वक्फ संशोधन कानून: सुप्रीम कोर्ट अंतरिम आदेश देने के मूड में थी, सॉलिसिटर जनरल की आपत्ति के बाद टला फैसला

वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान बड़ी हलचल देखने को मिली। अदालत इस मामले में अंतरिम आदेश जारी करने के मूड में थी, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की आपत्ति के बाद यह आदेश फिलहाल टाल दिया गया।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान बड़ी हलचल देखने को मिली। अदालत इस मामले में अंतरिम आदेश जारी करने के मूड में थी, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की आपत्ति के बाद यह आदेश फिलहाल टाल दिया गया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ इस संवेदनशील मामले की सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ संकेत दिए कि वह तीन अहम बिंदुओं पर अंतरिम आदेश जारी करना चाहती थी, लेकिन केंद्र के विरोध के चलते अदालत ने फिलहाल कोई औपचारिक आदेश नहीं दिया।

वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज लगभग दो घंटे तक अहम सुनवाई हुई। इस दौरान कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने इस पर तत्काल रोक लगाने की ज़ोरदार मांग की। हालांकि, अदालत ने फिलहाल ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाओं पर गंभीरता से विचार किया और बहस के दौरान अदालत एक अंतरिम आदेश जारी करने के काफी करीब पहुंच गई थी। कोर्ट की मंशा साफ झलक रही थी कि वह कुछ अंतरिम निर्देशों के पक्ष में है।

लेकिन जैसे ही यह संकेत मिला कि अदालत कोई आदेश देने की दिशा में बढ़ रही है, केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि सरकार को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिलना चाहिए, और इस तरह के आदेश जल्दबाज़ी में नहीं दिए जाने चाहिए। इस आपत्ति के बाद अदालत ने कोई आदेश नहीं जारी किया और सुनवाई को कल दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। माना जा रहा है कि यदि केंद्र की ओर से ठोस तर्क सामने नहीं आए, तो अदालत अगले सत्र में अंतरिम आदेश पर विचार कर सकती है।

पहला – अदलात के अंतरिम आदेश में सबसे अहम ये था कि जब तक अदालत वक्फ संशोधन कानून 2025 पर अपना अंतिम फैसला नहीं सुना देती, ऐसी कोई भी संपत्ति जिसे अदालत ने वक्फ घोषित कर रखा है, उनका वक्फ का दर्जा हटाया नहीं जा सकता. चाहें वो वक्फ बाई यूजर हो या फिर वक्फ बाई डीड.

दूसरा – नए संशोधन में प्रावधान है कि अगर किसी वक्फ की संपत्ति पर विवाद हो गया तो फिर जब तक जिलाधिकारी उस पर अपना फैसला नहीं सुना देता, तब तक उसका वक्फ का दर्ज अमान्य घोषित रहेगा. अदालत अंतरिम आदेश जारी कर इस प्रावधान को भी मुल्तवी करना चाहती थी. पर सरकार को आपत्ति रही.

तीसरा – अदालत ये आदेश भी जारी करने वाला था कि पदेन सदस्यों के अलावा वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ काउंसिल के सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए. पर यहां भी सरकार को दिक्कत नजर आई. सरकार की आपत्ति के बाद अदालत ने कल की सुनवाई में इस अंतिरम आदेश पर विचार करने का फैसला किया.

आपको बता दें,कि कोर्ट ने आज की सुनवाई के दौरान न सिर्फ सरकार बल्कि कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वालों से भी काफी तीखे सवाल किए. अदालत ने सरकार से वक्फ काउंसिल और बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या, वक्फ बाई यूजर को समाप्त करने वाले प्रावधान पर स्थिति साफ करने को कहा. संभव है सरकार अगले दो हफ्ते में इन सब विषयों पर एक जवाब अदालत
में दाखिल करे.

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