प्रचंड जीत मिलते ही बदल गए बीजेपी के तेवर, सीएम रेस में आया शाह का नित्यानंद नंबर वन

दोस्तों बिहार चुनाव में एनडीए को प्रचंड जीत मिलते ही सीएम फेस की कवायद में तगड़ा वाला पेंच फंस गया है। एक ओर जहां समूचा गोदी मीडिया ये माहौल बनाने में लग गया है कि नीतीश के बिना भी अब बीजेपी की सरकार बन सकती है तो

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों बिहार चुनाव में एनडीए को प्रचंड जीत मिलते ही सीएम फेस की कवायद में तगड़ा वाला पेंच फंस गया है। एक ओर जहां समूचा गोदी मीडिया ये माहौल बनाने में लग गया है कि नीतीश के बिना भी अब बीजेपी की सरकार बन सकती है तो वहीं दूसरी ओर पीएम साहब और उनके चाणक्य के बहुत ही करीबी नेता सीएम की रेस में नंबर वन बताए जा रह हैं।

आपको बता दें कि बहुत बड़ी खबर निकल कर सामने आई है भले से पीएम मोदी ने नीतीश कुमार को बधाई दी है लेकिन अंदरखाने में यह बात लगभग पूरी तरह से साफ है कि सीएम नीतीश कुमार नहीं होने जा रहे हैं। इसी को लेकर अचानक स्रामाट चौधरी नीतीश कुमार से मिलने अचानक सीएम आवास पहुंचे हैं और आधे घंटे से ज्यादा तगड़ी मीटिंग चली है और इस मीटिंग के बहुत बड़े मायने हैं। सवाल ये है कि अचानक क्यों ये चर्चाएं शुरु हो गई हैं कि बिना नीतीश के भी बीजेपी अब सरकार बना सकती है और वो मोदी शाह का कौन सबसे करीबी नेता है जो सीएम रेस में नंबर वन बताया जा रहा हैै, ये हम आपको आगे अपनी इस रिपोर्ट में बताने वाले है।

दोस्तों, बिहार चुनाव को लेकर किसी ने ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा कि एनडीए को इतनी करारी जीत मिलेगी लेकिन रिजल्ट को लेकर न सिर्फ विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं बल्कि ज्ञानेश जी के विभाग की कई भयंकर गलतियां भी पकड़ी गई लेकिन इस सबके बाद भी एनडीए को मिले बहुत बड़े जनादेश में आपसी सिरफुटौव्वल एक बार फिर से शुरु होती दिख रही है। आपको बता दें कि बहुत कोशिश के बाद बीच चुनाव में बीजेपी ने नीतीश कुमार को अपना सीएम कैंडिडेट नहीं घोषित किया था और अब जब बीजेपी रुझानो और जीत के बीच में 94 के अंक पर पहुंच गई है तो उसका अपने सीएम वाला सपना पूरा होता दिखाई देने लगा है और आपको बता दें कि मीडिया ने इसका खेल भी शुरु कर दिया है। आपको बता दें कि बड़े चैनलों पर इस तरह की खबरों की भरमार है कि अब बीजेपी चाहे तो नीतीश कुमार के बिना भी सरकार बना सकती है।

जैसा कि हेडलाइन से ही साफ है कि बिहार में जदयू के बिना भी बीजेपी सरकार बना सकती है। क्योंकि बीजेपी को 94 सीटें अकेले मिल गई है। और एनडीए या बीजेपी बिना जेडीयू के एनडीए की सीटें बहुमत के नंबर 122 पर पहुंच गई हैं। नए समीकरण के मुताबिक, भाजपा अब तक 94 सीटों पर आगे है, चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास 19 सीटों पर आगे है। जीतन राम मांझी की पार्टी हम 5 सीटों पर आगे है, वहीं, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा 4 सीटों पर आगे है। सभी पार्टियों का जोड़ मिलाकर 122 बनता है जो बिहार में बहुमत का आंकड़ा है। इनमें जेडीयू की 82 सीटें शामिल नहीं हैं।

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा और जेडीयू दोनों 101 सीटों पर उतरी थी, जिसमें 94 सीटों के साथ भाजपा बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है। आपको बता दें कि एक आरे बिहार चुनाव में महागठबंधन ने तो तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर दिया था, लेकिन मंचों पर नीतीश की मौखिक रूप से तारीफ करते हुए भाजपा ने कभी उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं बताया। हर बार यही सुनने को मिला कि एनडीए अगर बहुमत में आई तो विधायक दल की मीटिंग में मुख्यमंत्री का चुनाव होगा।

भाजपा के दिग्गज नेता भी नीतीश कुमार का नाम बतौर भावी मुख्यमंत्री के तौर पर लेने से परहेज करते देखे और अब जब एनडीए को प्रचंड बहुमत मिलती दिख रही है तो बीजेपी अपने रोल में आती दिख रही है और पीएम साहब और उनके चाणक्य जी बिहार में बीजेपी का सीएम वाला गेम फिट करना चाहते है और यही वजह यह कि मीडिया ने ये खबर बहुत जोरशोर से दिखाना शुरु कर दिया है कि वो बीजेपी चाहे तो नीतीश कुमार और जदयू के बिना भी अब बिहार में सरकार बना सकती है।

ऐसे में एक बात साफ है कि ये सीधे- सीधे जदयू को ब्लैकमेलिंग है और जदयू न सिर्फ नीतीश कुमार बल्कि जदयू इस पूरे गेम को समझ रही है। आपको बता दें कि यही वजह है कि जैसे ही एनडीए की जीत लगभग सुनिश्चित हो गई है तुरंत सम्राट चौधरी सीएम नीतीश कुमार से मिलने पहंुचे है और काफी देर तक अंदर मीटिंग चली है। दावा किया जा रहा है कि सीएम को लेकर कुछ न कुछ तो मंथन हुआ ही होगा। वैसे भी अमित शाह हो या बीजेपी पहले से ही ये बात कह रही थी कि विधायक दल की बैठक में फैसला होगा और क्योंकि अब नीतीश के विधायक बीजेपी से कम हैं तो ऐसे में कहीं न कहीं बीजेपी के दावे मजबूत होते दिख रहे है। आपको बात दें कि पहले नीतीश के पास ये ऑप्शन हुआ करता था कि अगर बीजेपी से बात नहीं बनी तो वो महागठबंधन के पाले में चले जाएंगे लेकिन इस बार वो गेम भी खत्म हो गया है क्योंकि इंडिया गठबंधन की इतनी भी सीटें नहीं आई है कि न नीतीश कुमार पलटी मारकर कर भी सीएम की कुर्सी हासिल कर सकें।

ऐसे में एक बात साफ है कि नीतीश कुमार दोनो तरफ से फंस गए हैं, एक तरफ उनकी सीटें कम आने से वो सीएम के दौड़ से बाहर हो गए है तो वहीं महागठबंधन की सीटे बहुत कम होने से उनकी ब्लैकमेलिंग का धंधा भी समझिए कि लगभग बंद ही है। ऐसे में पीएम साहब उनके चाणक्य बिहार में बड़ा दांव खेल सकते है। आपको बता दें कि भले से ही सम्राट चौधरी ने आज एनडीए की जीत की खुशी में तुरंत आनन-फानन में नीतीश कुमार से मुलाकात कर ली है लेकिन बीजेपी के दिगाम में सीएम पद को लेकर कोई दूसरार ही नाम चल रहा है। क्योंकि पीएम साहब और उसके चाणक्य की यह पहले से ही नीति रही है कि वो सीएम की कुर्सी पर उसी को बिठाते है जिससे सीधे दिल्ली से सत्ता संचालित हो सकते और इस पूरे खांचे में सही तरह से नित्यानंद राय फिट बैठते दिख रहे हैं।

नित्यानंद राय पहले से ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री है और अमित शहा के बहुत करीबी माने जाते हैं। आपको याद होगा कि जब सीट शेयरिंग पर अचानक चिराग पासवान के तेवर तल्ख हो गए थे और धमेंद्र प्रधान और कई बड़े दिग्गज जब कुछ नहीं कर पाए थे तो नित्यानंद राय ने ही मिलकर सारा खेल सही कराया था और चिराग 23 सीटों पर मान गए थे और अब शायद बीजेपी आला कमान इन्हीं नित्यानंद राय को सीएम बनाने की तैयारी में हैं क्योंकि नित्यानंद राय ही वो आदमी थे कि जिन्होंने दावा किया था कि इस बार बिहार में एनडीए को 200 प्लस सीटेें मिलेगी और एनडीए इतिहास रचेगा और ये दावा कहीं न कहीं सही साबित हुआ है।

आपको बता दें कि नित्यानंद राय पिछड़े यादव समाज से आते हैं और बिहार में फिलहाल एनडीए को लोकसभा चुनाव में जीत के लिए यादव चेहरे पर दांव खेलना है क्योंकि बिहार में यादव की तादात अच्छी खासी है और बिहार को अगर बीजेपी का गढ़ बनाना है तो यादव मतों को तोड़ना सबसे ज्यादा जरुर होगा और दूसरी सबसे खास बात है कि नित्यानंद संघ से सीधे जुड़े हुए है और कामकाज और फैसले लेने में भी उनको महारत हासिल है। ऐसे में फिलहाल नित्यानंद का नाम सबसे आगे चल रहा है और न सिर्फ नीतीश कुमार के सीएम पद पर खतरा मंडरा रहा है बल्कि कई सालों से सीएम का ख्वाब सजा रहे सम्राट चौधरी के लिए बहुत बुरी खबर है।

हालांकि अभी बैठकों का दौर जारी है और 18 तारीख तक सीएम फेस पर फैसला होना है लेकिन सबसे ज्यादा संभावना नित्यानंद राय को लेकर ही है। ऐसे में आपका क्या मनान है कि जिस तरह से मीडिया में खबरें चलने लगी है, क्या इस बात का संकेत नहीं है कि बीजेपी अब अलग गेम प्लान की तैयारी में जुट गई है। क्या अब पीएम साहब और उनके चाणक्य अब बिहार में अपना सीएम बनाएंगे । क्या नीतीश का काम बिहार से खत्म हो गया है। क्या नित्यानंद राय बिहार के नए सीएम बन सकते है।

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