शिंदे को निपटाने की तैयारी में BJP । संजय निरूपम ने BJP को दे डाली खुली चेतावनी ।
संजय निरुपम ने एकनाथ शिंदे को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि शिंदे को कमजोर करना सीधे-सीधे हिंदुत्व को कमजोर करने जैसा है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों हिंदुत्व, गठबंधन.. और चुनावी रणनीति के मुद्दे पर जोरदार बहस छिड़ी हुई है.. शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के प्रवक्ता और पूर्व सांसद संजय निरुपम ने हाल ही में दिए अपने बयानों से इस बहस को और तेज कर दिया है.. और उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को हिंदुत्व का मजबूत स्तंभ बताते हुए कहा कि शिंदे को कमजोर करने का मतलब हिंदुत्व को कमजोर करना है.. निरुपम ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी).. और कांग्रेस पर तीखे हमले किए, साथ ही महायुति गठबंधन की एकता पर जोर दिया.. यह बयान ऐसे समय में आए हैं जब महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी चल रही है.. और राजनीतिक दलों में मतभेद की खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं..
आपको बता दें कि महाराष्ट्र की राजनीति पिछले कुछ वर्षों में काफी उथल-पुथल भरी रही है.. 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद शिवसेना, एनसीपी.. और कांग्रेस ने मिलकर महा विकास अघाड़ी सरकार बनाई थी.. जिसमें उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने.. लेकिन 2022 में एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी.. और भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार बनाई.. इस बगावत के पीछे मुख्य वजह हिंदुत्व की विचारधारा बताई गई.. शिंदे गुट का दावा है कि उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस से गठबंधन करके शिवसेना के मूल हिंदुत्व सिद्धांतों से समझौता किया.. चुनाव आयोग ने बाद में शिंदे गुट को असली शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह दिया..
वर्तमान में महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की सरकार है.. जिसमें भाजपा, शिंदे शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं.. एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री हैं.. जबकि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री हैं.. 2024-25 में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों में महायुति ने अच्छा प्रदर्शन किया.. लेकिन स्थानीय निकाय चुनावों में चुनौतियां बनी हुई हैं.. संजय निरुपम पहले कांग्रेस में थे.. और 2024 में शिंदे शिवसेना में शामिल हुए.. उन्होंने कांग्रेस से निष्कासित होने के बाद शिंदे गुट को चुना.. क्योंकि उनका मानना है कि यह गुट बालासाहेब ठाकरे की असली विरासत का वारिस है.. निरुपम के बयान अक्सर हिंदुत्व और महाराष्ट्र की विकास नीतियों पर केंद्रित रहते हैं..
बता दें कि संजय निरुपम ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एकनाथ शिंदे को कमजोर करने का मतलब हिंदुत्व को कमजोर करना है.. और उन्होंने शिवसेना को हिंदुत्ववादी पार्टी बताया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कठोर हिंदूवादी नेता कहा.. निरुपम के अनुसार, महाराष्ट्र में हिंदुत्व को मजबूत करने में शिंदे का बड़ा योगदान है.. उन्होंने उद्धव ठाकरे की शिवसेना.. और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उद्धव ने कांग्रेस से हाथ मिलाया.. जिसके बाद महाराष्ट्र में साधुओं की हत्या जैसी घटनाएं हुईं.. यहां उनका इशारा 2020 की पालघर लिंचिंग घटना की ओर था.. जहां दो साधुओं और उनके ड्राइवर की भीड़ ने हत्या कर दी थी.. उस समय उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे.. और विपक्ष ने सरकार पर साधुओं की सुरक्षा में लापरवाही का आरोप लगाया था..
निरुपम ने आगे कहा कि उद्धव के कार्यकाल में राज्य में साधु सुरक्षित नहीं थे.. लेकिन अब हिंदुत्ववादी सरकार में सभी सुरक्षित हैं.. उन्होंने दावा किया कि स्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं.. यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में हिंदुत्व को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.. एक्स पर भी निरुपम के समर्थकों ने इन बयानों को शेयर किया.. जहां उन्होंने शिंदे को बालासाहेब ठाकरे की विरासत का सच्चा वारिस बताया.. जिसको लेकर जानकारों का कहना है कि ऐसे बयान शिंदे गुट को हिंदुत्ववादी वोटरों से जोड़ने के लिए दिए जाते हैं.. जो शिवसेना की पारंपरिक वोट बैंक हैं..
बता दें कि संजय निरुपम ने महायुति के सहयोगी दलों के बीच मतभेद पर भी बात की.. और उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर महायुति के साथियों में आपसी मतभेद देखने को मिले थे.. लेकिन अब कोई मतभेद नहीं है.. विवाद प्रचार के साथ ही खत्म हो गए.. लेकिन निरुपम ने बताया कि महायुति के सभी नेताओं ने तय किया है कि.. स्थानीय निकाय चुनाव अपने दम पर लड़ेंगे.. चुनाव प्रचार के दौरान हर पार्टी की ओर से बयानबाजी.. और आरोप-प्रत्यारोप हुए.. लेकिन इसका उद्देश्य सहयोगी दलों को आहत करना नहीं था.. और उन्होंने विरोधियों पर आरोप लगाया कि उन्होंने गलत नरेटिव चलाया कि महायुति खत्म हो जाएगी.. लेकिन महायुति एक साथ है और मजबूत है..
वहीं यह बयान ऐसे समय में आए जब एक्स पर कई पोस्ट्स में महायुति में दरार की बातें हो रही थीं… एक्स की एक पोस्ट में कहा गया कि शिंदे असंतुष्ट हैं.. क्योंकि फडणवीस और उद्धव ठाकरे के बीच निकटता बढ़ रही है.. वहीं एक अन्य पोस्ट में बताया गया कि लोकल चुनावों में शिंदे सेना ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया.. जो हिंदुत्व के दावों से विरोधाभासी लगता है.. हालांकि, निरुपम ने इन अफवाहों को खारिज किया.. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महायुति में छोटे-मोटे मतभेद सामान्य हैं.. लेकिन लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मिली जीत से गठबंधन मजबूत हुआ है.. 2025 में हुए विधानसभा चुनावों में महायुति ने 230 से ज्यादा सीटें जीतीं.. जो उनकी एकता का प्रमाण है..
निरुपम ने स्थानीय निकाय चुनावों पर भी आत्मविश्वास जताया.. और उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी बड़ी जीत दर्ज करेगी.. क्योंकि उपमुख्यमंत्री शिंदे और सांसद श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व में जमकर चुनाव प्रचार किया गया.. जहां भी सभाएं हुईं, वहां बड़ी संख्या में महिलाओं (लाड़ली बहनों) ने स्वागत किया.. दूसरी ओर उद्धव ठाकरे और उनके विधायक बेटे आदित्य ठाकरे चुनाव प्रचार के लिए मातोश्री से बाहर ही नहीं निकले.. कांग्रेस का भी यही हाल था.. निरुपम ने चुटकी लेते हुए कहा कि चुनाव हारने के बाद वे चिल्लाएंगे कि वोट चोरी हो गया.. और चुनाव आयोग पर आरोप लगाएंगे..
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव 2025 के अंत में होने वाले हैं.. और इनमें मुंबई, पुणे जैसे बड़े शहरों की नगर पालिकाएं शामिल हैं.. एक्स पर पोस्ट्स से पता चलता है कि शिंदे गुट का प्रचार जोरदार था.. जबकि उद्धव गुट कम सक्रिय दिखा.. हालांकि उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने पलटवार किया कि अमित शाह शिंदे सेना को तोड़ेंगे.. और 35 विधायक अलग हो सकते हैं.. निरुपम ने ऐसे दावों को बेबुनियाद बताया.. चुनावों में ईवीएम पर विवाद पुराना है.. लेकिन चुनाव आयोग ने हमेशा इनकी निष्पक्षता का दावा किया है..
संजय निरुपम के बयानों से पहले भी महाराष्ट्र में हिंदुत्व पर बहस चल रही थी.. मार्च 2025 में राज ठाकरे ने महाकुंभ और गंगाजल पर टिप्पणी की.. जिसे निरुपम ने हिंदूफोबिक बताया.. अगस्त 2025 में निरुपम ने उद्धव-राज गठबंधन को मुंबई राजनीति पर कोई असर न होने वाला बताया.. अप्रैल 2025 में निरुपम ने वक्फ संशोधन बिल पर शाहीन बाग जैसे विरोध पर विवादास्पद बयान दिया.. जिसकी काफी आलोचना हुई..
उद्धव ठाकरे गुट ने निरुपम के बयानों को झूठा प्रचार बताया.. संजय राउत ने कहा कि शिंदे सेना में जल्द दरार आएगी.. भाजपा ने भी महायुति की एकता पर जोर दिया.. लेकिन लोकल चुनावों में मनी पावर के आरोप लगे.. राजनीतिक विशेषज्ञ स्वाती देशमुख ने एक्स पर लिखा कि राज ठाकरे.. और उद्धव का गठबंधन शिंदे गुट के लिए चुनौती है.. लेकिन कैडर स्तर पर हिंदुत्ववादी वोटर शिंदे के साथ हैं..



