोर्ट में यह मामला लंबित है और उसमें तारीख पर तारीख ली जा रहा है। इसलिए जब तक बाकी की संवैधानिक प्रक्रिया नहीं पूरी होती, मैं यह मांग करते हुए कि कमेटी का गठन हो, अपना नाम वापस लेती हूं।
पिछली बार दिल्ली मेयर चुनाव किसी अखाड़े से कम नहीं रहा था, लेकिन इस बार का चुनाव शांतिप्रिय तरीके से संपन्न हुआ। मेयर के बाद बीजेपी के डिप्टी मेयर उम्मीदवार सोनी पांडेय ने भी अपना नाम वापस ले लिया और आम आदमी पार्टी के डिप्टी मेयर भी निर्विरोध चुन लिए गए। डिप्टी मेयर के चुनाव में भी पिछली बार की तरह कोई बवाल नहीं हुआ। मेयर शैली ओबेरॉय ने आम आदमी पार्टी के डिप्टी मेयर पद के उम्मीदवार आले मोहम्मद इकबाल को निर्विरोध डिप्टी मेयर घोषित किया।
सदन में पार्षदों के मौजूदा नंबर्स को देखा जाए तो आम आदमी पार्टी के पास 250 में से 133 पार्षद हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी के पास 108 पार्षद हैं। कांग्रेस के सदन में सिर्फ 9 पार्षद ही हैं। यानी संख्या बल सीधे-सीधे आम आदमी पार्टी के समर्थन में दिखाई दे रहा है।